पटना, वाईबीएन नेटवर्क। बिहार एक बार फिर देशभर की सियासी सुर्खियों में है, और वजह भी खास है। दरअसल, 2025 के सितंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव इस बार कुछ अलग ही रंग में नजर आने वाले हैं। बीते दो दशकों तक जहां मुकाबला दो ध्रुवों के बीच होता रहा – एक तरफ एनडीए और दूसरी तरफ महागठबंधन – वहीं अब तीसरा कोण भी जोरदार एंट्री ले चुका है।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी बनी 'गेम चेंजर'
बिहार की राजनीति में वर्षों तक रणनीतिकार की भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर अब खुद मैदान में उतर चुके हैं और उनकी जन सुराज पार्टी ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। सियासी जानकारों की मानें तो प्रशांत किशोर अब किसी दल या गठबंधन के पीछे छिपे खिलाड़ी नहीं, बल्कि सीधे मोर्चे पर हैं और जनता का एक बड़ा वर्ग तेजी से उनकी तरफ आकर्षित हो रहा है। इससे पहले बिहार की राजनीति की धुरी एनडीए और महागठबंधन के इर्द-गिर्द घूमती थी। कभी बीजेपी के साथ तो कभी राजद के साथ, नीतीश कुमार ने सत्ता की बागडोर थामी, लेकिन अब जो समीकरण बन रहे हैं, वो इशारा कर रहे हैं कि इस बार
मुकाबला त्रिकोणीय होगा – एनडीए बनाम महागठबंधन बनाम जन सुराज
पार्टी।
कौन किसके साथ? जानिए मुकाबले की दिलचस्प तिकड़ी
एनडीए (NDA) – बीजेपी और नीतीश कुमार की अगुवाई वाला गठबंधन।
महागठबंधन (INDIA Bloc) – राजद, कांग्रेस और अन्य दलों का गठबंधन, जिसके चहेते नेता हैं तेजस्वी यादव।
जन सुराज पार्टी – प्रशांत किशोर की नई पार्टी, जो भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और विकास जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच नई उम्मीद बनकर उभरी है। प्रशांत किशोर का दावा है कि बिहार के असली विकास का मॉडल सिर्फ उनकी पार्टी के पास है। उन्होंने जनता को 'नई दिशा' देने का वादा किया है, और उनकी सभाओं में बढ़ती भीड़ इसका प्रमाण भी दे रही है।
C वोटर का सर्वे – जनता का मूड क्या कहता है?
हाल ही में आए C-Voter के सर्वे में जनता की पसंद भी काफी दिलचस्प नजर आई। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए सबसे ज्यादा लोगों ने तेजस्वी यादव का नाम लिया है, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि प्रशांत किशोर ने दूसरी पोजीशन पर पहुंचकर नीतीश कुमार को पीछे छोड़ दिया है।
तेजस्वी यादव– 36% जनता की पहली पसंद (5% की गिरावट)
प्रशांत किशोर– 17% की पसंद (2% की बढ़ोतरी)
नीतीश कुमार– 15% लोगों की पसंद (3% की गिरावट)
सम्राट चौधरी– 13% जनता की पसंद (5% की तेजी)
चिराग पासवान– 6% लोगों की पसंद (2% की बढ़त)
इन आंकड़ों से साफ है कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है और पुरानी राजनीति से कुछ अलग करने को तैयार है।
आखिर किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा?
बिहार में त्रिकोणीय मुकाबले की यह तस्वीर बेहद दिलचस्प है। जहां एक ओर तेजस्वी यादव युवा जोश और सामाजिक समीकरणों के दम पर मैदान में हैं, वहीं नीतीश कुमार अपने पुराने अनुभव और गठबंधन के सहारे फिर वापसी की कोशिश में हैं। लेकिन इस बार जो सबसे नया और रोमांचक चेहरा उभरा है, वो हैं प्रशांत किशोर – जो बिहार को नई राजनीतिक भाषा देना चाहते हैं। अब देखना ये होगा कि बिहार की जनता किसे असली भरोसेमंद नेता मानती है और सितंबर 2025 में सत्ता की चाबी किसके हाथ लगती है।
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