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ईद की नमाज सड़कों पर न पढ़ें, एक या दो  जमातें कर लें... जानिए यह किसने कहा और क्यों

सड़कों पर नमाज न पढ़ने के योगी सरकार के फैसले का सम्मान करते हुए मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने मुसलमान से हुकूमत की गाइड लाइंस का पालन करने की अपील की है।

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Sudhakar Shukla
maulana rizvi
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बरेली, बाईवीएन संवाददाता

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सड़कों पर नमाज न पढ़ने के योगी सरकार के फैसले का सम्मान करते हुए मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने मुसलमान से हुकूमत की गाइड लाइंस का पालन करने की अपील की है। मौलाना ने कहा है कि मुसलमान सड़कों पर नमाज न पढ़ें। भीड़ को जमात में बांटकर नमाज पढ़ लें।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि ईद की तमाम तैयारियां जोर शोर से हो रही है। मैं तमाम ईदगाह के इमाम और मस्जिद के इमाम हजरात से अपील करूंगा कि ईद की नमाज का खुसूसियत के साथ एहतमाम करें। नमाज में इस बात का ध्यान रखें कि रोड पर नमाज न हो। ईदगाह और तमाम मस्जिदों में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि अगर कहीं मस्जिद छोटी है। नमाज़ी ज्यादा आ गए तो मस्जिद के अंदर समा नहीं पाते हैं। ऐसी सूरत ए हाल में उसका तरीका शरियत ने ये बताया है कि मस्जिद में इमाम बदलकर दूसरी जमात या तीसरी जमात की जा सकती है। फिर रोड पर जमात की कोई जरूरत पेश नहीं आएगी।  इसकी वजह यह है कि जब रोड पर नमाज लोग पढ़ने लगते हैं तो एंबुलेंस ट्रैफिक और लोगों की आमद व रफ्त (आना जाना) बंद हो जाता है। इससे आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस्लाम रवादारी और इंसानियत का मजहब है। किसी को तकलीफ़ पहुंचाने का नहीं। 

मौलाना ने हदीस का हवाला देते हुए कहा कि पैगंबर इस्लाम ने फरमाया कि अच्छा मुसलमान वह है, जिसके हाथ पैर जुबान से किसी को तकलीफ न पहुंचे।  इसलिए सड़कों पर नमाज न पढ़ी जाए ।

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काली पट्टी बांधने के ऐलान पर अमल न करें मुसलमान 

मौलाना ने आगे कहा कि और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनला बोर्ड ने हाथ पर काली पट्टी बांधने का ऐलान किया है। इस ऐलान पर भी मुसलमान अमल न करें। काली पट्टी न बांधें। यह दिन खुशियों का दिन है। काली पट्टी बांधकर खुशी के दिन को गम में न बदले। अपने देश के लिए अपने परिवार के लिए खुशहाली और तरक्की की  दुआ करें। 

मौलाना ने कहा कि देश के सियासी हालात सभी को मालूम है। इसलिए मैं इमाम हजरात से गुजारिश करूंगा कि ईद के दिन अपनी तकरीरों में राजनीतिक चीजों को मुद्दा न बनाएं। इन मुद्दों को सियासत दानो पर छोड़ दें। अपनी तकरीरों को मुस्लिम समाज के अंदर फैल रही बुराईयों की रोक थाम पर केंद्रित रखें। हुकूमत द्वारा जारी की गई त्योहारों से सम्बंधित गाइडलाइंस का पालन करें। और ईद की नमाज से पहले गरीबों मीसकीनो को" फितरे"की रकम आ अनाज देकर सवाब (पुनः)हासिल करें।

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