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India in the grip of smartphones: डिजिटल युग में डूबे 1.1 लाख करोड़ घंटे, किसको हो रहा फायदा ?

भारत में डिजिटल क्रांति ने स्मार्टफोन उपयोग को बढ़ावा दिया है, जिससे तक लाख करोड़ घंटे स्मार्टफोन पर बिताए गए, जो मनोरंजन के पारंपरिक माध्यमों को पीछे छोड़ रहा है।

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Ajit Kumar Pandey
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।

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Digital India | Digital news | social media : भारत में डिजिटल क्रांति का प्रभाव अभूतपूर्व है। देश में स्मार्टफोन यूजर्स की तादात दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। अब जब हर हाथ में स्मार्ट फोन हों और पैक भी है तो उसमें बहुत सी चीजें ढूंढ़ना, देखना, गेम खेलना, पढ़ना आदि तमाम चीजें होना भी लाजिमी ही है। हमें नहीं पता कि डिजिटल क्रांति के युग में स्मार्टफोन देखे जा रहे हैं और हम तो कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ फायदा उठाते तो हैं ही मगर, और लोग हैं जिन्हें भी काफी फायदा पहुंचता है। भारत में डिजिटल क्रांति तेजी से आगे बढ़ रही है। यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई है, लेकिन हमें इसके लाभों और हानियों दोनों को समझना होगा। आइए एक आंकड़े पर नजर डालते हैं...

हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारतीय नागरिक वर्ष 2024 में कुल 1.1 लाख करोड़ घंटे अपने स्मार्टफोन की स्क्रीन पर बिता चुके हैं। यह चौंकाने वाला आंकड़ा देश में डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभुत्व को दर्शाता है, जिसने पारंपरिक मनोरंजन माध्यमों को भी पीछे छोड़ दिया है।

स्मार्टफोन पर औसत समय और डिजिटल मीडिया का प्रभाव

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औसतन, प्रत्येक भारतीय प्रतिदिन लगभग 5 घंटे अपने स्मार्टफोन पर व्यतीत करता है। इस समय का लगभग 70% हिस्सा सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेमिंग और वीडियो स्ट्रीमिंग में जाता है। इसके परिणामस्वरूप, डिजिटल मीडिया भारतीय मनोरंजन उद्योग का सबसे बड़ा खंड बन गया है, जिसका मूल्य 2.5 लाख करोड़ रुपये है।

डिजिटल मार्केटिंग और सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव

सोशल मीडिया अब केवल मनोरंजन का साधन नहीं रहा, बल्कि यह एक प्रमुख वाणिज्यिक मंच भी बन गया है। कंपनियां अब पारंपरिक विज्ञापन विधियों को छोड़कर डिजिटल मार्केटिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि उपभोक्ता अपना अधिकांश समय डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बिताते हैं, इसलिए ब्रांड्स के लिए यह आवश्यक है कि वे डिजिटल माध्यमों के माध्यम से उनसे जुड़ें।

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5G क्रांति और डेटा खपत में वृद्धि

भारत दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल डेटा उपभोक्ताओं में से एक है। 5G तकनीक के आगमन ने डेटा खपत को और भी बढ़ा दिया है। अनुमान है कि आने वाले वर्षों में 5G उपयोगकर्ताओं की संख्या में भारी वृद्धि होगी, जिससे डिजिटल परिदृश्य में और भी परिवर्तन आएंगे।

क्रिएटर इकॉनमी और राजनीतिक प्रभाव

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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कंटेंट क्रिएटर्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे एक नई आर्थिक धारा का उदय हुआ है। इसके साथ ही, राजनीतिक दल भी चुनावों में डिजिटल माध्यमों का बड़े पैमाने पर उपयोग कर रहे हैं, जिससे राजनीतिक प्रचार में भी बदलाव आया है।

स्मार्टफोन निर्माण में भारत की प्रगति

भारत सरकार के "मेक इन इंडिया" अभियान के तहत, स्मार्टफोन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अब भारत में उत्पादन कर रही हैं, जिससे देश वैश्विक स्मार्टफोन निर्माण केंद्र बन गया है।

डिजिटल लत और सामाजिक प्रभाव

स्मार्टफोन और डिजिटल मीडिया के बढ़ते उपयोग से सामाजिक चिंताएं भी बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल लत लोगों के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि हम डिजिटल उपकरणों का संतुलित उपयोग करें और वास्तविक दुनिया से भी जुड़े रहें।

सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स का बढ़ता दबदबा

आज सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं, बल्कि एक डिजिटल मार्केटप्लेस बन गया है। कंपनियां अब पारंपरिक विज्ञापनों की जगह इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग और डिजिटल कैंपेन पर ज्यादा निवेश कर रही हैं।

बिग बैंग सोशल के सीईओ सुदीप सुभाष के अनुसार...

"लोग अब ज्यादा समय ऑनलाइन बिता रहे हैं, इसलिए ब्रांड्स भी टीवी और बिलबोर्ड्स की बजाय सोशल मीडिया पर फोकस कर रहे हैं।"

सस्ता इंटरनेट और 5G ने बदली गेम

  • भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल डेटा उपभोक्ता बन चुका है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर 2024 तक:
  • प्रति व्यक्ति औसतन 21.2GB डेटा प्रति माह इस्तेमाल हो रहा था।
  • 5G यूजर्स के लिए यह आंकड़ा 40GB तक पहुंच गया है।
  • अगले 3 साल में 77 करोड़ भारतीय 5G का इस्तेमाल करने लगेंगे।

कंटेंट क्रिएटर्स और ई-कॉमर्स का बूम

सोशल मीडिया पर क्रिएटर इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है। लाखों यूजर्स शॉर्ट वीडियो, व्लॉग्स और लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए अच्छी कमाई कर रहे हैं। सरकार ने भी इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए 8,000 करोड़ रुपये का फंड लॉन्च किया है।

वहीं, ई-कॉमर्स कंपनियां स्मार्टफोन यूजर्स को टारगेट कर रही हैं। AI और मशीन लर्निंग की मदद से यूजर्स की पसंद को समझकर पर्सनलाइज्ड ऐड्स दिखाए जा रहे हैं, जिससे अनजाने में ही लोग ज्यादा खरीदारी करने लगते हैं।

भारत बना स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग हब

  • मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारत अब वैश्विक स्मार्टफोन उत्पादन केंद्र बन चुका है।
  • 2014-15 में सिर्फ 25% मोबाइल फोन देश में बनते थे, जो 2024 तक 97% हो गया।
  • Apple, Vivo, Xiaomi जैसी कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही हैं।
  • 2024 में भारत का मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 4.1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

क्या स्मार्टफोन हमारी जिंदगी पर हावी हो रहे हैं ?

जहां डिजिटल तकनीक ने जीवन को आसान बनाया है, वहीं स्क्रीन टाइम बढ़ने से कई सवाल भी उठ रहे हैं...

  • क्या हम जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन पर निर्भर हो रहे हैं?
  • क्या ऑनलाइन शॉपिंग और सोशल मीडिया हमें अनजाने में प्रभावित कर रहे हैं?
  • AI और बिहेवियरल ट्रैकिंग के जरिए कंपनियां कितना डेटा इकट्ठा कर रही हैं?
  • नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री 'Buy Now! The Shopping Conspiracy' में दिखाया गया है कि कैसे कंपनियां हमें ज्यादा खर्च करने के लिए प्रेरित करती हैं।

डिजिटल युग में संतुलन जरूरी

भारत में सस्ता इंटरनेट, 5G और ई-कॉमर्स ने डिजिटल क्रांति ला दी है। लेकिन इसके साथ ही डिजिटल वेलनेस पर भी ध्यान देना जरूरी है। क्या हम सच में इस तकनीक का सही इस्तेमाल कर रहे हैं, या यह हमारी दिनचर्या पर हावी हो रही है? यह सवाल हर स्मार्टफोन यूजर को खुद से पूछना चाहिए।

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