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Smart City Project : एक साल में ही बंद हो गई 91 लाख की घड़ी

स्मार्ट सिटी के नाम पर नगर निगम ने किस तरह से जनता की गाड़ी कमाई से मिले बजट का दुरुपयोग किया। इसकी एक बानगी कुतुबखाना में लगी घड़ी से देखी जा सकती है। करीब एक-डेढ़ साल पहले ही इसके जीर्णोंद्धार पर 91 लाख रुपये खर्च किए गए थे, मगर अब यह बंद पड़ी है।

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KP Singh
घंटाघर
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

बरेली। स्मार्ट सिटी के नाम पर नगर निगम ने किस तरह से आम जनता की गाड़ी कमाई के टैक्स से मिले सरकारी बजट का दुरुपयोग किया। इसकी एक बानगी कुतुबखाना में लगी घड़ी से देखी जा सकती है। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत करीब एक-डेढ़ साल पहले ही इसके जीर्णोंद्धार पर 91 लाख रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन अब इसकी टिकटिक बंद हो गई है। घंटे की आवाज भी सुनाई नहीं देती। 

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अब शहरवासी नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। स्मार्ट सिटी के कामों के बारे में शहर के अंदर आम धारणा है कि इसमें बजट का भारी दुरुपयोग किया गया है। स्मार्ट सिटी के कामों में नीचे से लेकर ऊपर तक कमीशन का खेल चला है। इस खेल में घटिया गुणवत्ता की सामग्री मंगाकर लगा दी गई। अब धीरे-धीरे इन कामों की पोल खुल रही है। 

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जन सेवा समिति ने की घंटी ठीक कराने की मांग

जन सेवा समिति के अध्यक्ष पम्मी खां वारसी ने नगर निगम प्रशासन से इस घड़ी को जल्द से जल्द ठीक कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि काफी जद्दोजहद के बाद सन 2022 में घंटाघर का जीर्णोंद्धार किया गया, इस पर 91 लाख रुपये खर्च किए गए मगर शहर की पहचान कही जाने वाली यह घड़ी पिछले कई महीनों से खराब पड़ी है। हर घंटे बोलने वाला इसका घंटा भी बंद है। 

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घड़ी की मरम्मत करने वाला कोई मिल नहीं रहा। जिस फर्म ने घंटाघर का जीर्णोंद्धार किया था, उसका मेंटेनेंस पीरियड खत्म हो गया है। कई लोगों से बात की गई है, जीर्णोंद्धार करने वाली फर्म से भी संपर्क किया गया है। जल्द ही घड़ी को ठीक करा दिया जाएगा। - संजीव कुमार मौर्य, नगर आयुक्त बरेली

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