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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
रहीमाबाद लखनऊ के राजकीय ऊसर सुधार परिक्षेत्र प्रबंधक और बरेली के पूर्व जिला कृषि अधिकारी डॉ रामतेज यादव भ्रष्टाचार और गबन के आरोप में निलंबित कर दिए गए हैं। इससे पहले डॉ़ रामतेज यादव मथुरा में भी जिला कृषि अधिकारी के पद पर रहते हुए भी निलंबित हो चुके हैं। रामतेज यादव के साथ ही राजकीय ऊसर सुधार परिक्षेत्र जैतपुर कासिमाबाद हरदोई नत्थूलाल गंगवार को भी निलंबित किया गया है। दोनों ने मिलकर ऊसर सुधार के नाम पर करोड़ों रुपए का घपला करके सरकारी बजट को चूना लगाया था। शासन की जांच में भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए जाने के बाद रामतेज यादव के निलंबन की कार्रवाई की गई है। साथ ही रामतेज यादव के घपले की जांच भी शुरू हो गई है।
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मथुरा में भी निलंबित हुए थे डॉ रामतेज यादव
कृषि विभाग में लंबे समय से केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। बरेली के कृषि विभाग में भी करोड़ों रुपए का घपला करके अफसरों ने अपने ऑलीशान होटल बना लिए और जमीन खरीद ली। डॉ़ रामतेज यादव दस साल पहले 31 जुलाई 2014 से 31 मार्च 2018 तक बरेली में भी जिला कृषि अधिकारी रह चुके हैं। सूत्रों के अनुसार यहां भी उन्होंने कलस्टर प्रदर्शन, किसानों को प्रशिक्षण, खाद-बीज वितरण, समेत अन्य सरकारी योजनाओं में अपने वरिष्ठ सहायक अमित कुमार वर्मा की मदद से करोड़ों रुपए के घपले किए हैं। इससे पहले डॉ़ रामतेज यादव मथुरा में भी जिला कृषि अधिकारी रहते हुए जिला पंचायत के चुनाव में रिटर्निंग ऑफीसर के तौर पर वहां के एक विधायक से वाद-विवाद करने के चलते शासन से निलंबित किए गए थे।
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पूर्व जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी पर भी लटकी तलवार
पूर्व जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी पर भी लटकी तलवार डॉ़ रामतेज यादव के निलंबन के बाद बरेली के एक अन्य पूर्व जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी पर भी निलंबन की तलवार लटकी है। पूर्व जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी वर्तमान में अलीगढ़ के जिला कृषि अधिकारी हैं। बरेली में जिला कृषि अधिकारी के पद पर रहते हुए उप कृषि निदेशक का चार्ज भी संभाला था। उस दौरान पेड बाई मी में गोदाम प्रभारी, बाबू और स्वयं जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी और जिला कृषि रक्षा अधिकारी अर्चना प्रकाश वर्मा ने अपने खाते में किसानों के प्रशिक्षण के लिए शासन से आई धनराशि को अपने निजी बैंक खातों में हस्तांतरित करा लिया था। इन सबके खाते में पेड बाई मी की धनराशि डिप्टी डायरेक्टर कृषि बरेली के चर्चित बाबू प्रखर सक्सेना ने ट्रांसफर की थी। इसी कड़ी में जिला सलाहाकार एनएफएसएम अमित सिंधू के गाजियाबाद स्थित बैंक खाते में भी किसानों के प्रशिक्षण की धनराशि ट्रांसफर हुई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने इस मामले की जांच सीडीओ जग प्रवेश को दी थी। सीडीओ जगप्रवेश ने इस जांच के बाद उप कृषि निदेशक बरेली अभिनंदन सिंह को इस धनराशि की वसूली के आदेश देते हुए तत्कालीन जिला कृषि अधिकारी बरेली धीरेंद्र चौधरी के निलंबन की संस्तुति शासन से की थी। हालांकि अभी शासन में पूर्व जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी के निलंबन की फाइल सांठगांठ के चलते दबी पड़ी है। मगर, सूत्रों से पता चला है कि पूर्व जिला कृषि अधिकारी बहुत जल्द ही निलंबित हो सकते हैं।
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वर्तमान जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी भी विवादों के घेरे में
बरेली की वर्तमान जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी भी चार्ज संभालने के बाद विवादों के घरे में हैं। उन्होंने अपने ऑफिस और घर पर एसी व टाइल्स कृषि विभाग के खास बाबू से लगवाया है। इसके अलावा ऋतुषा तिवारी मुरादाबाद में जिला कृषि अधिकारी के पद पर रहते हुए खाद की रैक में घपलेबाजी के चलते विवादों में रही हैं। मुरादाबाद में अपने पांच साल के कार्यकाल में ऋतुषा तिवारी के पास उप निदेशक कृषि का भी चार्ज था। सूत्रों के अनुसार ऋतुषा तिवारी ने मुरादाबाद में निष्क्रिय कमेटियों के नाम पर उर्वरक लाइसेंस जारी करके थोक उर्वरक विक्रेताओं को संरक्षण देकर बड़े पैमाने पर खाद की कालाबाजारी कराई और खाद की कालाबाजारी करने वालों को संरक्षण देकर मोटा धन कमाया। मुरादाबाद के तत्कालीन डीएम राकेश कुमार ने जब इस घपले की जांच कराई तो ऋतुषा तिवारी पर लगे आरोप सही पाए गए। इसमें ऋतुषा तिवारी को जिला कृषि अधिकारी के तौर पर 18 उर्वरक लाइसेंस निलंबित करने पड़े। मगर, कृषि विभाग में लखनऊ निदेशालय के एक अधिकारी से सांठगांठ करके ऋतुषा तिवारी ने अपनी पोस्टिंग बरेली करा ली। अब यहां एक साल पहले कृषि रक्षा विभाग में स्थानांतरित एक बाबू के जरिए वह खाद-बीज की गैर लाइसेंसी दुकानें चलवाकर मोटी ऊपरी कमाई करने में लगी हैं। ऋतुषा तिवारी पर आरोप है कि वह सांसद, विधायक या जनप्रतिनिधियों तक के फोन नहीं उठाती हैं।
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