वाईबीएन नेटवर्क।
डिजिटल भुगतान को और तेज़, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने की दिशा में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बड़ा ऐलान किया है। अब व्यापारी वर्ग (P2M ट्रांजेक्शन्स) UPI के ज़रिए बड़ी राशि तक भुगतान स्वीकार कर सकेंगे। इससे महंगे सामानों की खरीदारी करना अब पहले से कहीं आसान हो जाएगा। इस फैसले से न सिर्फ व्यापारियों को राहत मिलेगी बल्कि ग्राहकों के लिए भी डिजिटल ट्रांजेक्शन का अनुभव और बेहतर हो जाएगा।
मौद्रिक नीति में हुआ बड़ा बदलाव
वित्तीय वर्ष 2026 की पहली मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि अब व्यापारी UPI के जरिए अधिक राशि के भुगतान स्वीकार कर सकेंगे। उन्होंने इस बदलाव को डिजिटल इंडिया की दिशा में एक मजबूत कदम बताया। साथ ही, साइबर सुरक्षा को लेकर भी नए उपाय किए जाएंगे ताकि कोई तकनीकी या वित्तीय जोखिम न रहे।
अब तक क्या थी UPI की सीमा?
पहले UPI से कुछ खास श्रेणियों तक ही उच्च भुगतान की अनुमति थी-
पूंजी बाज़ार और बीमा: ₹2 लाख प्रति लेनदेन
कर भुगतान, अस्पताल, और IPO: ₹5 लाख प्रति लेनदेन
इससे आगे कोई भी ट्रांजेक्शन करने के लिए पारंपरिक बैंकिंग या कार्ड विकल्पों का सहारा लेना पड़ता था।
व्यापारियों को मिलेगा सीधा फायदा
नई सीमा के लागू होते ही अब व्यापारी महंगी वस्तुएं-जैसे सोने-चांदी के आभूषण, महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स, गाड़ियां और लक्ज़री सेवाएं 'UPI' के ज़रिए बेच सकेंगे। इससे न केवल ट्रांजेक्शन आसान होगा बल्कि नकदी का इस्तेमाल भी कम होगा। ग्राहक भी अब बड़ी खरीददारी के लिए UPI को प्राथमिकता दे सकेंगे।
व्यक्तिगत ट्रांजेक्शन्स में कोई बदलाव नहीं
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि व्यक्ति से व्यक्ति (P2P) ट्रांजेक्शन्स की सीमा ₹1 लाख प्रति लेनदेन ही रहेगी। यानी दोस्तों या परिवार के बीच पैसे भेजने के नियम पहले जैसे ही रहेंगे।
NPCI को मिली नई ज़िम्मेदारी
इस फैसले के साथ नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) को अधिकार दिया गया है कि वह समय-समय पर बैंकों और अन्य स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर UPI लिमिट तय कर सकेगा। साथ ही, बैंक चाहें तो NPCI की सीमा के भीतर अपनी खुद की सीमा निर्धारित कर सकते हैं।