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1 अप्रैल से Big Change UPI: इनएक्टिव मोबाइल नंबरों पर नहीं होगा ट्रांजैक्शन, पुल ट्रांजैक्शन भी बंद

यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस में अप्रैल से बड़ा बदलाव लागू होगा, जिससे लंबे समय से इनएक्टिव या रीएक्टिवेटेड मोबाइल नंबर UPI से हटाए जाएंगे।

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Ajit Kumar Pandey
UPI

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।

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Business News Today: अगर आप यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) का इस्तेमाल करते हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। 1 अप्रैल से UPI पेमेंट सर्विस में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इस बदलाव के तहत, बैंक अकाउंट से जुड़े ऐसे मोबाइल नंबर, जो लंबे समय से इनएक्टिव हैं या जिन्हें बंद होने के बाद फिर से एक्टिव कराया गया है, उन्हें UPI सिस्टम से हटा दिया जाएगा।

क्यों हो रहा है यह बदलाव?

नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने साइबर फ्रॉड और अनऑर्थराइज्ड ट्रांजैक्शन को रोकने के लिए यह फैसला लिया है। दरअसल, कई बार मोबाइल नंबर बंद होने के बाद टेलीकॉम कंपनियां इन्हें किसी और यूजर को अलॉट कर देती हैं। ऐसे में पुराने नंबर से जुड़े बैंक अकाउंट्स पर फ्रॉड होने का खतरा बढ़ जाता है।

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क्या होगा इसका असर?

इस बदलाव का असर उन यूजर्स पर पड़ेगा, जिनके बैंक अकाउंट में कोई पुराना या बंद नंबर लिंक्ड है। ऐसे यूजर्स को 1 अप्रैल के बाद UPI ट्रांजैक्शन करने में परेशानी हो सकती है।

क्या करें यूजर्स?

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अगर आपका बैंक अकाउंट किसी ऐसे मोबाइल नंबर से लिंक्ड है, जो लंबे समय से इनएक्टिव है या जिसे बंद होने के बाद फिर से एक्टिव कराया गया है, तो इसे तुरंत एक्टिव करा लें।

पुल ट्रांजैक्शन भी बंद होगा

NPCI जल्द ही पुल ट्रांजैक्शन फीचर भी बंद कर सकती है। UPI के जरिए होने वाले पुल ट्रांजैक्शन की वजह से ठगी के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में NPCI पेमेंट एप्स में पुल ट्रांजैक्शन फीचर की लिमिट तय करने या इसे हटाने की तैयारी कर रही है।

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पुल ट्रांजैक्शन क्या है?

जब भी आपके UPI एप पर कोई मर्चेंट या व्यक्ति पेमेंट करने के लिए रिक्वेस्ट भेजता है तो इसे 'पुल ट्रांजैक्शन' कहते हैं। इसमें भुगतान की जाने वाली राशि पहले से ही शामिल होती है। यूजर को सिर्फ अपने UPI एप पर अपना पिन नंबर दर्ज करना होता है।

सरकार का लक्ष्य

सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि, सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 2025-26 में 20,000 करोड़ ट्रांजैक्शन पूरा करना है। साथ ही छोटे शहरों और गावों तक UPI को बढ़ावा देना है।

UPI कैसे काम करता है?

UPI सर्विस के लिए आपको एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस तैयार करना होता है। इसके बाद इसे बैंक अकाउंट से लिंक करना होगा। इसके बाद आपका बैंक अकाउंट नंबर, बैंक का नाम या IFSC कोड आदि याद रखने की जरूरत नहीं होती। पेमेंट करने वाला बस आपके मोबाइल नंबर के हिसाब से पेमेंट रिक्वेस्ट प्रोसेस करता है।

अगर, आपके पास उसका UPI आईडी (ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर या आधार नंबर) है तो आप अपने स्मार्टफोन के जरिए आसानी से पैसा भेज सकते हैं। न सिर्फ पैसा बल्कि यूटिलिटी बिल पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग, खरीदारी आदि के लिए नेट बैंकिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड भी जरूरत नहीं होगी। ये सभी काम आप यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस सिस्टम से कर सकते हैं।

UPI में होने वाले इन बदलावों से यूजर्स को सावधान रहने की जरूरत है। अगर आपका बैंक अकाउंट किसी इनएक्टिव मोबाइल नंबर से लिंक्ड है, तो इसे तुरंत एक्टिव करा लें। इसके अलावा, पुल ट्रांजैक्शन का इस्तेमाल करते समय भी सावधानी बरतें।

UPI Business News Today
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