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कल समाप्त होगा खरमास, बजेंगी शहनाइयां...सजेंगे दूल्हे राजा

14 अप्रैल को खरमास समाप्त हो रहे हैं। अब रुके हुए मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश ,नामकरण संस्कार ,कर्ण छेदन ,मुंडन आदि कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।

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Sudhakar Shukla
Kharmas
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बरेली, वाईबीएन सवांददाता

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14 अप्रैल को खरमास समाप्त हो रहे हैं। अब रुके हुए मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश ,नामकरण संस्कार ,कर्ण छेदन ,मुंडन आदि कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। 14 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का अंत हो जाएगा। मांगलिक  कार्यों पर लगा विराम हट जाएगा और विवाह जैसे शुभ कार्यक्रम संपन्न होंगे। 

ज्योतिषाचार्य पंडित विनय दीक्षित के अनुसार शादी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना अति आवश्यक है। नौ ग्रहों में गुरु शुक्र एवं सूर्य का शुभ होना शादी विवाह के लिए अति आवश्यक माना गया है। 14 अप्रैल को मेष संक्रांति के साथ ही शुभ विवाह प्रारंभ हो जाएंगे। काशी के महावीर पंचांग के अनुसार अप्रैल से जून तक विवाह के शुभ मुहूर्त बहुत हैं। जिनको भी विवाह करना है, उनके लिए मौके ही मौके है। 

अप्रैल में-विवाह के शुभ मुहूर्त 

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14,15,16,17,18,19,20,21,25,26,29,30  

मई में शुभ महुर्त 

-1,5,6,7,8,9,10,11,12,13,14,15,16,17,18,22,23,24,28 

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जून में विवाह के शुभ मुहूर्त -1,2,3,4,5,7,8 को तिथि मुहूर्त शुभ है।

शुभ मुहूर्त में विवाह होता है सफल... 

वर कन्या का दांपत्य जीवन सुख पूर्वक बीते इसके लिए शुभ मुहूर्त में विवाह का होना आवश्यक बताया गया है। विवाह गृहस्थ आश्रम से संबंधित प्रथम संस्कार है। अतः विवाह  से संबंधित अनेक बिंदुओं मेलापक,  ,मंगल, गुरु एवं सूर्य  का विचार करना आवश्यक होता है। वर्ण, वश्य, तारा , योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी यह अष्टकूट है जिनके विचार विवाह मेलापक में किया जाता हैं। मेलापक में कुल 36 गुण होते हैं। मेलापक में 18 गुण से ऊपर मिलने पर शुभ  तथा 27 से ऊपर विवाह अत्यंत शुभ माना जाता है। मेलापक के साथ अन्य बातों पर भी विचार किया जाता है। होडा चक्र के अनुसार वर कन्या दोनों के वर्ण, वश्य , तारा आदि का ज्ञान  कर इन चक्रों से गुणो को मिलाना चाहिए। विवाह होने के बाद वर एवं कन्या की परस्पर अनुकूलता रहे एवं दोनों की आयु दीर्घ हो। धन संपत्ति एवं संतान का सुख उत्तम हो। सनातन धर्म में इसी उद्देश्य से ऋषि मुनियों ने अपने ज्ञान एवं अनुसंधान के आधार पर वर एवं कन्या की जन्म राशि एवं जन्म नक्षत्र के अनुसार विवाह से पूर्व अष्टकूट मिलान से गुण मिलाने की श्रेष्ठ पद्धति का विकास किया है।

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