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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के पशु पोषण विभाग में अनुसूचित जाति समुदाय के पशुधन के लिए पोषण स्मार्ट गांव के विकास: पशु आहार निर्माण और रखरखाव विषय पर आयोजित पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ।
समापन समारोह की मुख्य अतिथि, संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा डॉ. रुपसी तिवारी ने अपने संबोधन में परंपरागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को एक साथ मिलाकर उसका दस्तावेजीकरण करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर पूर्वजों से प्राप्त ज्ञान को वैज्ञानिकों से साझा करने से उसका वैज्ञानिक मूल्यांकन संभव होगा और यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी उपयोगी दस्तावेज के रूप में संरक्षित रहेगा। उन्होंने महिलाओं को प्रेरित किया कि वे यहाँ से अर्जित ज्ञान को अपने क्षेत्रों में लागू करें, महिला समूह बनाकर पशु आहार निर्माण इकाई स्थापित करें और आत्मनिर्भर बनें।
इस अवसर पर पशु पोषण विभाग के डॉ. नारायण दत्ता ने बताया कि यह प्रशिक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पशुपालन व्यवसाय में 70% खर्च पशु आहार पर आता है। यदि पशुओं से अधिक उत्पादन प्राप्त करना है तो संतुलित आहार देना आवश्यक है। संतुलित आहार से न केवल पशु प्रजनन संबंधी समस्याएँ दूर होंगी बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी।
कार्यक्रम की प्रशिक्षण समन्वयक, डॉ. अंजू काला (वैज्ञानिक) ने कार्यक्रम की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस पाँच दिवसीय प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को वैज्ञानिक विधि से पशु आहार बनाने का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया। साथ ही, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने, पशुओं के वैज्ञानिक रख-रखाव और संतुलित पोषण पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। इस दौरान किसान महिलाओं को 70 दिन का दाना एवं पशुपालन संबंधी आवश्यक वस्तुएँ भी वितरित की गईं।
डॉ. अंजू काला ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य अनुसूचित जाति समुदायों में पोषण स्मार्ट गांव की अवधारणा को विकसित करना है, जिससे पशु आहार का संतुलित निर्माण और पोषण बनाए रखने की तकनीक को बढ़ावा दिया जा सके।
इस अवसर पर डॉ. असित दास, डॉ. पलक गुप्ता, डॉ. मुतीब, डॉ. सुनीता, डॉ. योगेंद्र, श्री रतन प्रकाश, श्री ज्ञान प्रकाश, तथा हमीरपुर के पूर्व प्रधान श्री ओम प्रकाश सहित विभाग के छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।