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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
Bareilly News : भारत में ऑटिज्म एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। भारत में करीब 36 लाख से ज्यादा लोग इससे पीड़ित हैं। बुधवार बरेली के आर्मी पब्लिक स्कूल में इसे लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जीवनधारा पुनर्वास एवं शोध संस्थान और आर्मी पब्लिक स्कूल के संयुक्त तात्वावधान में विश्व स्वलीनता जागरूकता दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ आर्मी पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या डॉ. सरिता सिरोही, उप प्रधानाचार्य एनके माथुर, संस्थान के हर्ष चौहान, एकराम सिंह और विशेष बच्चों ने किया।
प्रधानाचार्या डॉ. सरिता सिरोही ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों के बारे में जागरूकता, स्वीकृति और समावेश को बढ़ावा देना था। जिसमें इंटरैक्टिव व फन गेम्स, ड्राइंग व क्राफ्ट गतिविधियां और संवेदीकरण कार्यक्रमों को शामिल किया गया।
संस्थान के चेरमैन डॉ. अमिताव मिश्राने बताया कि ऑटिजम से भारत में लगभग 36 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। ऑटिजम (स्वलीनता) एक जटिल विकासात्मक असमर्थता है। ऑटिजम का प्रभाव मस्तिष्क के सूचना संकलन पर पड़ता है। इससे सही ढंग से देखकर सुनकर या महसूस कर समझने में समस्या होती है। ऑटिजम को मेडिकल भाषा में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर के नाम से जाना जाता है। यह एक विकास संबंधी गड़बड़ी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को बातचीत करने, पढ़ने-लिखने और सामाजिक मेलजोल बनाने में परेशानी आती है। ऑटिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें पीड़ित व्यक्ति का दिमाग अन्य व्यक्तियों की तुलना में अलग तरीके से काम करता है।
कार्यक्रम में शाश्वती नंदा, डॉ. पारूल मिश्रा, आयुष गगन, ललिता कुमारी, हर्ष चौहान, सोनल भाटिया, हेमा चौहान, ममता दिवाकर, रूकसार खान, फारिया, रजनी गंगवार, सोनम पांडेय, काजल यादव, नाजिया इरफान, सिकन कुमार सामंतराय, रंजना पाल, अर्शी, फुरकाना नाज आदि मौजूद रहे।
दूसरों से अलग होते हैं ऑटिज्म से पीड़ित लोग
ऑटिज्म से पीड़ित लोग दूसरों से अलग होते है। जहां कुछ लोगों को पढ़ने लिखने में परेशानी होती है तो वहीं कुछ मरीज या तो पढ़ने लिखने में बहुत तेज होते हैं या सामान्य होते हैं। परिवार के सदस्यों, अध्यापकों और दोस्तों के सहयोग से ये लोग नए कौशल सीखने में सक्षम होते है और बिना किसी सहारे के काम कर पाते है। उन्होंने कहा कि सही उपचार से ऐसे लोगों को सामाजिक व्यवहार और नई स्किल्स सीखने में मदद मिलती है, जिससे वे अपना जीवन बेहतर तरीके से जी पाते हैं। स्वलीनता समाज और राष्ट्र के लिए एक घातक छुपी हुई विकलांगता है, जिसका निदान जागरूकता से किया जा सकता हैं।
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