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Photograph: (IANS)
बरेली,वाईबीएनसंवाददाता
मुसलामानो के आर्थिक पिछडे़पन को दूर करने के लिए आर्थिक रूप से सम्पन्न मुसलामानो को सामने आना चाहिए। अगर यह लोग इस्लाम में बताए जकात के निजाम को पूरी तरीके से अमल में लाए तो मुसलमान आर्थिक रूप से सम्पन्न हो जाऐंगे। यह विचार आल इंडिया जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुददीन रजवी ने आज प्रेस को जारी बयान में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस्लाम के जकात सिस्टम को अगर मुसलमान पूरी तरीके से अमल में ले आएं तो भारत के मुसलमानों की गरीबी दूर हो जाएगी। उनको फिर किसी भी सरकार के सामने दामन फैलाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
मााहे रमजान में जकात की अहमियत
मौलाना ने कहा कि मााहे रमजान में आर्थिक स्थिति एक साथ कई स्तरो पर मजबूत होती हैं, लेकिन इस महीने का सबसे अहम काम जकात अदा करना है। जो किसी भी देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर कर सकती है। जद्दोजेहद करने वाले लाखों लोगों की ज़िंदगीयों को बदलने और उन्हें आत्म निर्भर बनाने की ताकत जकात में है। आर्थिक पिछड़ेपन से जूझ रहे एक बड़े वर्ग को यह उनके पांव पर खड़ा कर सकती हैं। इसको अपनाने से अमीरी और ग़रीबी के अंतर को कम किया जा सकता है।
आर्थिक सशक्तिकरण के लिए मुस्लिम समाज को आगे आना होगा
मौलाना ने कहा इसके लिए आर्थिक रूप से समपन्न मुसलमानों को सामने आना पड़ेगा। उनको जकात को एक जगह इकठठा करके योजनाबदध तरीके से काम करते हुए बैतुल माल की स्थापना करनी होगी और ये संस्था एक बैंक की तरीके से ही काम करेगी। बैतुलमान में आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमानो का रिकॉर्ड रखा जाए। इस रिकार्ड की बुनियाद पर सर्वे कराकर जकात की रकम गरीब मुसलमानो में बांटी जाए। इस पैसे से बेरोज़गार मुस्लिम नौजवानो को रोजगार के मौके उपलब्ध कराए जाएं। ग़रीब छात्र छात्राओं की फीस अदा की जाएं। यतीमों और बेवाओं को आर्थिक संरक्षण दिया जाए। पिछड़े क्षेत्रों में स्कूल, कालेज, मदरसे खोले जाएं, और उसमें मुफत दी जाएं। ये तमाम चिजें जकात के पैसे को एक जगह एकठठा करके की जा सकती है।
मौलाना ने कहा कि भारत के पैसे वाले मुसलमान सिर्फ 10 साल जकात के सामूहिक फारमूले को अपना लें, तो भारत का मुसलमान आर्थिक सम्पन्न्ता की एक नई सीढ़ी चढ़ता हुआ नजर आएगा।