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Bihar Elections 2025 : महागठबंधन के भीतर क्यों मचा 'घमासान', क्या NDA को मिलेगा 11 सीटों का फायदा? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण से ठीक पहले, महागठबंधन में 11 सीटों पर मची 'फ्रेंडली फाइट' ने सियासी गणित को पूरी तरह उलझा दिया है। इन सीटों पर सहयोगी दल ही आपस में ताल ठोक रहे हैं, जिनमें से 5 पर पहले चरण की 6 नवंबर को वोटिंग हो चुकी है। राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह 'अंदरूनी टकराव' सीधे तौर पर एनडीए को बढ़त दिला सकता है। यह तनाव गठबंधन की एकजुटता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
बिहार चुनाव का दूसरे चरण के मतदान 11 नवंबर के लिए तैयार है, लेकिन इस बार लड़ाई सिर्फ एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं है। विपक्षी खेमे के भीतर ही एक 'साइलेंट वॉर' छिड़ चुकी है। जिस मजबूती का दावा महागठबंधन कर रहा था, वह जमीन पर 11 सीटों पर 'दोस्ताना लड़ाई' के रूप में बिखरती दिख रही है।
सवाल यह है कि इस 'फ्रेंडली फाइट' की हकीकत क्या है और यह महागठबंधन के सपनों को कैसे तोड़ सकती है?
सहयोगी दलों का अपने ही साथियों के खिलाफ ताल ठोकना, यह सिर्फ मामूली विवाद नहीं है। यह सीट बंटवारे में आई दरार का सीधा प्रमाण है। जब गठबंधन के प्रमुख दल, जैसे आरजेडी और कांग्रेस, या सीपीआई जैसी छोटी पार्टियां आपस में भिड़ती हैं, तो इसका सीधा असर मतदाता के मन पर पड़ता है। वोटर भ्रमित होता है और अंततः इसका सबसे ज्यादा लाभ सीधा प्रतिद्वंद्वी यानी एनडीए उठाता है।
पहले चरण का सियासी संग्राम 5 सीटें, 5 बड़ी चुनौतियां पहले चरण में कुल 121 सीटों पर मतदान हो चुका है, और 11 नवंबर को दूसरे चरण की वोटिंग होनी है। लेकिन सबकी निगाहें उन 5 सीटों पर टिक गई हैं, जहां महागठबंधन के अपने ही प्रत्याशी एक-दूसरे के सामने हैं। यह स्थिति गठबंधन की बुनियाद को हिलाने वाली है।
| सीट जिला | महागठबंधन का आंतरिक मुकाबला | NDA को संभावित फायदा |
| बिहारशरीफ नालंदा | CPI Vs कांग्रेस | सीधा फायदा- नीतीश कुमार का गढ़ |
| राजापाकर वैशाली | CPI Vs कांग्रेस | वोटों का बंटवारा- NDA। की राह आसान |
| बछवाड़ा बेगूसराय | CPI Vs कांग्रेस | वाम और कांग्रेस समर्थक |
| भ्रमित-वैशाली | RJD Vs कांग्रेस | यादव-मुस्लिम वोट बैंक में सेंध |
| बेलदौर खगड़िया | IIP Vs कांग्रेस | स्थानीय समीकरणों का बिगड़ना |
इन पांचों सीटों पर गठबंधन की ऊर्जा एनडीए के खिलाफ लड़ने के बजाय, आपस में ही खर्च हो रही है। सोचिए, एक कार्यकर्ता को यह समझाना कितना मुश्किल होगा कि उसे गठबंधन के आधिकारिक उम्मीदवार को नहीं, बल्कि उसके 'दोस्त' उम्मीदवार को वोट देना है। यह जटिलता ही हार की नींव रखती है। क्या गौरा-बौराम का 'पैचअप' सबको बचा पाएगा?
दरभंगा की गौरा-बौराम सीट पर वीआईपी VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने अपने भाई का नामांकन वापस लेकर आरजेडी के बागी उम्मीदवार को समर्थन दिया है। इस कदम को डैमेज कंट्रोल Damage Control की कोशिश के तौर पर देखा गया। "सहनी ने एक सीट पर 'भाईचारा' दिखाया, लेकिन 11 सीटों पर मची 'जंग' क्या सिर्फ एक कुर्बानी से शांत हो जाएगी? यह 'पैचअप' एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि बाकी सीटों पर समन्वय क्यों नहीं बन पाया।"
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दूसरे चरण में भी नहीं थमेगा टकराव 6 और सीटें खतरे में
पहले चरण की टेंशन खत्म भी नहीं होगी कि दूसरे चरण 11 नवंबर की 6 सीटें महागठबंधन के लिए नया सिरदर्द लेकर खड़ी हैं। ये सीटें भी महत्वपूर्ण हैं और यहां के नतीजे पूरे चुनावी गणित को प्रभावित कर सकते हैं।
सुल्तानगंज भागलपुर – RJD Vs कांग्रेस: शहरी और ग्रामीण वोटरों का मिश्रण, दोनों के बीच लड़ाई से सीधा नुकसान।
कहलगांव भागलपुर – RJD Vs कांग्रेस: एक समय कांग्रेस का गढ़, अब RJD की एंट्री से सियासी समीकरण बिगड़े।
नरकटियागंज पश्चिम चंपारण – RJD Vs कांग्रेस: पश्चिमी चंपारण जैसे संवेदनशील इलाके में आंतरिक मतभेद।
करगहर रोहतास – CPI Vs कांग्रेस: वाम और कांग्रेस का टकराव, पारंपरिक वोट बैंक बंटेगा।
चैनपुर रोहतास – RJD Vs VIP: आरजेडी और वीआईपी का आमने-सामने आना, एक बड़ी गलती।
सिकंदरा गया – RJD Vs कांग्रेस: मगध क्षेत्र में भी एकजुटता की कमी साफ़।
क्यों हुआ यह 'विस्फोट'?: अंदरूनी सूत्रों की मानें तो यह टकराव सिर्फ सीटों के बंटवारे का नहीं, बल्कि अहंकार और अति-आत्मविश्वास का नतीजा है।
देरी से सीट शेयरिंग: चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद भी लंबे समय तक सीटों पर खींचतान चलती रही।
बड़े दलों का रवैया: आरजेडी और कांग्रेस जैसे बड़े दलों ने छोटे सहयोगियों की 'जीती हुई' सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतार दिए।
स्थानीय नेताओं की बगावत: कई सीटों पर मजबूत स्थानीय नेताओं को टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने बागी होकर 'फ्रेंडली फाइट' का नाम दे दिया।
वोट बैंक पर सीधा असर: किसका वोटर किधर जाएगा?
यह 'दोस्ताना लड़ाई' सिर्फ चुनाव आयोग के कागजात पर नहीं है, इसका सीधा असर महागठबंधन के मुख्य वोट बैंक पर पड़ेगा।
मुस्लिम-यादव M-Y समीकरण पर चोट: जहां आरजेडी और कांग्रेस आमने-सामने हैं जैसे वैशाली, सुल्तानगंज, वहां मुस्लिम और यादव वोटों में भ्रम पैदा होगा।
एक धड़ा RJD को तो दूसरा कांग्रेस को वोट देगा, जबकि तीसरा धड़ा चुपचाप NDA की ओर खिसक सकता है।
वाम दलों का कोर वोटर: सीपीआई और कांग्रेस के बीच की लड़ाई बिहार शरीफ, बछवाड़ा वामपंथी कोर वोटर को निराश करेगी।
यह वोटर या तो मतदान नहीं करेगा या अपने पारंपरिक 'एंटी-एनडीए' वोट को ही खराब कर देगा।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. रमेश झा कहते हैं, "चुनावी गणित में 11 सीटें बड़ा नंबर होती हैं। अगर इन 11 सीटों पर महागठबंधन के वोट 20 परसेंट भी बंट गए, तो NDA की जीत का अंतर 5000 से 15000 वोटों के बीच हो सकता है। यह 11 सीटें एनडीए के लिए 'फ्री पास' साबित हो सकती हैं।"
एनडीए की 'साइलेंट स्ट्रेटजी' फायदा उठाने की तैयारी
सत्ताधारी एनडीए खेमा इस अंदरूनी कलह पर खुलकर कुछ नहीं कह रहा है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि उनकी रणनीति साफ है। साइलेंट कैंपेनिंग एनडीए के प्रत्याशी इन 11 सीटों पर अपनी कैंपेनिंग को शांत और केंद्रित Focused रखे हुए हैं। वे जानते हैं कि महागठबंधन जितना आपस में लड़ेगा, उतना ही उनका काम आसान होगा।
एंटी-इनकम्बेंसी का फायदा: इन सीटों पर जहां महागठबंधन आपस में लड़ रहा है, वहां एनडीए एंटी-इनकम्बेंसी वोटों को एकमुश्त अपनी तरफ मोड़ने की कोशिश करेगा।
एकजुटता बनाम बिखराव एनडीए: PM मोदी और CM नीतीश कुमार की एकजुटता को बार-बार दिखाकर महागठबंधन के बिखराव पर चोट करेगा।
बिहार चुनाव 2025: मतदान और मतगणना की तारीखें
यह चुनाव दो चरणों में हो रहा है, जिसका नतीजा 14 नवंबर को आएगा। पहला चरण 6 नवंबर - 18 जिलों की 121 सीटों पर मतदान। दूसरा चरण 11 नवंबर - 122 सीटों पर वोटिंग। मतगणना 14 नवंबर को होगी। महागठबंधन के लिए अब सिर्फ कुछ ही घंटे बचे हैं, ताकि वह अपने कार्यकर्ताओं को समझा सके और इस 'फ्रेंडली फाइट' के नुकसान को कम कर सके। क्या वे ऐसा कर पाएंगे या फिर 11 सीटों का यह घमासान उनकी जीत की राह में सबसे बड़ी रुकावट बनेगा? इसका फैसला 14 नवंबर को होगा।
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