दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले, आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल द्वारा यमुना नदी के जल में 'जहर' मिलाने के आरोपों पर चुनाव आयोग (EC) ने गंभीर संज्ञान लिया है। आयोग ने केजरीवाल को नोटिस जारी कर 29 जनवरी शाम 8 बजे तक इन आरोपों के समर्थन में ठोस सबूत प्रस्तुत करने को कहा है।
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आयोग ने केजरीवाल से मांगे आरोपों के ठोस तथ्य मांगे
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को "अत्यंत गंभीर और अभूतपूर्व" बताते हुए कहा कि ऐसे दावे क्षेत्रीय समूहों के बीच वैमनस्य पैदा कर सकते हैं, कानून-व्यवस्था की समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं, और वर्ष के इस महत्वपूर्ण समय में जल संकट की धारणा या वास्तविकता को जन्म दे सकते हैं। आयोग ने जोर देकर कहा कि इन आरोपों का ठोस तथ्यात्मक आधार होना चाहिए, विशेष रूप से जब केजरीवाल के बयानों की सत्यता विवादित है।
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इससे पहले, भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और भूपेंद्र यादव शामिल थे, ने चुनाव आयोग से मुलाकात कर केजरीवाल पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उन्हें चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित करने की मांग की थी।
कांग्रेस ने भी केजरीवाल के बयानों की आलोचना की
कांग्रेस ने भी केजरीवाल के बयानों की आलोचना करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात की और यदि उनके "जनसंहार" के सुझाव झूठे पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ "अफवाह फैलाने" के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की।
वहीं, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात कर भाजपा शासित हरियाणा सरकार पर यमुना नदी में अमोनिया के उच्च स्तर का पानी छोड़ने का आरोप लगाया, जिससे दिल्ली की जल आपूर्ति खतरे में पड़ रही है।