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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली के डोरीलाल अग्रवाल स्पोर्ट्स स्टेडियम में करीब साढ़े नौ करोड़ की लागत से एथलीट के लिए सिंथेटक ट्रैक बनाया जा रहा है। इस ट्रैक पर एथलीट अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी कर सकेंगे। ट्रैक का काम अंतिम चरण में है। इस महीने के अंत तक यह बनकर तैयार हो जाएगा लेकिन अफसरों की अनदेखी करोड़ों रुपये से बने इस ट्रैक को बर्बाद कर सकती है।
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बरेली के एथलीट को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मिल सकें और उस लिहाज से उनकी तैयारी हो सकें कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने पर उन्हें दिक्कत न हो, इसके मद्देनजर डोरीलाल अग्रवाल स्पोर्ट्स स्टेडियम में 9 करोड़ 30 लाख रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय स्तर के सिंथेटिक ट्रैक का निर्माण कराया जा रहा है। ट्रैक का काम लगभग पूरा हो चुका है। 400 मीटर लंबे ट्रैक पर 200 मीटर तक कुशिनिंग का काम हो चुका है। दो सौ मीटर हिस्से पर काम चल रहा है, इसके बाद लाइनिंग का काम शेष रह जाएगा, इसके लिए विदेश से कर्मचारी बुलाया गया है।
रखरखाव में अभी से लापरवाही तो आगे क्या होगा
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अगर सिंथेटिक ट्रैक का सही रखरखाव किया जाए तो इसकी उम्र 10-15 साल होती है लेकिन लापरवाही बरती जाए तो कुछ ही दिनों में खराब हो सकता है। स्टेडियम में बन रहे सिंथेटिक ट्रैक की सुरक्षा में शुरू से ही लापरवाही बरती जा रही है। बरेली में ट्रैक का निर्माण कार्य करा रहे धर्मेंद्र चड्ढा ने बताया कि सिंथेटिक ट्रैक पर धूल आने से यह खराब जल्दी खराब हो जाएगा।
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उन्होंने बताया कि ट्रैक के पश्चिमी दिशा में मैदान पर घास नहीं है, इस वजह से धूल उड़कर ट्रैक पर आ रही है। उन्होंने कई बार अफसरों से घास लगवाने को कहा लेकिन निर्माण पूरा होने के करीब आ गया और घास नहीं लग सकी। फिलहाल तो धूल को रोकने के लिए उन्होंने ट्रैक के चारों तरफ पर्दे लगा दिए हैं और लगातार पानी का छिड़काव भी करा रहे हैं। ऐसे में स्टेडियम के हैंडओवर होने के बाद इसे धूल से नहीं बचाया गया तो यह जल्दी खराब हो सकता है।
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ऐसे किया जाता है सिंथेटिक ट्रैक का रखरखाव
ट्रैक की नियमित सफाई और धूल-मिट्टी हटाना जरूरी है। ट्रैक पर मिट्टी, धूल, पत्तियां और अन्य मलबा जमा नहीं होना चाहिए। इसके अलावा हफ्ते में एक बार झाड़ू या ब्लोअर से सफाई की जाए। पानी से धोने की आवश्यकता हो तो हल्के प्रेशर से पानी डाला जाए। ज्यादा प्रेशर से पानी डालने से ट्रैक को नुकसान पहुंच सकता है।
जल निकासी के हो बेहतर इंतजाम
सिंथेटिक ट्रैक पर पानी जमा न होने पाए वरना इसकी सतह खराब हो सकती है। ड्रेनेज सिस्टम की नियमित सफाई की जानी चाहिए ताकि पानी सही से बह सके। बारिश के बाद ट्रैक को सुखाने के लिए रबर स्वीपर का इस्तेमाल किया जाए।
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सही जूते और उपकरणों का इस्तेमाल
ट्रैक पर सिर्फ रबर-सोल (non-marking) वाले जूते पहनकर ही चढ़ा जाए। स्पाइक्स (nail shoes) का इस्तेमाल 6-8mm से ज्यादा न हो वरना इसे नुकसान पहुंच सकता है। ट्रैक पर साइकिल, स्कूटर, बाइक, भारी वाहन आदि नहीं ले जाए जाएं।
रसायनों और गंदगी से बचाव
ट्रैक पर तेल, केमिकल, पेट्रोल, ग्रीस, तेजाब या अन्य हानिकारक पदार्थ न गिरने पाए। यदि कोई केमिकल गिर जाए तो तुरंत पानी से धोकर उसे सूखाना होता है। इसके अलावा गोंद, टेप, च्यूइंग गम आदि इस पर न चिपकने पाए।
नियमित निरीक्षण और मरम्मत जरूरी
ट्रैक का हर 3-6 महीने में विशेषज्ञ से निरीक्षण कराया जाए ताकि उसमें आने वाली खराबियों का पता चल सके। यही कहीं दरारें, उखड़ी हुई जगहें, पानी भरने वाले स्थान आदि मिलते हैं तो उनकी मरम्मत कराई जाए। यदि ट्रैक फटने लगे या सतह खराब हो तो रिबाइंडिंग या रीसर्फेसिंग करानी होती है।
गर्मी में ज्यादा धूप भी पहुंचा सकती है नुकसान
गर्मी में ट्रैक पर अत्यधिक धूप पड़ने से उसे नुकसान हो सकता है, इससे बचाने के लिए ठंडे पानी का समय-समय पर छिड़काव करना होता है। इसके अलावा ट्रैक को खाने-पीने, धूम्रपान, थूकने या गंदगी करने से बचाना होता है।
स्पोट्रर्स स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय स्तर का सिंथेटिक ट्रैक बन रहा है। यहां इंटरनेशनल मैच खेले जाएंगे। ट्रैक 15 अप्रैल से पहले बनकर तैयार हो जाएगा, जो भी खामियां हैं उन्हें दूर कराया जाएगा। - जितेंद्र यादव, जिला क्रिड़ा अधिकारी