बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सभी सियासी दलों ने अपनी तरकश में तीर जुटाने शुरू कर दिए हैं। इसी क्रम में एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कल ही ही भाजपा ने बिहार प्रदेश में नए अध्यक्ष की घोषणा की है। चुनाव नजदीक देख दूसरे मामलों में पार्टी आगे बढ़ रही है। बेशक भाजपा नेता शहनवाज हुसैन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही अगली एनडीए सरकार बनने का दावा किया है लेकिन इस बार बिहार में सीटों के बंटवारे के गणित में भाजपा लीड करने वाली है, और इससे भी बड़ी बात यह होगी कि बिहार चुनाव में भी एनडीए गठबंधन का मुख्य चेहरा पीएम नरेंद्र मोदी होंगे।
तो क्या दूसरे नंबर पर होगी नीतीश की पार्टी
सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ही होगी। भाजपा की करीब 110 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है। ढाई दशक पुराने इस गठबंधन में पहली बार नीतीश की पार्टी जदयू भाजपा से कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जदयू को बिहार चुनाव में केवल 90 सीटें मिलने की उम्मीद जाहिर की जा रही है। बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। बाकी बची 43 सीटें एनडीए गठबंधन की दूसरी पार्टियों को मिलेंगी। हालांकि, भाजपा प्रदेश परिषद की बैठक में बतौर चुनाव पर्यवेक्षक पहुंचे केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी दोहराया कि एनडीए 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।
बिहार में सुशासन बाबू का उतार शुरू
सियासी जानकारों का मानना है कि लालू यादव के बाद बिहार में लंबे समय तक राज करने वाले सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार का उतार शुरू हो गया है। एनडीए गठबंधन को अब बिहार में भाजपा ही लीड करेगी। इस कारण सीटों की संख्या और मत प्रतिशत को बताया जा रहा है और भाजपा इसी आधार पर आने वाले चुनाव में गठबंधन में सीटों का गणित फिक्स करेगी। बता दें कि बिहार में पिछले 20 वर्षों में लगातार भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ा है और उसी अनुपात में बिहार में एनडीए गठबंधन में भाजपा की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है, इस बार भाजपा की हिस्सेदारी जदयू से आगे निकलने वाली है।
पिछले चुनाव का गणित भी समझें
पिछली बार बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन से भाजपा को 110 सीटें मिली थीं, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी 115 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। अन्य दलों को मात्र 18 सीटें मिली थीं। इस बार अन्य दलों को 40 से अधिक सीटें देने की तैयारी है। यानी इस बार छोटे दलों को करीब 22 सीटों की बढ़त मिलने वाली और यह सभी सीटें जदयू के खाते से आने वाली हैं, भाजपा अपनी एक भी सीट कम नहीं करेगी।