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महंगी हुईं लग्ज़री गाड़ियां और सिगरेट! इन सामानों पर लगेगा भारी भरकम टैक्स

जीएसटी काउंसिल ने 40% का नया टैक्स स्लैब मंज़ूर किया। यह लग्ज़री कारों, तंबाकू और कुछ हानिकारक उत्पादों पर लागू होगा। यह 'जीएसटी 2.0' का हिस्सा है, जिससे आम लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और टैक्स सिस्टम सरल होगा।

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Ajit Kumar Pandey
महंगी हुईं लग्ज़री गाड़ियां और सिगरेट! इन सामानों पर लगेगा भारी भरकम टैक्स | यंग भारत न्यूज

महंगी हुईं लग्ज़री गाड़ियां और सिगरेट! इन सामानों पर लगेगा भारी भरकम टैक्स | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।GST काउंसिल ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कुछ लग्ज़री और हानिकारक उत्पादों पर 40% का भारी-भरकम टैक्स लगाने की मंज़ूरी दे दी है। इस कदम से जहां महंगी गाड़ियां और तंबाकू उत्पाद खरीदना काफी महंगा हो जाएगा, वहीं सरकार को राजस्व बढ़ाने और लोगों को इन उत्पादों से दूर रखने में मदद मिलेगी। यह "जीएसटी 2.0" का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य टैक्स सिस्टम को सरल और प्रभावी बनाना है। 

जीएसटी काउंसिल की बैठक में एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए हानिकारक और लग्ज़री उत्पादों पर अब तक लगने वाले 28% जीएसटी को बढ़ाकर 40% कर दिया गया है। यह फैसला "जीएसटी 2.0" नाम के एक बड़े टैक्स सुधार का हिस्सा है। 

इस नए सिस्टम में केवल दो मुख्य स्लैब होंगे- 5% और 18%। जबकि, 40% का सबसे ऊंचा स्लैब सिर्फ़ उन चुनिंदा चीज़ों पर लगाया जाएगा, जिन्हें समाज और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। 

यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि हानिकारक उत्पादों की खपत को कम किया जा सके और उनसे होने वाले राजस्व का उपयोग आम जनता के कल्याण के लिए किया जा सके। सरकार का मानना है कि सिगरेट जैसे उत्पादों की खपत देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है।

कौन-कौन से उत्पाद अब 40% टैक्स के दायरे में आए? 

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इस नए टैक्स स्लैब में उन उत्पादों को रखा गया है जिनका इस्तेमाल आम आदमी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में नहीं करता। यह एक तरह का 'सिन टैक्स' है, जो इन उत्पादों की कीमत बढ़ाकर लोगों को इनसे दूर रखने का काम करेगा। 

तंबाकू उत्पाद: सिगरेट, सिगार, पान मसाला, गुटखा, चबाने वाला तंबाकू और बीड़ी। 

लग्ज़री गाड़ियां: 1200 सीसी से ज़्यादा के पेट्रोल इंजन और 1500 सीसी से ज़्यादा के डीज़ल इंजन वाली महंगी कारें और एसयूवी। 

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अन्य उत्पाद: चीनी-युक्त और कैफीन वाले पेय पदार्थ, जंक फ़ूड (जिनमें ज़्यादा चीनी, नमक या ट्रांस फैट हो) और कुछ चुनिंदा आयातित वस्तुएं। 

यह जानना ज़रूरी है कि शराब अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर है और इस पर राज्यों द्वारा अलग से टैक्स लगाया जाता रहेगा। 

इस बदलाव से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान? 

यह बदलाव आम आदमी के लिए एक अच्छी खबर है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि रोज़मर्रा की ज़रूरी चीज़ों पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगेगा। बल्कि, दो स्लैब वाला नया सिस्टम चीज़ों को सस्ता कर सकता है।

किसको होगा फायदा

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राजस्व में बढ़ोतरी: 40% का भारी-भरकम टैक्स सरकार के खजाने को भरेगा। इस पैसे का इस्तेमाल विकास कार्यों और जन-कल्याण की योजनाओं में किया जा सकता है। 

जन स्वास्थ्य में सुधार: महंगे होने पर लोग इन हानिकारक उत्पादों का इस्तेमाल कम करेंगे। इससे देश के स्वास्थ्य पर पड़ने वाला बोझ कम होगा। 

टैक्स सिस्टम का सरलीकरण: दो-स्लैब वाला नया सिस्टम टैक्स प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाएगा। 

किसको होगा नुकसान 

लग्ज़री कार खरीदार: अब महंगी कारें खरीदने वाले लोगों को ज़्यादा कीमत चुकानी होगी। 

तंबाकू और पेय उद्योग: इन उद्योगों पर सीधा असर पड़ेगा, क्योंकि उनके उत्पादों की मांग घट सकती है। 

प्रधानमंत्री ने भी किया था ज़िक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इन टैक्स सुधारों का ज़िक्र किया था। उन्होंने इसे नागरिकों के लिए 'दिवाली का तोहफ़ा' बताया था। 

यह फैसला 22 सितंबर 2025 तक लागू होने की उम्मीद है, हालांकि तंबाकू उत्पादों पर मौजूदा सेस तब तक लगा रहेगा जब तक कि कंपनसेशन सेस लोन पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता। 

यह एक ऐसा कदम है जो एक साथ कई समस्याओं का समाधान करने की क्षमता रखता है। यह न सिर्फ़ सरकार के लिए राजस्व जुटाएगा, बल्कि समाज को स्वास्थ्य की दिशा में भी एक बेहतर राह दिखाएगा।

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