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बरेली के लिए विनाशकारी होगा बिना प्लानिंग विकास... जानिए ये किसने कहा और क्यों

जब भी शहर के विकास की बात आती है तो सबसे पहले उसकी प्लैनिंग बननी चाहिए। उससे पहले प्लानिंग पर पूरी चर्चा हो। उसके बाद उस प्लानिंग पर समयबद्ध तरीके से अमल हो।

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Sudhakar Shukla
Rajesh agarwaal
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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जब भी शहर के विकास की बात आती है तो सबसे पहले उसकी प्लैनिंग बननी चाहिए। उससे पहले प्लानिंग पर पूरी चर्चा हो। उसके बाद उस प्लानिंग पर समयबद्ध तरीके से अमल हो। फिर शहर का एक क्रमबद्ध विकास हो। यही प्लानिंगयुक्त विकास शहर, समाज और देश को आगे ले जाता है। बिना ठोस प्लानिंग के शहर को स्मार्ट बनाने के दावे करना या विकसित करने की बात करना जनता को धोखा देना है। बरेली के अंदर बिना किसी ठोस प्लानिंग के जो विकास कराया जा रहा है। वह आगे चलकर जनता के लिए विनाशकारी साबित होगा। इसके लिए बहुत हद तक हमारे जनप्रतिनिधि ज़िम्मेदार होंगे। फिर चाहे वह जनप्रतिनिधि किसी भी दल के हों। प्रत्येक जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी जनता के प्रति सबसे पहले होनी चाहिए। 

यह कहना है उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 01 में वित्त मंत्री रह चुके और वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल का। राजनीति में अपनी बेबाक बातचीत के लिए प्रसिद्ध पूर्व वित्त मंत्री और वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने बरेली के विकास और राजनीति से जुड़े मुद्दों पर यंग भारत न्यूज़ चैनल के स्थानीय संपादक सुधाकर शुक्ल से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश:

आपके हिसाब से बरेली के विकास का क्या विजन है ?

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मैंने उत्तर प्रदेश में वित्त मंत्री रहने के दौरान मुख्यमंत्री योगी जी को यह सुझाव दिया था कि  मंडलीय और जिले के सभी सरकारी ऑफिस एक ही बिल्डिंग के नीचे होने चाहिए ताकि जनता को इधर-उधर चक्कर लगाकर परेशानी न उठानी पड़े। बरेली में हमने इसके लिए जिला जेल और राइफल क्लब समेत कचहरी की सरकारी जमीन को मिलाकर अलग-अलग ऑफिस बनाने के सुझाव दिए थे। मुख्यमंत्री जी ने मेरा यह सुझाव पसंद भी किया था। इसी कड़ी में 300 बेड का सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल निर्माण भी शामिल था, जिसकी स्वीकृत हाल ही में मुख्यमंत्री जी ने बरेली में आकर की है। जब तक एक छत के नीचे सभी सरकारी दफ्तर नहीं होंगे। तब तक किसी भी शहर का सुनियोजित विकास नहीं हो सकता।

आपके हिसाब से बरेली का विकास किस तरह से होना चाहिए ? 

बरेली में मेरे ही प्रस्ताव पर महिलाओं के लिए अलग जेल का निर्माण चल रहा है। मैंने शहर के एक बड़े आर्किटेक्ट से इस मामले में सुझाव लेते हुए मानचित्र एक बनवाया था। इसमें सुभाषनगर और बदायूं रोड से डिस्ट्रिक्ट जेल को कनेक्ट करते हुए जिला जेल और राइफल क्लब की जमीन पर सभी सरकारी ऑफिस का निर्माण करते हुए उसे पूरे इलाके को इसी डेवलपमेंट प्लान से जोड़ा था। इस प्लान के अमल में आने पर सुभाष नगर और बढ़ाया रोड के जलभराव की समस्या भी हाल हो जाती और शहर का एक सुनियोजित विकास होता जिसका लाभ इस इलाके की पूरी जनता को मिलता। अब गांधी उद्यान के बाहर मल्टी स्टोरी पार्किंग बना दी गई। इसमें करोड़ों रुपए खर्च हुए। करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन भी घिर गई। मगर, जनता को इसका कोई लाभ नहीं है। न ही कोई उसमे अपनी कार खड़ी करेगा। इसी तरह से राधेश्याम एनक्लेव और अर्बन हॉट की बिल्डिंग निर्माण में भी अरबो रुपए खर्च हुए। इसका फायदा भी जनता को बहुत ज्यादा मिलने की उम्मीद नहीं है। क्योंकि यह सारा विकास बिना किसी प्लानिंग के किया गया है।

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Rajesh Agarwal

जिला जेल विकसित कर लेते तो इससे क्या फर्क पड़ता ?

जिला जेल को विकसित करते हुए उसे राइफल क्लब, सुभाष नगर और बदायूं रोड तक जोड़ लेते तो पूरी बरेली का नक्शा बदल जाता। जो मेरा विजन है, वही मुख्यमंत्री जी का भी है। सिविल लाइंस के वेशकीमती इलाके में महंगी जमीनों पर रेस्टोरेंट बनाना विकास या स्मार्ट सिटी बनाने के के नाम पर एक तरह से दुरुपयोग करना है। यह मुझे बहुत चुभता है। इस सबके लिए न केवल अफसर और इंजीनियर बल्कि बहुत हद तक हमारे जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं। भले ही वह किसी भी राजनीतिक दल के हों। अगर जनप्रतिनिधियो ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों और इंजीनियरों को विश्वास में लेकर उनसे ठीक से काम कराया होता तो स्थितियां बहुत बदल सकती थी। यह अभी भी बहुत बदल सकती हैं। बस, पहले खुद को बदलने की जरूरत है। 

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आप भी लंबे समय तक न केवल शहर और कैंट के विधायक  बल्कि प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री जैसे अहम पद पर रहे हैं। अपने कार्यकाल की कोई बड़ी उपलब्धि बताइए ?

वर्ष 2017 में बरेली में सिंगल फेस बिजली आती थी। बार-बार शटडाउन होता था। कभी बिजली आती थी तो कभी नहीं आती थी। मैंने अपने वित्त मंत्री रहने के दौरान 29 नए टावर लगवाकर तीन फेस बिजली कराई। यूपी में सबसे ज्यादा ट्रांसफार्मर बरेली में लगाए गए। दो दर्जन से ज्यादा नए बिजली सब स्टेशन बने। उसके बाद बिजली की व्यवस्था काफी हद तक ठीक हुई। मेरी योजना यह थी कि पूरे शहर में अंडरग्राउंड केबल बिछाई जानी चाहिए। ताकि सड़कों पर लगे खंभे पूरी तरह उतर जाएं। मगर, यह उस समय किसी कारणवश नहीं हो पाया। मेरे हिसाब से इसी तरह से प्लानिंग बनाकर शहर में जल भराव जैसी समस्याएं दूर करके बुनियादी मुद्दों पर काम करना चाहिए।

आपके कार्यकाल में दो-तीन ओवर ब्रिज बनने के अलावा कई छोटी-छोटी पुलिया भी बनी। फिर भी शहर में जाम लगता है ?

मेरे कार्यकाल में चौपला चौराहे पर अटल सेतु, श्यामगंज से शहदाना की तरफ जाने वाला पुल बना। इसके अलावा सेटेलाइट बस अड्डे पर ओवरब्रिज बनाया गया। नकटिया पर चार छोटी-छोटी पुलियों का भी निर्माण मेरे कार्यकाल में कराया गया। इससे शहर को काफी हद तक जाम से निजात मिली है। मेरी योजना यह थी कि सेटेलाइट बस अड्डे की वर्कशॉप को मर्ज करके यहां पर एक बड़ा रोडवेज बस अड्डा बनाया जाए। पुराने बस अड्डे को हटाकर उस जगह पर एक मल्टी स्टोरी व्यवसायिक बिल्डिंग बनाई जा सकती थी। इससे शहर में जाम भी नहीं लगता और हम विकास की योजना पर भी आगे बढ़ सकते थे। 

अब हम शहर के विकास और रोजगार के लिए नया क्या कर सकते हैं ? 

शहर को विकसित बनाने के लिए प्लानिंग बनाकर काम करना होगा। सड़कों का चौड़ीकरण इसकी पहली जरूरत है। सड़कों पर चौड़े डिवाइडर हमारे किसी काम के नहीं है। बरेली की आबादी घनी है। हम पतले डिवाइडर बनाकर सड़के चौड़ी करें। शहर के जिन स्थानों पर जल भराव हो रहा है, वहां उस समस्या को जड़ से खत्म करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। शहर में जो नई कॉलोनी बन रही हैं। उनका हमें सुनियोजित, commercial और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट करना पड़ेगा। रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए हम सबको एमएसएमई को बढ़ावा देने पर काम करना होगा। बरेली में आज से 30 साल पहले भी जो इंडस्ट्री थी। उनमें बढ़ोतरी नहीं हुई। तमाम फैक्ट्रियां बंद हो गई। हमे इस और काम करना पड़ेगा। 

शहर के विकास के लिए और हम नया क्या कर सकते हैं ? 

बरेली शहर में मेट्रो रेल चलाने का प्रस्ताव मैंने अपने ही कार्यकाल में मुख्यमंत्री जी को दिया था। बीडीए के माध्यम से उसका सर्वे भी कराया गया था। उसके बाद यह प्रोजेक्ट अभी तक रुका हुआ है। अगर शहर को विकास की दिशा में आगे ले जाना है तो बरेली में मेट्रो रेल चलानी होगी। इसके लिए सरकार और हमारे जनप्रतिनिधियों को मिलकर काम करना होगा। जहां तक मेरी बात है, तो मेरे सहयोग की जहां भी आवश्यकता पड़ेगी मैं उसके लिए हमेशा खड़ा रहूंगा।

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