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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।सोना, भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था के लिए एक अमूल्य निधि है, और एक बार फिर रिकॉर्ड ऊंचाई की ओर बढ़ रहा है। 24 कैरेट सोने का खुदरा भाव 99,490 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया है, जो जल्द ही 'लखटकिया' बनने की संभावना को दर्शाता है। यह सिर्फ एक मूल्य वृद्धि नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक आर्थिक कहानी का हिस्सा है जिसमें वैश्विक अनिश्चितता, मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारक शामिल हैं।
सोने खा रहा है भाव
सोने की कीमतों में तेजी बनी हुई है, भले ही ये तेजी मामूली हो, लेकिन सोना आगे बढ़ रहा है। एक बार फिर ये 1 लाख के बेहद करीब पहुंच चुका है। तनिष्क की वेबसाइट के अनुसार, 4 जून 2025 को 24 कैरेट सोने का भाव मामूली बढ़ोतरी के साथ 99,490 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। 22 कैरेट सोने का भाव 91,200 रुपये प्रति 10 ग्राम और 18 कैरेट सोने की कीमत 74,620 रुपये प्रति 10 ग्राम है। सोने में बढ़ोतरी की एक वजह डॉलर इंडेक्स का कमजोर पड़ना है. फिलहाल डॉलर इंडेक्स उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है जिससे आगे भी सोने की कीमत बढ़ने की संभावना है।
MCXपर बनी है तेजी
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी MCX पर शुरुआती कारोबार में सोने की कीमतों में उछाल है. यहां 10 ग्राम सोने की कीमत 98,099 रुपये के आसपास कारोबार कर रही है. ये 380 रुपये या 0.39% की तेजी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का हाल कई चीजों का संकेत दे देता है कि दुनिया में इस समय किस तरह का माहौल बना है. फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 3,360 डॉलर प्रति औंस पर बनी हुई है, इसके एक दिन पहले ये कीमत 3,380 डॉलर के स्तर को भी छू चुकी है। भारत में सोने की कीमतों में पिछले बीते दशकों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। आजादी के समय (1947) में 24 कैरेट सोना लगभग 89 रुपये प्रति 10 ग्राम था। तब से, इसमें कई गुना वृद्धि हुई है, खासकर 21वीं सदी में। gold bars | gold news
आजादी के समय मात्र 89 रुपये में प्रति 10 ग्राम मिलता था सोना
1990 के दशक तक सोने की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ीं। 1990 में यह लगभग 3,200 रुपये प्रति 10 ग्राम था। 2000 में लगभग 4,400 रुपये पर था, लेकिन वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल और अमेरिका में 9/11 के हमलों के बाद "सुरक्षित निवेश" के रूप में सोने की मांग बढ़ने लगी। 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की अवधि में सोने की कीमतों में एक बड़ी उछाल देखी गई। 2007 में यह 10,800 रुपये था, जो 2010 तक 18,500 रुपये तक पहुंच गया। 2010 से 2020 तकके दशक में सोने की कीमतें लगातार बढ़ीं। 2015 में यह 26,343 रुपये था और 2019 तक 35,220 रुपये तक पहुंच गया। महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारी अनिश्चितता पैदा की, जिससे सोने को एक प्रमुख सुरक्षित निवेश के रूप में देखा गया। 2020 में यह 48,651 रुपये के औसत तक पहुंच गया। हाल के वर्ष (2023-2025): 2023 में 65,330 रुपये और 2024 में 77,913 रुपये तक पहुंचने के बाद, 2025 में सोना 1 लाख रुपये के करीब पहुंच गया है। पिछले 10 वर्षों में सोने की कीमत में 287% से अधिक की वृद्धि हुई है।
आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव:
सुरक्षित निवेश (Safe Haven Asset): जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता, मंदी का डर, या भू-राजनीतिक तनाव (जैसे युद्ध, व्यापार युद्ध) होता है, तो निवेशक स्टॉक, बॉन्ड और मुद्राओं जैसे अधिक जोखिम वाले निवेश से दूर होकर सोने जैसे सुरक्षित निवेश की ओर रुख करते हैं। इससे सोने की मांग बढ़ती है और उसकी कीमत में उछाल आता है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंक, जैसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), अपने विदेशी मुद्रा भंडार को विविधता देने और आर्थिक झटकों से बचाव के लिए सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं। केंद्रीय बैंकों की बढ़ी हुई मांग सोने की कीमतों को ऊपर धकेलती है। सोने का अंतरराष्ट्रीय व्यापार आमतौर पर अमेरिकी डॉलर में होता है। जब अमेरिकी डॉलर कमजोर होता है, तो अन्य मुद्राओं वाले निवेशकों के लिए सोना सस्ता हो जाता है, जिससे इसकी मांग बढ़ती है और कीमत ऊपर जाती है। इसके विपरीत, मजबूत डॉलर सोने की कीमत को कम कर सकता है। भारतीय संदर्भ में, रुपये के मुकाबले डॉलर का मजबूत होना भी घरेलू सोने की कीमतों को प्रभावित करता है क्योंकि भारत अपनी अधिकांश सोने की आवश्यकता को आयात करता है। Gold Market | Gold Price