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भक्त प्रहलाद की कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता

शाहजहांपुर संकट मोचन हनुमान मंदिर खिरनी बाग धर्मशाला सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में शुक्रवार को कथा व्यास डॉक्टर निर्मल द्विवेदी ने भक्त प्रहलाद की कथा का श्रवण कराया।

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Sudhakar Shukla
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बरेली संवाददाता

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बरेली। शाहजहांपुर संकट मोचन हनुमान मंदिर खिरनी बाग धर्मशाला सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में शुक्रवार को कथा व्यास डॉक्टर निर्मल द्विवेदी ने भक्त प्रहलाद की कथा का श्रवण कराया। श्री धाम वृंदावन से पधारे कथा व्यास निर्मल दिवेदी ने कथा सुनाते हुए श्रोताओं को भक्ति की राह पर चलने की शिक्षा दी।

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क्या कथा व्यास ने

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कथा व्यास ने कहा कि प्रहलाद जन्म लेते ही वह भक्ति के सागर में गोते लगाने लगे। यह बात उनके पिता राक्षस राज हिरण कश्यप को पता लगी तो उसने अपने पुत्र को समझाने का प्रयास किया। राक्षस राज ने अपने पुत्र कहा कि भगवान विष्णु की भक्ति करना छोड़ दो।  हिरण कश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था। लाख प्रयास करने के बाद भी भक्त प्रहलाद ने भगवान विष्णु की उपासना नहीं छोड़ी। वह रात दिन भक्ति में रमता चला गया। हिरण कश्यप ने प्रहलाद को मारने के अनेकों प्रयास किए, परंतु जब सफल न हुआ तो उसकी बहन होलिका ने अपने भाई से कहा आप क्यों परेशान हो। हमें ब्रह्मा का वरदान है। आग हमें जला नहीं सकती।

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बुराई पर सच्चाई की जीत

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चिता बनाई जाए मैं उस चिता पर प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर बैठ जाती हूं। प्रहलाद आग मे जल जाएगा। मैं ब्रह्माजी के वरदान से बच जाउंगी। परंतु, भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ। होलिका आग में जलकर राख हो गई। बुराई पर सच्चाई की जीत के रूप में होलिका का आज भी दहन किया जाता हैं।

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हिरण कश्यप का उद्धार किया

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कथा व्यास ने बताया कि आग में जलते समय होलिका ने ब्रह्मा जी से कहा कि आपने मेरे साथ छल किया। यह आपका कैसा वरदान हैं। ब्रहमा जी ने उसी समय होलिका से कहा कि मेरे दिए हुए वरदान से यदि आप धर्म की रक्षा करती तो ये हमेशा आपके पास रहता। महाराज जी ने बताया कि भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण करके हिरण कश्यप का उद्धार किया।

व्यास पीठ का पूजन कथा के मुख्य यजमान हरी शरण बाजपेई एवं उनकी धर्मपत्नी सीमा बाजपेई ने किया पूजन श्री धाम बृंदावन से आएं आचार्य मयंक शर्मा ने कराया।

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