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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: पिछले सप्ताह भारतीय शेयर बाजार सकारात्मक संकेतों के बावजूद कई अप्रत्याशित घटनाओं से प्रभावित रहा, जिसके कारण निफ्टी में अपेक्षित बड़ी तेजी नहीं आ सकी। पिछले सप्ताह सोमवार को बाजार मजबूती के साथ बंद हुआ और निफ्टी 82 अंक चढ़ा। मंगलवार को अमेरिका से व्यापार समझौते की सकारात्मक संभावनाओं ने बड़ी तेजी की उम्मीद जगा दी थी, लेकिन सोमवार शाम दिल्ली में हुए भीषण आतंकी बम विस्फोट ने बाजार की धारणा को कमजोर कर दिया। इसके बावजूद निफ्टी 120 अंक चढ़ा, हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि विस्फोट की घटना न होती तो उछाल काफी अधिक हो सकता था।
राजनीतिक सकारात्मकता भी फीकी पड़ी
14 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की बड़ी जीत से बाजार में तेज बढ़त की संभावना थी। परंतु अमेरिकी बाजार में तेज गिरावट के प्रभाव से निफ्टी केवल 31 अंक ही चढ़ पाया। इस सप्ताह भी अमेरिकी बाजार में भारी गिरावट तथा भारत-पाकिस्तान तनाव बढ़ने की आशंका भारतीय बाजार की तेजी पर दबाव बनाए रख सकती है। अंतिम दो कारोबारी सत्रों में डाउ जोंस 1107 अंक गिर चुका है, और लंबे समय से चली आ रही रैली के बाद अमेरिकी बाजार में और गिरावट की आशंका जताई जा रही है। यदि वहां मंदी का क्रम जारी रहता है, तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या भारतीय बाजार अपने आंतरिक सकारात्मक कारकों के सहारे असंबद्ध रहकर आगे बढ़ पाता है।
विदेशी और घरेलू निवेश प्रवाह में बड़ा अंतर
हालांकि, भारत ने शुक्रवार को अमेरिकी गिरावट के बावजूद मजबूती दिखाई और निफ्टी 30 अंकों की बढ़त पर बंद हुआ। तकनीकी रूप से निफ्टी के 26052 के ऊपर टिके रहने पर बाजार नए ऐतिहासिक उच्च स्तर को पार कर सकता है और एक नए तेजी चरण में प्रवेश कर सकता है। पिछले सप्ताह निफ्टी में कुल 416 अंकों की तेजी देखने को मिली, जबकि डाउ मात्र 160 अंक चढ़ा। इस दौरान विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार पांचों सत्रों में बिकवाल रहे और कुल 12,019 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इसके विपरीत घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 24,674 करोड़ रुपये की बड़ी खरीदारी कर बाजार को सहारा दिया।
मिड-स्मॉल कैप शेयरों में दबाव
भारतीय बाजार की एक प्रमुख चुनौती यह है कि कई मध्यम और लघु श्रेणी के शेयर अभी भी अपने पिछले उछाल के दौरान बने उच्चतम मूल्यों से 50 प्रतिशत से भी कम स्तर पर हैं, जिसके कारण पिछली रैली में फँसे निवेशक अभी तक उभर नहीं पाए हैं।
अर्थव्यवस्था में मजबूत संकेत
- अक्टूबर में उपभोक्ता महंगाई दर 0.25% के ऐतिहासिक निचले स्तर पर रही।
- मूडीज़ ने वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की विकास दर 7% रहने का अनुमान बरकरार रखा है।
- सितंबर तिमाही में बेरोजगारी दर घटकर 5.2% रही।
- वर्ष की पहली छमाही में देश में 2.98 लाख करोड़ रुपये मूल्य की आवासीय बिक्री हुई, जो पिछले वर्ष से 7% अधिक है।
- यात्री वाहनों की बिक्री अक्टूबर में 17% बढ़कर 4,60,739 इकाई पहुँच गई।
- एनएसई में यूनिक ट्रेडिंग खातों की संख्या 24 करोड़ पार कर गई।
- अक्टूबर में सभी श्रेणी के म्यूचुअल फंडों में कुल 2.16 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 200 से अधिक वस्तुओं पर आयात शुल्क में कटौती को भी वैश्विक व्यापार के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। वहीं कच्चा तेल 64 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हल्की बढ़त पर है, लेकिन अधिक आपूर्ति के चलते कीमतें नीचे रहने की संभावना है।
निवेशकों के लिए सलाह
वर्तमान परिस्थितियों में निवेशकों को केवल उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश करने की सलाह दी जा रही है। बाजार के सामने सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि यदि अमेरिकी बाजार में गिरावट बढ़ती है, तो क्या भारतीय बाजार अपनी मजबूती और घरेलू सकारात्मक संकेतों के चलते उससे असंबद्ध रहकर ऊपर बढ़ पाएगा?
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