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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), इज़तनगर, बरेली (उत्तर प्रदेश) में नेशनल पेट डे हर्षोल्लास एवं गरिमामय वातावरण में मनाया गया। इस अवसर का उद्देश्य पालतू पशुओं के कल्याण को बढ़ावा देना था। उन्हें केवल पालतू न मानकर एक सच्चे जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करना रहा।
इस उपलक्ष्य में संस्थान के स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्रों के मध्य “आधुनिक जीवन में साथी पशुओं की भूमिका” विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें कुल 17 प्रतिभागियों ने सहभागिता की। कार्यक्रम में छात्रों एवं संकाय सदस्यों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत विचार न केवल सूचनापरक और सुव्यवस्थित थे, अपितु भावनात्मक एवं प्रेरणादायक भी रहे। प्रतियोगियों ने श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि पालतू पशु केवल आनंद और मनोरंजन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि वे मानसिक स्वास्थ्य सुदृढ़ करने, अकेलेपन को दूर करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वृद्धजनों एवं रोगग्रस्त व्यक्तियों के लिए वे मार्गदर्शक एवं सहचिकित्सक की भूमिका निभाते हैं।प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल द्वारा घोषित विजेताओं के नाम निम्नलिखित हैं:
श्रेया सुनील कुमार, तृतीय वर्ष, बी.वी.एस.सी. एवं ए.एच.: संयुक्त प्रथम स्थान
दिवांशी सैनी, द्वितीय वर्ष, बी.वी.एस.सी. एवं ए.एच.: संयुक्त प्रथम स्थान
विल्सन बड़ो, द्वितीय वर्ष, बी.वी.एस.सी. एवं ए.एच.: द्वितीय पुरस्कार
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. असित दास ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्वान साथी (कम्पनियन एनिमल्स) हमारे मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहयोगी हैं, अतः हमारा नैतिक दायित्व है कि हम उनकी समुचित देखभाल करें। उन्होंने आश्रयगृहों में बढ़ती संख्या वाले कुत्तों और बिल्लियों को अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इससे न केवल उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि मानव-प्राणी संबंध और अधिक सशक्त होंगे।
डॉ. एस.के. साहा, छात्र कल्याण अधिकारी (बालक), ने अध्यक्षीय उद्बोधन में पालतू पशुओं को संतुलित पोषण, स्वच्छ एवं आरामदायक आवास, नियमित टीकाकरण एवं समुचित चिकित्सकीय देखभाल के साथ-साथ स्नेह एवं संवेदनशीलता प्रदान करने पर जोर दिया। डॉ. अंजू कला, वैज्ञानिक, पशु पोषण विभाग ने पालतू पशुओं की भावनात्मक आवश्यकताओं को समझने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि एक सरल प्रकृति भ्रमण, न केवल पालतू पशु के लिए, बल्कि पालक के लिए भी लाभकारी होता है। उन्होंने छात्रों से "पालतू खरीदें नहीं, अपनाएं" का संदेश समाज में व्यापक रूप से प्रसारित करने की अपील की।
डॉ. सुमन तालुकदार, वैज्ञानिक, पशु उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग ने सार्वजनिक जागरूकता के माध्यम से साथी पशुओं के महत्व को उजागर करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि छात्र समुदाय इस दिशा में परिवर्तन के अग्रदूत बन सकते हैं। “करुणा एवं देखभाल” का संदेश जनमानस तक पहुंचाकर पशु कल्याण को सुदृढ़ बना सकते हैं। अंत में, डॉ. असित दास ने कार्यक्रम की सफलता के लिए संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की संकल्पना, मार्गदर्शन एवं सतत प्रोत्साहन के लिए डॉ. रुपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) को विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया।
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