नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। हैवानियत की रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदात...जहां दरिंदे ने 4 साल की दिव्यांग मासूम को अपनी हैवानियत का शिकार बनाया। मासूम बच्ची का रेप किया, और उसे मरा समझकर छोड़ दिया। इस मामले में दोषी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने अपराध को गंभीर माना, कहा कि आरोपी ने क्रूरता से अपराध किया। लेकिन दोषी की स्थिति देखते हुए कोर्ट ने फांसी की सजा को सश्रम कारावास में बदल दिया है।
ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटा
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने चार साल की बच्ची से दुष्कर्म के दोषी की मौत की सजा को 25 साल के सश्रम कारावास में बदल दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में दोषी की पृष्ठभूमि और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया। दिव्यांग बच्ची से दुष्कर्म के मामले में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी, हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए फांसी की सजा को सश्रम कारावास में बदल दिया है।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट का कहना है कि दोषी एक 20 वर्षीय अशिक्षित युवक है, जो एक गरीब आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखता है। कोर्ट ने माना कि दोषी ने एक क्रूर कृत्य किया, लेकिन उसकी शिक्षा और पालन-पोषण की कमी को भी ध्यान में रखा। कोर्ट ने कहा कि दोषी के माता-पिता ने उसे शिक्षा देने की कोशिश नहीं की और उसकी ठीक से देखभाल नहीं की गई, जिसके कारण उसने अपना घर छोड़ दिया और एक ढाबे में काम करने लगा।
फांसी की सजा बदली
कोर्ट ने माना कि ढाबे का माहौल अच्छी परवरिश के लिए अनुकूल नहीं था, जिसने दोषी के व्यवहार को प्रभावित किया। इसलिए, कोर्ट ने पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दंडनीय अपराध के लिए उसकी फांसी की सजा को 25 साल के सश्रम कारावास में बदल दिया। इसके अलावा, कोर्ट ने दोषी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
क्या है मामला?
यह मामला मध्य प्रदेश के खंडवा जिले का है, जहां पॉक्सो अदालत ने 21 अप्रैल 2023 को दोषी को मौत की सजा सुनाई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, दोषी ने 30-31 अक्टूबर 2022 की दरमियानी रात बच्ची को उसकी झोपड़ी से अगवा कर दुष्कर्म किया। बच्ची बेहोशी की हालत में मिली थी। High Court | madhya pradesh | crime news | POCSO Act | rape case