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छोटी कारों की बिक्री में 9% की गिरावट! अब Congress के दावे ने बढ़ाई चिंता

भारत में कारों की खरीददारी सिर्फ 12 प्रतिशत परिवारों तक सीमित रह गई है और छोटी कारों की बिक्री में 9 प्रतिशत की गिरावट आई है। मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन के बाद कांग्रेस पार्टी ने यह बड़ा दावा किया है।

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Pratiksha Parashar
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।भारत में कारों की खरीददारी सिर्फ 12 प्रतिशत परिवारों तक सीमित रह गई है और छोटी कारों की बिक्री में 9 प्रतिशत की गिरावट आई है। मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन के बाद कांग्रेस पार्टी ने यह बड़ा दावा किया है। कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि इस आर्थिक मंदी का कारण भारत के अधिकतर लोगों की वास्तविक आय में लंबे समय से जारी ठहराव है। 

जयराम रमेश ने क्या कहा? 

जयराम रमेश ने प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी ‘मारुति सुजुकी इंडिया’ के अध्यक्ष आर सी भार्गव के बयान का हवाला देते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘पूरा देश अभी भी गहरे शोक और सदमे में डूबा हुआ है। पहलगाम में पर्यटकों पर हुआ बर्बर आतंकी हमला हमारे दिलों पर गहरी चोट छोड़ गया है। ऐसी दुखद स्थिति के बीच भी, हमें मारुति सुज़ुकी इंडिया के प्रमुख द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।’’ 

88% आबादी नहीं खरीद सकती छोटी कार

जयराम रमेश ने कहा कि मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन भार्गव द्वारा व्यक्त की गईं चिंताएं भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरे प्रभाव को दर्शाती हैं। रमेश ने कहा, ‘‘भारत में कारों की ख़रीदारी अब मुख्यतः उन शीर्ष 12 प्रतिशत परिवारों तक सीमित रह गई है, जिनकी वार्षिक आय 12 लाख से अधिक है। शेष 88 प्रतिशत आबादी के लिए अब छोटी कार भी वहनीय नहीं रह गई हैं, और छोटी कारों की बिक्री में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।’’ 

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वाहनों की बिक्री वृद्धि 1-2% रहने का अनुमान

कांग्रेस महासचिव के अनुसार, वर्ष 2023-24 और 2024-25 के बीच यात्री वाहनों की कुल बिक्री वृद्धि केवल दो प्रतिशत रही है। आगामी वर्ष के लिए भी बिक्री वृद्धि दर मात्र 1-2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रमेश ने दावा किया कि इस आर्थिक मंदी की जड़ भारत के अधिकतर लोगों की वास्तविक आय में लंबे समय से जारी ठहराव है। आपको बता दें कि  मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव ने शुक्रवार को कंपनी के वित्तीय परिणाम के बाद संवाददाता सम्मेलन में दावा करते हुए कहा है कि भारत में कार की खरीद मुख्य रूप से उन शीर्ष 12 प्रतिशत परिवारों तक सीमित है जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपये से अधिक है, जबकि शेष 88 प्रतिशत लोगों के लिए छोटी कारें भी अफोर्डेबल नहीं रह गई हैं।

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