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शशांक भारद्वाज , सीनियर वीपी, चॉइस ब्रोकिंग
भारतीय शेयर मार्केट बड़ी तेजी के प्रयास कर रहें हैं, परंतु विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली ऐसा होने नहीं दे रही हैं। संतोष की बात इतनी अवश्य है कि इनकी बिकवाली के बाद भी मार्केट में बहुत बड़ी गिरावट नही आ रही है। यदि विदेशी संस्थागत निवेशकों का विक्रय बंद हो जाए तो भारतीय शेयर मार्केट भी नई ऐतिहासिक ऊंचाई बना सकते हैं क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था के आधारभूत कारक बहुत शक्तिशाली हो गए हैं। जिस प्रकार से डॉलर इंडेक्स गिर रहा है, अमेरिका में इस वर्ष ब्याज दरों में कम से कम दो कटौती की संभावना जताई जा रही है, वहां से बहुत बड़ी धनराशि ऋण पत्रों इत्यादि से निकल कर इक्विटी मार्केट में आ सकती है,भारतीय शेयर मार्केट में भी आ सकती है।ट्रंप ने तो ब्याज दरों में तीन प्रतिशत कटौती की बात कही है।
सुदृढ़ है भारतीय शेयर बाजार
वैसे विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली निफ्टी की 100 150 की गिरावट में आत्मसात हो रही है। यह भारतीय शेयर मार्केट की सुदृढ़ आंतरिक स्थिति दर्शाता है। घरेलू खुदरा निवेशक का उत्साह शेयर मार्केट में व्यापक विस्तारिक उत्साह बना रहता है। निफ्टी के नई ऊंचाई बनाने पर ये पुराने उत्साह के साथ मार्केट में लौट सकते हैं, तब एक विस्तृत धुआंधार तेजी दिख सकती हैं। भारतीय शेयर मार्केट की अभी सबसे बड़ी चिंता कॉरपोरेट के लाभ में वृद्धि को ले कर है। जब तक इसमें लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि या वृद्धि की संभावना नहीं दिखेगी,भारतीय शेयर मार्केट में उछाल आएगा भी तो टिक नहीं पाएगा। अभी निफ्टी की पीई 22 है।सभी अच्छे आर्थिक कारकों को ले भी लें तो भी मार्केट निफ्टी की पीई के आधार पर महंगे हैं।
कम्पनियों की आय में 15 प्रतिशत के लगभग की वृद्धि संभव
इसको न्यायोचित कम्पनियों की आय में 15 प्रतिशत के लगभग की वृद्धि ही बना सकती है। मार्केट तेज अवश्य होंगे परंतु कॉरपोरेट आय में बड़ी वृद्धि नहीं होगी तो तेज होने में समय लगेगा।इसी कारण मार्केट ऊंचे स्तरों पर टिक नहीं पा रहें हैं।विदेशी संस्थान भी साप्ताहिक तथा मासिक आधार पर भी बिकवाल हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश का आधार वैश्विक होता है।उन्हें जिस राष्ट्र के शेयर मार्केट में मूल्यांकन उचित लगता है,कम लगता है,वो वहां निवेश करने लगते हैं,करते हैं। भारत की तुलना में ब्राजील ,चीन इत्यादि उन्हें अधिक आकर्षक मूल्यांकन पर लग रहें हैं।कई प्रमुख विदेशी संस्थागत निवेशकों ने वहां निवेश की बात कही है।पिछली बार भारतीय शेयर मार्केट में बड़ी मंदी का प्रमुख कारण भारत से निकल कर चीन के शेयर मार्केट में निवेश था।अभी कुछ दिनों से विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली है परंतु यह अभी बहुत बड़ी नहीं है परंतु यह क्रम बना रहा,बड़ा हुआ तो भारतीय शेयर मार्केट में पुनः बड़ी गिरावट दिख सकती है।
यद्यपि भारतीय घरेलू संस्थागत निवेशकों तथा खुदरा निवेशकों के द्वारा विदेशी संस्थागत निवेशकों की किसी संभावित बिकवाली के प्रत्युत्तर में क्रय आ सकता है जो किसी मंदी की अवधि को सीमित कर सकता है,निचले स्तरों से बड़ा उछाल दिखा सकता है। पिछली मंदी में अधिकाश शेयरों में जो नीचे के भाव दिखे थे,उनमें 30 से 50 प्रतिशत की तेजी देखी गई।रिलायंस इंडस्ट्री जैसा प्रमुख शेयर निचले स्तरों से लगभग 40 प्रतिशत बढ़ गया था।
अतः एक भाव तो प्रबल हुआ कि बड़ी गिरावट में खरीद लघु अवधि में ही 30 से 50 प्रतिशत का लाभ दे सकती है।इससे खुदरा भारतीय निवेशकों का मनोबल भी दृढ़ हुआ है।
प्रथम तिमाही के वित्तीय परिणामों की ऋतु
भारत में अभी कंपनियों के वित्त वर्ष 25 26 की प्रथम तिमाही के वित्तीय परिणामों की ऋतु चल रही है। टीसीएस, विप्रो का लाभ मार्केट को तो बहुत अच्छा नहीं लगा। एक्सिस बैंक के परिणाम अच्छे नहीं आए हैं।
रिलायंस इंडस्ट्री का लाभ इस तिमाही में पिछली तिमाही की तुलना में 78 प्रतिशत अवश्य बढ़ा है परंतु इसमें 8924 करोड़ रूपए का लाभ एशियन पेंट के शेयरों के विक्रय से हुआ है।यदि रिलायंस का लाभ मार्केट के अच्छा लगता है तो फिर निफ्टी में उछाल दिख सकता है।इस स्तरों से टिकाऊ सा उछाल तभी आएगा जब प्रमुख विदेशी निवेशक भारतीय कंपनियों की आय में अच्छी वृद्धि को लेकर आश्वस्त हो जायेंगे। अतः अभी जिन शेयरों में बड़ा लाभ ही रहा है,वहां कुछ लाभ ले लीजिए।
बड़ी खरीदारी कोई बड़ी गिरावट में ही करना उपयुक्त लग रहा है।चूंकि वित्तीय परिणामों का समय है,अतः जिन कंपनियों के वित्तीय परिणाम अच्छे आएं तथा वो उचित मूल्यांकन पर उपलब्ध हों तो उनमें क्रय किया जा सकता है।खुदरा निवेशकों के प्रिय शेयरों में तेजी की गतिविधि दिख सी रही है जो व्यापक आधार पर मार्केट का मनोबल ऊंचा रखने में सहायक सिद्ध हो रही है।एक युग था कि कहा जाता था कि खुदरा निवेशक सक्रिय होने का अर्थ मार्केट में मंदी आने का संकेत है,अब तेजी आने के लिए उनके सक्रिय होने को आवश्यक सा माना जाने लगा है।
22 करोड़ डीमैट खाते
क्यों नहीं,लगभग 22 करोड़ डीमैट खाते हो गए हैं भारत में। 25000 करोड़ रुपए से अधिक राशि की एसआईपी प्रतिमाह आ रही है।यह खुदरा निवेशकों की बढ़ती शक्ति का परिचायक है।
22 करोड़ निवेशकों के द्वारा यदि एक एक लाख रुपए का भी नया निवेश आ जाए तो यह 22 लाख करोड़ रुपया होगा जो किसी भी कितनी भी बड़ी विदेशी बिकवाली का प्रतिकार, परास्त करने में सक्षम होगा।
सरकार को भी शेयर मार्केट में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए कुछ विशेष पग उठाने चाहिए। शेयर मार्केट में भी निवेश करने में सरलता की दिशा में कार्य करना चाहिए।
दीर्घ अवधि में तो भारतीय अर्थव्यवस्था के कई गुणा होने की संभावना है।अतः शेयर मार्केट का पूंजीकरण भी की गुणा होगा।
शेयर मार्केट के लिए एक अच्छी बात विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, अमेरिका तथा भारत में भी अब ब्याज दरों में बड़ी कमी आने की प्रबल संभावना है।इससे कॉरपोरेट की वित्तीय लागत में कमी आएगी,लाभ में वृद्धि होगी।निवेश का प्रवाह ऋण पत्रों से शेयरों की ओर बढ़ेगा।वैश्विक अर्थव्यवस्था मे भी उछाल आएगा। इसलिए थोड़ी दीर्घ अवधि में तो शेयरों के अच्छे दिन ही है।युद्ध चल तो रहें हैं परंतु अब शीर्षकों में नहीं हैं।आर्थिक कारक शीर्ष पंक्तियां हैं।
भारत में मुद्रास्फीति
जून माह की खुदरा मुद्रास्फीति छह वर्षों के निचले स्तर 2.10 प्रतिशत पर आ गई जबकि थोक मुद्रास्फीति 19 महीने के पश्चात नकारात्मक (-)0.19 हो गई।इससे ब्याज दरों में शीघ्र तथा बड़ी कमी का आधार बन रहा है।
ब्रेंट क्रूड 70 डॉलर प्रति बैरेल के नीचे है।वैसे भी भारत छूट पर क्रूड क्रय करने में चतुर बनता जा रहा है।डॉलर इंडेक्स ऐसे ही 98.2 है।यदि ट्रंप जी की इच्छा के अनुसार अमरीका में तीन प्रतिशत ब्याज दरें कम हो ही गई तो डॉलर इंडेक्स इन स्तरों से भी धराशाई हो 94 हो सकता है।तकनीकी चार्ट तो ऐसा ही कुछ संकेत दे रहें हैं।यूएस बॉन्ड यील्ड 4.431 है।इसमें भी ब्याज दरों में कमी से इन स्तरों से बड़ी गिरावट हो सकती है।
शेयर मार्केट के लिए नकारात्मक ट्रंप सर का पुनः उभरा टैरिफ वृद्धि का भय है। अभी मार्केट की तात्कालिक ,लघु अवधि की चाल बहुत सीमा तक ट्रंप टैरिफ की दिशा पर निर्भर करेगी।
डॉव भी ऐतिहासिक ऊंचाई के निकट
कंपनी विशेष के शेयरों के भाव तिमाही के वित्तीय परिणामों के आधार पर ऊपर नीचे होंगे।नासदेक तथा एसएंडपी नई ऐतिहासिक ऊंचाइयां बना रहे हैं। डॉव भी ऐतिहासिक ऊंचाई के निकट ही है।
उल्लेखनीय यह है कि इस बार ट्रंप टैरिफ भय के पश्चात भी अमेरिकी शेयर मार्केट शक्तिशाली बने हुए हैं। विदेशी निवेशकों ने पिछले सप्ताह नकद संभाग में 6673 करोड़ रुपए के शेयर बेचे।भारतीय घरेलू संस्थागत निवेशकों ने सप्ताह के सभी पांच व्यापारिक सत्रों में क्रय किया एवं कुल 9500 करोड़ रुपए के शेयर क्रय किए।ये विदेशी संस्थागत निवेशकों के विक्रय से लगभग 45 प्रतिशत अधिक का क्रय था।
एक बात का ध्यान रखें,यदि किसी दिन विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली हो तो फिर खरीदारी करने में चयन बहुत सावधानी से करें,फ्यूचर ऑप्शन संभाग में तो विशेषकर।
नकद संभाग में भी या तो बड़ी गिरावट पर क्रय करें या कोई शक्तिशाली तकनीकी खरीद का संकेत हो तो।थोड़ा उछाल दिखने पर कूद कर खरीदने से बचना ही चाहिए। ध्यान रखें,अच्छे उचित भावों की खरीदारी ही बहुत अच्छा लाभ देती है>stock market india | stock market news | stock market rate | stock | Indian Stock Market | stock market | top stocks in focus