पटना, वाईबीएन नेटवर्क। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज बड़ी चुनौती पेश करेगी। पार्टी इसके लिए चरणबद्ध तरीके से तैयार कर रही है। सत्तारुढ़ जनता दल (यूनाइटेड) के सामने
बिहार में अपनी सत्ता बचाने की चुनौती होगी तो भाजपा का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने का काम भी जदयू को मिलने वाली सीटों से ही तैयार होगा। कांग्रेस के खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन जिस तरह से राहुल और प्रियंका गांधी बिहार से खुद को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं उस तरह से कांग्रेस को यदि कुछ रेस्पांस मिला तो वह भी जदयू को ही डैमेज करने वाला होगा। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तेजस्वी यादव भले पिछड़े, दलित और मुस्लिम कांबिनेशन में ताल ठोक रहे हों लेकिन राजद की पिछली सरकारों का रिपोर्ट कार्ड भी उनके साथ - साथ चल रहा है।
जानिए क्या है प्रशांत किशोर की रणनीति
जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर का कहना है कि पिछले तीन दशकों में आई सरकारों से बिहार की जनता तंग आ चुकी है और बदलाव चाहती है। अगले महीने जन सुराज की ओर से बदलाव यात्रा का आयोजन किया जाएगा। इससे पहले जन सुराज के द्वारा राज्य में एक करोड़ हस्ताक्षर कराए जाएंगे। जन सुराज का हस्ताक्षर अभियान 11 मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जनपद नालंदा से शुरू होगा। प्रशांत किशोर ने बताया कि हस्ताक्षर अभियान का आधार होगा। लोगों को तीन सवाल दिए जाएंगे। पहला सवाल जाति गणना, दूसरा दलित महादलित परिवारों को जमीन देने और तीसरा भूमि सर्वेक्षण के सवाल पर हस्ताक्षर कराए जाएंगे। जाहिर तौर पर प्रशांत किशोर को यदि जनता तवज्जो देगी तो कहीं न कहीं नुकसान जदयू और भाजपा का ही होगा।
बिहार में राजनैतिक दलों की स्थिति
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटे हैं। वर्तमान में कुल 242 विधायक हैं, दरअसल राजद के विधायक अयोग्य घोषित किए जा चुके हैं। सत्तारुढ़ जदयू के 45 और एक निर्दलीय समेत उसके विधायकों की संख्या 46 है। राजद के 79 और कांग्रेस के कुल 19 विधायक हैं। माकपा माले के 12 और भाकपा के दो विधायक हैं। भाजपा के 77 और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का एक विधायक है। यानी सूबे भाजपा नंबर एक की पार्टी और नंबर तीन की पार्टी जदयू के साथ सरकार में शामिल है। राजद,
बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है और विपक्ष में होने के चलते एंटी इनकमबेंसी की मार भी उसे नहीं झेलनी पड़ेगी, ऐसे में राजद को बहुत नुकसान होने की उम्मीद कम ही है।