/young-bharat-news/media/media_files/2025/01/24/oprchlICATQQbNej43wn.jpg)
Photograph: (google)
00:00
/ 00:00
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
Photograph: (google)
Delhi high court ने एक पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून) मामले में कहा है कि सहमति से यौन संबंध बनाने के दावे से जुड़ी याचिका कानूनन अप्रासंगिक है, क्योंकि पीड़िता की उम्र निर्णायक कारक है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे एक व्यक्ति द्वारा सहमति से यौन संबंध बनाने की दलील कानूनन अप्रासंगिक है, क्योंकि पॉक्सो अधिनियम के तहत पीड़िता की उम्र निर्णायक कारक है। इस आधार पर कोर्ट ने आरोपी की जमानत से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा, सहमति से यौन संबंध बनाने की यह दलील कानूनन अप्रासंगिक है। पॉक्सो अधिनियम के तहत पीड़िता की उम्र निर्णायक कारक है और अगर पीड़िता 18 वर्ष से कम उम्र की है, तो कानून का यह मानना है कि वह वैध सहमति नहीं दे सकती। न्यायाधीश ने 3 फरवरी के आदेश में कहा, इसलिए, संबंध की कथित सहमति की प्रकृति, पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमे में प्रथम दृष्टया अप्रासंगिक है। इसलिए अदालत ने 26 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिस पर 2024 में अपनी 16 वर्षीय पड़ोसन का यौन उत्पीड़न करने और गर्भपात के लिए दवाइयां देने का भी आरोप है।
अपराध की प्रकृति, पीड़िता और आरोपी के बीच आयु का अंतर और यह तथ्य कि मुकदमा अभी चल रहा है तथा प्रमुख सरकारी गवाहों से जिरह अभी होनी है, ऐसे कारक हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश, हाईकोर्ट
Election Commission ने कहा-स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से हुए चुनाव, दिल्ली से हटी आचार संहिता
व्यक्ति पहले से शादीशुदा है और उसकी एक बेटी भी है। उसने कहा कि पीड़िता 18 वर्ष की थी और उनका संबंध सहमतिपूर्ण था। हाईकोर्ट ने कहा कि बयान के प्रभाव की पड़ताल मुकदमे के दौरान की जाएगी, जब पक्षकार साक्ष्य प्रस्तुत कर देंगे। अदालत ने कहा, हालांकि, इस समय, अदालत स्कूल रिकॉर्ड की अनदेखी नहीं कर सकती, जिसमें पीड़िता की जन्मतिथि तीन अगस्त 2008 स्पष्ट रूप से अंकित है।
हाईकोर्ट ने कहा कि अपराध की प्रकृति, पीड़िता और आरोपी के बीच आयु का अंतर और यह तथ्य कि मुकदमा अभी चल रहा है तथा प्रमुख सरकारी गवाहों से जिरह अभी होनी है, ऐसे कारक हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा, अपराध की गंभीरता, गवाह को प्रभावित करने की संभावना और मुकदमे की कार्यवाही के चरण को देखते हुए, अदालत याचिकाकर्ता को जमानत देने की इच्छुक नहीं है।
Delhi Election Result: दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन ? बांसुरी स्वराज बोलीं-"शीर्ष नेतृत्व तय करेगा"