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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता
बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग में एस.सी.एस.पी. उपयोजना के अंतर्गत आयोजित पांच दिवसीय भैंस पालन द्वारा उद्यमिता विकास पर प्रशिक्षण का आज समापन हो गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के 24 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
उद्यमिता विकास के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करें: डॉ. रूपसी तिवारी
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं संस्थान की संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि आप अपने अर्जित ज्ञान का प्रयोग अपने क्षेत्रों में करें साथ ही पशुपालन को व्यापक स्तर पर कर उद्यमिता विकास करें जिससे आपकी आजीविका में वृद्धि हो सके। डा. रूपसी तिवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म को महत्वपूर्ण बताते हुये कहा कि अगर आप अपने व्यवसाय को आगे ले जाना चाहते हैं तो अपने उत्पाद की गुणवत्ता व स्वच्छता के साथ-साथ मार्केटिंग के लिए विभिन्न सोशल मीडिया का उपयोग करें जिससे आप अपने उत्पाद को उचित दर पर तथा उचित बाजार में बेच सकते हैं। उन्होंने सहकारिता तथा लिंकेज बनाने पर भी जोर दिया।
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पशुपालकों को वैज्ञानिक पद्धति से डेयरी व्यवसाय करने की सलाह
इस अवसर पर अखिल भारतीय भैंस सुधार परियोजना (आईवीआरआई यूनिट) के प्रधान अन्वेषक डा. ए.के.एस. तोमर ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को महत्वपूर्ण बताते हुये कहा कि वैज्ञानिक विधि से डेयरी व्यवसाय को अपनाकर हमारे पशुपालक अधिक लाभ कमा सकते हैं इसके लिए आवश्यक है कि इस व्यसाय को वैज्ञानिक पद्धति से करें तथा समय-समय पर अपने ज्ञान को अपडेट करते रहें। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए यह आवश्यक है कि आप उन योजनाओं से सम्बन्धित अधिकारियों के सम्पर्क में रहें तथा योजनाओं की जानकारी लेते रहे।
भैंस पालन प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को मिली विस्तृत जानकारी
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. हरि ओम पाण्डेय ने कार्यक्रम की प्रगति आख्या प्रस्तुत करते हुये बताया कि इन पाँच दिनों में प्रतिभागियों को भैंस पालन व्यवसाय एवं उद्यमिता, भैसों की नस्लें, आवास निर्माण एवं प्रबन्धन, विभिन्न श्रेणियों में सामान्य प्रबन्धन, भैंसो के चयन एवं उत्तम संतति हेतु प्रजनन एवं प्रबन्धन, भैंस फार्म एवं सम्बन्धित रिकार्ड के रख रखाव, जैविक फार्मिंग, पोषण सम्बन्धी समस्या तथा निदान, भैसांे के मुख्य रोग, विपणन एवं बीमा प्रबन्धन, भैंसो के लिए वर्ष भर हरा चारा उत्पादन आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. हरिओम पाण्डेय द्वारा किया गया इस अवसर पर डा. अनुज चौहान, डा. अयोन तरफदार सहित पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन के अन्य वैज्ञानिक, छात्र-छात्रायें एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।