Advertisment

Budget 2025: बिहार की बहार, बजट में मिली सौगातें विधानसभा चुनाव में क्या खिलाएंगी सियासी गुल?

लगातार दूसरे बजट में बिहार को बंपर सौगात मिली हैं। पिछली बार गठबंधन धर्म का निर्वाह किया गया था तो इस बार सारा फोकस आगामी विधानसभा चुनाव है। बजट 2025-2026 में जेडीयू की मांगों पर भी विचार किया गया है। आखिर क्या-क्या मिला बिहार को और उसके क्या हैं मायने?

author-image
Vivek Sharma
BIHAR CHUNAV BUDGET
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

Advertisment

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बिहार को लेकर खास संजीदा है। इसकी साफ झलक 2025-26 के बजट में साफ तौर पर देखी गई। पिछले केंद्रीय बजट के मुकाबले इस बार ज्यादा मेहरबानी दिखने की एक वजह इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव भी हैं। देश की सत्ता में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा भले ही लगातार तीसरी बार काबिज हो, लेकिन बीजेपी बिहार में सरकार सरकार बनाने से अभी भी महरूम है। बीजेपी बिहार में नीतीश कुमार के सहारे सरकार में सिर्फ भागीदार है। 2025 के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी अभी से ही सारी कवायद कर रही है ताकि सत्ता में अपने दम पर आ सके. बिहार के जातीय और सियासी समीकरण साधने से लेकर विकास की सौगात से सियासी बिसात बिछाने की कवायद की है। बीजेपी बिहार में लगातार अपनी सियासी जमीन मजबूत कर रही है।

नीतीश की ताकत से हर कोई वाकिफ

अभी तक बिहार में बीजेपी अपना सीएम नहीं बना पाई। नीतीश कुमार के सहारे बीजेपी ने बिहार में सत्ंता का स्वाद चखा है। हालांकि सीटों के मामले में जेडीयू से ज्यादा सीटें होने के बाद भी बीजेपी अपना सीएम नहीं बना पाई। ऐसे में इस बजट के जरिए बीजेपी की कोशिश है कि बिहार में अपनी जड़ें मजबूत की जाएं और सीएम पद की दावेदारी की जाए लेकिन एक दूसरा पहलू यह भी है कि नीतीश के सामने बीजेपी के पास अभी कोई इतना बड़ा चेहरा नहीं है। नीतीश कुमार की बिहारी में सियासी ताकत से हर कोई अच्छी तरह वाकिफ है और नीतीश का आए दिन पाला बदलने की पॉलिटिक्स से भी भली भांति लोग परिचित हैं। बीजेपी अभी नीतीश से बिगाड़ करने की स्थिति में नहीं है और शायद यही वजह है कि बीजेपी ने ऐलान किया है कि 2025 का बिहार चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।  

Advertisment

एक तीर से मोदी सरकार के कई सियासी दांव 

2024 में पीएम मोदी देश में तीसरी बार सरकार बनाने में भले ही कामयाब रहे हों, लेकिन बीजेपी अपने दम पर बहुमत का नंबर नहीं जुटा सकी है. ऐसे में मोदी सरकार को चलाने के लिए सहयोगी दलों के सहारे की जरूरत है. टीडीपी के 18 और जेडीयू के 12 सांसद हैं, जिनके ऊपर ही मोदी सरकार टिकी हुई है. मोदी सरकार ने अपने दोनों ही सहयोगी दलों को साधे रखने के लिए सरकार बनने के जून में पेश किए गए बजट में खास पैकेज का ऐलान किया था. खैर मोदी सरकार ने  अपने तीसरे कार्यकाल के दूसरे आम बजट में अपने सहयोगी जेडीयू को साधे रखने का दांव चल दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि घटक दलों के दबाव में आए बिना सरकार चलाने को पीएम मोदी ने जेडीयू को खुश करने का दांव चला है। इस तरह एक तीर से मोदी सरकार ने कई सियासी दांव चले हैं। एक तरफ नीतीश कुमार के साथ मोदी सरकार ने सियासी बैलेंस तो दूसरी तरफ चुनाव से पहले बिहार को सियासी संदेश देने की कवायद की है। देखना है कि मोदी सरकार अपने सियासी मंसूबों में कितना कामयाब होती है?

जेडीयू के साथ बैलेंस बनाए रखने की मजबूरी

Advertisment

2024 में पीएम मोदी देश में तीसरी बार सरकार बनाने में भले ही कामयाब रहे हों, लेकिन बीजेपी अपने दम पर बहुमत का नंबर नहीं जुटा सकी है। ऐसे में मोदी सरकार को चलाने के लिए सहयोगी दलों के सहारे की जरूरत है. टीडीपी के 18 और जेडीयू के 12 सांसद हैं, जिनके ऊपर ही मोदी सरकार टिकी हुई है। मोदी सरकार ने अपने दोनों ही सहयोगी दलों को साधे रखने के लिए सरकार बनने के जून में पेश किए गए बजट में खास पैकेज का ऐलान किया था।

बिहार के पुराने घाव भरे

इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड का केंद्र सरकार में योगदान भी बजट (Budget 2025) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मेहरबानी की एक वजह है। वजह जो हो, कई पुराने घाव इस बजट ने भरे हैं। बिहार के लिए कई योजनाएं तो आई ही, कोसी-मिथिला क्षेत्र को राहत देने की खबर भी इस बजट के जरिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दी। केंद्रीय मंत्री लोकसभा में मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ी पहनकर आई थीं. ये साड़ी उन्हें पद्मश्री विजेता दुलारी देवी ने गिफ्ट में दी थी। इस साड़ी के बिहार कनेक्शन के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि बजट में बिहार के लिए कुछ विशेष घोषणाएं हो सकती हैं। वित्त मंत्री जैसे ही संसद में पहुंचीं और जैसे-जैसे बजट प्रस्ताव को पढ़ना शुरू किया, बिहार के लिए सौगातों का पिटारा खुलता गया। खास बात ये कि पिछले बजट में ही केंद्र ने बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए 26,000 करोड़ का पैकेज दिया था। पिछले बजट में बिहार के साथ-साथ आंध्र प्रदेश को भी बंपर सौगात मिली थी, लेकिन तब विपक्ष को सरकार पर यह निशाना साधने का मौका मिल गया कि बजट का ज्यादातर हिस्सा महज दो स्टेट यानी बिहार और आंध्र प्रदेश को ही क्यों दे दिया गया? सवाल उठा कि क्या केंद्र में एनडीए सरकार गठन में जेडीयू और टीडीपी के समर्थन के बदले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नाडयू को विशेष प्रसन्न करने की कोशिश की गई है? 

Advertisment

बिहार के लिए 5 बड़े ऐलान

 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बिहार के लिए खासतौर पर पांच बड़े ऐलान किये हैं। ये सभी ऐलान बिहार में बड़े बदलाव लाने के लिए प्रस्तावित हैं। इनमें पहला है- बिहार में मखाना बोर्ड बनाने का एलान, दूसरा है- IIT पटना के विस्तारीकरण का प्लान, तीसरा है- बिहार में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की सुविधा देने की बात, चौथा है- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फूड टेक्नॉलजी और मैनेजमेंट और पांचवां है- वेस्टर्न कोसी कैलान को वित्तीय मदद देने का एलान। देखा जाए तो इन ऐलानों से बिहार के हर क्षेत्र को साधने की कोशिश की गई है।  इन योजनाओं के जरिए एक बड़े वर्ग के लोगों के जीवन में बदलाव आएगा। 

बजट में बिहार पर बड़ा फोकस क्यों?

लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह सबसे पुरानी मांगों में से एक है। हालांकि किसी ना किसी बहाने को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा अब तक नहीं मिल सका. लेकिन उसके बदले केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर बिहार को विशेष पैकेज देने का एलान जरूर किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव-तेजस्वी यादव की आरजेडी से नाता तोड़कर फिर से एनडीए में आ चुके हैं। 

बीजेपी और जेडीयू  में भारी उत्साह 

बिहार में अब बीजेपी और जेडीयू की सरकार है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अब सियासत का सारा फोकस बिहार पर केंद्रित होने वाला है, क्योंकि प्रदेश में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा का चुनाव होने वाला है। पिछले बजट में 26,000 करोड़ के प्रोजेक्ट्स की सौगात के बाद अब बजट 2025-26 में एक बार फिर बिहार को प्रसन्न करके प्रदेश में बड़े वोट बैंक को अभी से साधने की कोशिश की गई है। दूसरी ओर इन सौगातों को बाद बीजेपी और जेडीयू के नेताओं का जोश चरम पर है। वहीं, कांग्रेस ने कहा कि बिहार में चुनाव है इसलिए मोदी सरकार सपने बेच रही है। बजट पर बिहार के कई नेताओं ने प्रतिक्रिया दी।

यह भी पढ़ें: Budget 2025: बिहार को ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट और मखाना बोर्ड की सौगात, सांसद संजय कुमार झा ने बजट को बताया ऐतिहासिक

मिथिला की मांग पूरी हुई: जेडीयू

जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय झा ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिहार के लिए सबसे बड़ी घोषणा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की है। मखाना बोर्ड के बनने से मिथिलांचल के किसानों को लाभ मिलेगा। यह बजट बिहार के लिए पूरी तरह से सुखद है। 

चुनाव से कोई लेना-देना नहीं: रूडी

सारण से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि बिहार अभी भी बहुत पिछड़ा है जिस पर पीएम मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महसूस किया कि बिहार को कुछ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बजट को बिहार जोड़ना गलत होगा। 

यह भी पढ़ें: Budget 2025: बिहार के लिए सात बड़ी घोषणाएं, नीतीश की राह आसान करने की कोशिश?

मखाना बोर्ड बनाना से क्या होगा? कांग्रेस

बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह बजट पर बोलते हुए कहा कि मजदूरों, गरीबों और युवाओं की क्या हालत है? उस पर कुछ नहीं बोला गया। सिर्फ वादे करने से बिहार का भला नहीं होगा। साथ ही कहा कि मखाना बोर्ज बनाने से क्या होगा? 

बजट पूरी तरह से जुमलेबाजी है: तेजस्वी

आम बजट पर बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार को कुछ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि  बिहार सरकार समेत सभी लोग विशेष पैकेज की मांग कर रहे थे. लेकिन, मिला क्या? यह तो बिहार के साथ सौतेला व्यवहार है. यह बजट पूरी तरह से जुमलेबाजी है। बिहार को लेकर जो भी घोषणा की गई है वह सब पुराना है. केंद्र सरकार ने एक भी नई घोषणा नहीं किया। 

 यह भी पढ़ें: Budget 2025: मखाना बोर्ड की घोषणा पर बिहार के मंत्री मंगल पांडे का बयान, किसानों का सपना हुआ पूरा

Advertisment
Advertisment