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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
अक्षय का मतलब है कभी नष्ट न होने वाला अर्थात अविनाशी। महर्षि परशुराम के अवतरण दिवस यानि अक्षय तृतीया को आमतौर पर बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन वैसे तो सोना-चांदी या अन्य भौतिक वस्तुओं की खरीददारी की परंपरा है। मगर, नाथनगरी में महर्षि परशुराम के अवतरण दिवस के पावन अवसर पर 13 बटुक ब्राम्हणों ने अपना यज्ञोपवीत संस्कार कराया।
तेरह बटुक ब्राह्मणों ने विधिपूर्वक कराया यज्ञोपवीत संस्कार
महर्षि परशुराम जयंती के अवसर पर बुधवार को श्री सेवापीठ की ओर से निशुल्क यज्ञोपवीत संस्कार समारोह रखा गया। इसमें 13 बटुक ब्राम्हणों के यज्ञोपवीत संस्कार विद्वान पुरोहित ने विधि विधान सहित वेदमंत्रोच्चार पढ़कर पूर्ण कराए। पलिया कला से हर्ष मिश्रा, वसुलिया गांव शाहजहांपुर से करुण द्विवेदी, कुसमोरी अलीगंज से अमल कुमार शुक्ल, काकूपुरियान पलिया कला से ही अभय प्रताप दीक्षित, मोहल्ला बाजार पलिया कला लखीमपुर खीरी से ही अभिषेक मिश्र, काकूपुरवा पलिया लखीमपुर खीरी से शेखर मिश्र, मोहल्ला काकूपुरिया पलिया कला लखीमपुर खीरी से सिद्वांत मिश्र, सिकटिया लखीमपुर खीरी से शिवराम पांडेय, हरिहर शुक्ल खैरगढ़, शिखर शुक्ल सिंगाही शाहजहांपुर और योगेश तिवारी पिपर पटिहन पीलीभीत के यज्ञोपवीत संस्कार किए गए। पुरोहित आचार्य ने यज्ञोपवीत करने के बाद इन बटुक ब्राम्हणों को प्रतिदिन यज्ञोपवीत संस्कार के नियम पालन की सीख भी दी।
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