Advertisment

प्रेम जगत मे सार... भजन पर झूम उठे श्रोता, तालिया की गड़बड़ाहट से गूंज उठा पंडाल

बांके बिहारी मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठ दिवस में वृंदावन धाम से पधारे आचार्य श्याम बिहारी चतुर्वेदी ने कथा सुनाते हुए भक्तों को बताया कि गोपियों ने किस तरह से उद्धव को अपने प्रेम का पाठ पढ़ाया।

author-image
Sudhakar Shukla
katha be
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

बरेली, वाईबीएन संवाददाता

Advertisment

बरेली। बांके बिहारी मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठ दिवस में वृंदावन धाम से पधारे आचार्य श्याम बिहारी चतुर्वेदी ने कथा सुनाते हुए भक्तों को बताया कि गोपियों ने किस तरह से उद्धव को अपने प्रेम का पाठ पढ़ाया। उद्धव जी ज्ञानी तो थे, परंतु उनमें प्रेम क्लेश मात्रा नहीं था। जिसके कारण उनका ज्ञान अधूरा था।

भगवान का आदेश: उद्धव को मथुरा से वृंदावन भेजा

भगवान ने उनको मथुरा से वृंदावन भेजा। वृंदावन पहुंचकर उन्होंने बाबा नंद और यशोदा से भेंट की। उद्धव यशोदा से मिलकर बड़े ही भावुक हो गये। बहुत सी बाल लीलाएं मैया यशोदा ने उनको सुनायी। यह सुनकर के उद्धव जी अत्यंत भाव विभोर हो गए। इसके बाद गोपिया उनसे मिलने के लिए आईं । गोपियों ने कहा कि उद्धव तुम्हें किसने भेजा है। श्याम सुंदर ने तुम्हें हमारे पास भेजा है। हमें मनाने के लिए। हम मानने वाली नहीं है। गोपियों ने कहा,  देखो उद्धव।

Advertisment

इसे भी पढ़ें-शिव कैलाश के वासी... वाद्य यंत्र पर इंस्ट्रूमेंट गुरुओं ने लूट ली महफिल

गोपियों का प्रश्न: तन के बाद क्या मन से भी कृष्ण को ले जाओगे

एक अक्रूर आया था, जो हमारे तन के कृष्ण को लेकर चला गया है। अब आप उद्धव जी आए हैं। तो क्या हमारे मन के अंदर जो कृष्णा है। उसको लेने के लिए आए हो। उद्धव ने कहा कि अपने मन की मालीनता को मिटा दो। श्याम सुंदर साक्षात ब्रह्म है। वह घट-घट वासी है।  इसलिए, अपने मन को निर्गुण ब्रह्म में लगाओ।

Advertisment

इसे भी पढ़ें-प्रधानमंत्री के मन की बात: लोगों में बढ़ रही मोटापे की समस्या

गोपियों का ज्ञान: प्रेम से हर रूप में प्रकट होते हैं भगवान

गोपियों ने कहा कि निर्गुण और सगुण में कोई भेद नहीं है।  अगर प्रेम है तो भगवान खंभे से भी प्रकट हो सकते हैं। प्रेम है तो भगवान पत्थर से भी भगवान बन सकते हैं। हमारे हृदय के स्वामी सिर्फ भगवान श्याम सुंदर है।सब कुछ हमारा सर्वस्व केवल श्यामसुंदर ही है। उनके अलावा कुछ नहीं है। उद्धव जी ने यह बातें सुनकर के विचार किया।  गोपिया ज्ञान स्वरूप है।  प्रेम सर्वोपरि है। सच कहा है कि इस प्रेम के द्वारा ही तो प्रह्लाद ने खंभे से भगवान नृसिंह को प्रकट कर लिया था।

Advertisment

इसे भी पढ़ें-रुहेलखंड विश्वविद्यालय के 15 से अधिक Students ने पास की यूजीसी नेट और जेआरएफ परीक्षा

कथावाचक ने सुनाया रुक्मणी-कृष्ण विवाह का रोचक प्रसंग

उद्धव मथुरा गये और भगवान ने  उद्धव को  प्रेम का सार बताया।  मै हर जगह प्रेम से प्रकट हो जाता हूं । मुझे जो प्रेम से भजता है। मैं उसकी निकट में ही रहता हूं। इसके बाद कथावाचक ने रुक्मणी और कृष्ण के विवाह का प्रसंग सुनाया। इन सबको सुनकर के श्रोता अत्यंत भाव विभोर हो गए।

जगदीश भाटिया के भजन से गूंजा भक्ति रस, श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

गायक जगदीश भाटिया ने भजन सुनाया, लगन लगी घनश्याम से ...। यह भजन सुनकर के श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए। इस मौके पर दूर-दूर से श्रोता आ रहे हैं। पूरा माहौल भक्ति मय था। इस मौके पर भजन गायक जगदीश भाटिया, राघवेंद्र  सिंह, रजत, सोनल , विनोद, दीपक भाटिया, गीता, रितु, रामा, बबीता,सुस्मिता, इत्यादि बहुत से श्रोता वहां पर पहुंचकर के कथा से आनंद लियाl l

Advertisment
Advertisment