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बचपन खत्म कर देता है बाल विवाह.... जानिए किसने यह संदेश दिया

खालसा इंटर कॉलेज, बरेली में अक्षय तृतीया के अवसर पर संभावित सर्वाधिक बाल विवाहों को रोकने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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Sudhakar Shukla
Child marriage
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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खालसा इंटर कॉलेज, बरेली में अक्षय तृतीया के अवसर पर संभावित सर्वाधिक बाल विवाहों को रोकने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में बाल विवाह की प्रथा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करने के लिए लोगों को प्रेरित करना था। कार्यक्रम में विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षा विशेषज्ञों और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किए और बाल विवाह को लेकर कानून और इसके सामाजिक प्रभावों पर चर्चा की।

बाल विवाह के दुष्परिणामों पर छात्राओं और कर्मचारियों को जागरूक किया गया

कार्यक्रम का आयोजन महिला कल्याण विभाग के तत्वावधान में किया गया, जिसमें डिस्ट्रिक्ट मिशन कोआर्डिनेटर रिंकी सैनी, हरविंदर कौर और हब फॉर एम्पॉवरमेंट ऑफ वुमेन की जेंडर स्पेशलिस्ट शरीन ने छात्राओं और विद्यालय के कर्मचारियों को बाल विवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराया। उन्होंने बाल विवाह के सामाजिक, मानसिक और शारीरिक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया और इसे रोकने के लिए कानून की जानकारी भी साझा की। कार्यक्रम में उपस्थित सभी को यह समझाया गया कि बाल विवाह न केवल बच्चों के भविष्य को प्रभावित करता है, बल्कि यह समाज के विकास में भी बाधा डालता है।

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बाल विवाह के दुष्प्रभावों पर किया महत्वपूर्ण जागरूकता अभियान

इस दौरान रिंकी सैनी ने बताया कि किसी भी लड़की या लड़के की शादी 18 साल की उम्र से पहले बाल विवाह कहलाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बाल विवाह में औपचारिक विवाह के साथ-साथ अनौपचारिक संबंध भी शामिल हैं, जहां 18 साल से कम उम्र के बच्चे विवाहित जोड़े की तरह रहते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि बाल विवाह बच्चों का बचपन छीन लेता है और उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके अलावा, यह बच्चों की मानसिक और शारीरिक विकास प्रक्रिया को प्रभावित करता है, जिससे उनके भविष्य पर गंभीर असर पड़ता है। रिंकी सैनी ने बताया कि बाल विवाह के दुष्प्रभावों को समझना और इसे रोकने के लिए जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है, ताकि समाज में बदलाव लाया जा सके।

इसके अतिरिक्त, महिला कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी प्रदान की गई। बालिकाओं को बताया गया कि वे इन योजनाओं के लिए पात्र हैं और उन्हें इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया। इस अवसर पर यह भी स्पष्ट किया गया कि महिला कल्याण विभाग की योजनाएं बालिकाओं की शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई हैं, ताकि उनका सामाजिक और आर्थिक उत्थान हो सके। विभाग द्वारा दी जा रही सहायता को लेकर भी सभी शंकाओं का समाधान किया गया, जिससे अधिक से अधिक बालिकाएं इन योजनाओं का लाभ उठा सकें।

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विद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों ने लिया संकल्प

उक्त जागरूकता कार्यक्रम में विद्यालय के बड़ी संख्या में बालक-बालिकाओं और एचईडब्ल्यू (हेल्थ एंड वेलनेस) के कर्मचारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। सभी प्रतिभागियों ने बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया। उन्होंने इस संकल्प के साथ अपने समुदाय और समाज में बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाने और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने का निर्णय लिया। कार्यक्रम के समापन पर सभी ने एकजुट होकर यह वादा किया कि वे इस प्रयास में सहयोग करेंगे और इस सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।

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