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मांझा फैक्टरी में विस्फोट के बाद जांच करती पुलिस।
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मांझा फैक्टरी में विस्फोट के बाद जांच करती पुलिस।
बरेली, वाईबीएन संवाददाता।
बरेली के बाकरगंज इलाके में मांझा फैक्टरी में हुए विस्फोट ने एक बार फिर प्रशासन के जिले में विस्फोटक सामग्री का अवैध भंडारण न होने देने के दावों को खोखला साबित कर दिया है। यह पहला मामला नहीं है जब बरेली जिले में विस्फोटकों के अवैध भंडारण की वजह से लोगों की जान गई हो, इससे पहले सिरौली इलाके में अवैध पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई थी और पांच गंभीर घायल हो गए थे।
बरेली के मांझे की देश ही नहीं विदेशों में भी अच्छी खासी ख्याति है। किला इलाके के बाकरगंज में बनने वाले मांझे की सप्लाई दुनिया भर में होती है। यही वजह है कि इस इलाके के ज्यादातर लोग इसी कारोबार से जुड़े हैं। अमूमन हर घर में मांझा निर्माण का काम होता है। छह फरवरी की सुबह मांझे को धारदार बनाने के लिए शीशा, लोहे का बुरादा और गंधक-पोटाश मिलाकर लुगदी तैयार करते समय हुए विस्फोट में फैक्टरी मालिक अतिक रजा खां और दो कारीगर फैजान और सरताज की मौत हो गई थी। जांच में सामने आया कि मांझा फैक्टरी में बिना लाइसेंस भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री जमा की गई थी।
बरेली में मांझा फैक्टरी में विस्फोट, तीन लोगों उड़े चिथड़े
विस्फोटक का अवैध रूप से भंडारण करने पर डीएम के आदेश पर किला इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने मृतकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। उन पर बगैर लाइसेंस विस्फोटक सामग्री का भंडारण करने का आरोप है। हालांकि प्रशासन अभी इस मामले की जांच कर रहा है।
मांझा बनाने के दौरान हुए विस्फोट में जान गंवाने वाले तीनों पर मुकदमा
बाकरगंज इलाके में बड़े पैमाने पर मांझा निर्माण का काम होने पर अधिकतर लोग अपने घरों या फैक्टरी में ही विस्फोटक सामग्री का भंडारण करते हैं। इनमें काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके पास विस्फोटक सामग्री के भंडारण का लाइसेंस नहीं है। हादसे के बाद प्रशासन फिर सक्रिय हो गया है। डीएम रविंद्र कुमार और एसएसपी अनुराग आर्य ने घटना वाले दिन ही बाकरगंज पहुंचे थे। उन्होंने घटनास्थल का जायजा लिया, इसके साथ ही विस्फोटक सामग्री का अवैध रूप से भंडारण करने वालों पर अंकुश लगाने की बात कही।
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बरेली के सिरौली थाना क्षेत्र के कल्याणपुर गांव में दो अक्तूबर 2024 को अवैध पटाखा फैक्टरी में विस्फोट होने पर तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि पांच लोग गंभीर घायल हो गए थे, इस मामले में हैरत की बात यह रही कि घटना से करीब एक सप्ताह पहले 27 सितंबर को अवैध पटाखा फैक्टरी संचालक के खिलाफ सिरौली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, इसके बावजूद बिना किसी रोकटोक के अवैध पटाखा फैक्टरी का संचालन हो रहा था। हादसे के बाद पुलिस प्रशासन की पोल खुली तो अफसरों ने दावा किया था कि जिले भर में कहीं भी अवैध रूप से विस्फोटक सामग्री का भंडारण नहीं होने दिया। प्रशासन के इस दावे को किए हुए तीन महीने भी पूरे नहीं हुए कि बाकरगंज में विस्फोट हो गया।