पटना, वाईबीएन नेटवर्क।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का आगाज हो चुका है। राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडा सेट करने में जुट गए हैं। एनडीए ने जहां अपना एजेंडा लागू कर दिया है, वहीं राजद भी एक से बढ़कर एक मुद्दे उठा रही है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने सरकारी नौकरियों में 65 प्रतिशत आरक्षण लागू करने का मुद्दा उठाकर एक बार फिर 2015 और 2020 के चुनावों की याद दिला दी है। तेजस्वी यादव ने राज्य के युवाओं से ऐसे युवा नेता को वोट देने का आह्वान किया जो उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं को समझता हो। तेजस्वी लगातार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार ने अपने 20 साल के शासनकाल में बिहार की दो पीढ़ियों को बर्बाद कर दिया है और अगर उन्हें फिर मौका मिला तो वह तीसरी पीढ़ी को भी बर्बाद कर देंगे। ऐसे में तेजस्वी यादव ने नौकरी, डोमिसाइल और आरक्षण का मुद्दा उठाकर क्या बड़ा दांव खेला है?
युवाओं को लुभाने मे लगे तेजस्वी
तेजस्वी आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपने अभियान में युवाओं को लुभाने की कोशिश कर रहे है। उन्होंने इसकी शुरुआत भी कर दी है। तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 10 लाख नौकरियों का वादा करके युवाओं को खूब लुभाया था। अब तेजस्वी यादव नीति आयोग का हवाला देकर कह रहे हैं कि बिहार में प्रति 1 लाख छात्रों पर केवल 7 कॉलेज हैं। नीतीश कुमार अपने भाषणों में बता रहे हैं कि बिहार के कुल 534 ब्लॉकों में से लगभग 400 ब्लॉकों में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है। ऐसे में अगर आपको नौकरी, रोजगार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चाहिए तो मौजूदा सरकार को बदलना होगा।
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'युवा आयोग' के गठन का फेंका पासा
तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सरकारी नौकरियों में 65 प्रतिशत आरक्षण बहाल करने का वादा किया है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि सत्ता में आने के एक महीने के भीतर हम युवाओं के हित के लिए युवा आयोग का गठन करेंगे, सरकारी नौकरियों में 100 प्रतिशत डोमिसाइल नीति लागू करेंगे और बिहार सरकार की भर्ती परीक्षाओं के लिए ली जाने वाली फीस भी माफ करेंगे।
पीछे लालू यादव का दिमाग?
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तेजस्वी यादव के पीछे लालू यादव पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं? क्या राजद आने वाले विधानसभा चुनाव में आरक्षण का मुद्दा उछालकर बड़ी राजनीति साधने में जुट गई है? राजद के एक बड़े नेता की मानें तो इस बार तेजस्वी यादव युवाओं को लेकर कई और ऐलान करने वाले हैं। आने वाले दिनों में पटना में ही नहीं राज्य के हर जिले में 65 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के मुद्दे पर धरना-प्रदर्शन शुरू होगा। तेजस्वी यादव बिहार में अनुसूचित जाति और जनजाति, पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के युवाओं को नौकरी का नुकसान हो रहा है, यह घूम-घूमकर बताएंगे।
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क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो तेजस्वी यादव की इस रणनीति के पीछे लालू यादव का दिमाग काम कर रहा है। लालू यादव इस बार के चुनाव में हर हालत में इन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाना चाहते हैं। क्योंकि इस बार के चुनाव में युवा वोटरों की संख्या जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। ऐसे में नौकरी, डोमिसाइल और आरक्षण का मामला काफी असरदार साबित हो सकता है। साल 2022 में जब राज्य में महागठबंधन की सरकार थी तो आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाकर 65% कर दी गई थी। इस फैसले के बाद राज्य में EWS कोटे को मिलाकर बिहार में आरक्षण की सीमा 75% तक हो गई थी, लेकिन पहले हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में यह मामला गया और इस पर रोक लग गई। अब इस फैसले का लाभ एक बार फिर से राजद लेना चाहती है, शायद इसलिए तेजस्वी ने नीतीश सरकार और केंद्र सरकार को ‘आरक्षण चोर’ कहा है।