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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
कभी दिल्ली की सियासत में मजबूत ताकत रही कांग्रेस इस चुनाव में अपनी जमीन तलाश रही है और दोबारा खड़े होने की कोशिश में है। राहुल गांधी की एंट्री के बाद कांग्रेस को महसूस हो रहा है कि दिल्ली में उसके दिन बदल सकते हैं। सीलमपुर विधानसभा सीट से राहुल ने जिस आक्रामक अंदाज में अपने चुनाव प्रचार अभियान को शुरू किया है, उससे कांग्रेस में सकारात्मक संकेत गया है। लगभग 21 मिनट के भाषण में कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लिया। दोनों ही नेताओं को उन्होंने एक तरह से ओबीसी विरोधी बताकर कठघरे में खड़ा कर दिया है। इसी प्रकार अदाणी मुद्दे पर भी घेरा।
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आप ने छीना था कांग्रेस का वोट बैंक
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की कोख से निकली आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से पहले दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व में पंद्रह साल एकछत्र राज किया। जब कांग्रेस शीर्ष पर थी, उसके पास 48 प्रतिशत वोट शेयर था। लेकिन 2020 के चुनाव में 4.26 प्रतिशत वोट शेयर के साथ वह अब तक के सबसे नीचले पायदान पर पहुंच गई है। जबकि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 9.7 प्रतिशत वोट हासिल किया था। वर्ष 2015 से 2020 के चुनावों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। दरअसल, भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन से वजूद में आई आम आदमी पार्टी के फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री पास और शिक्षा में सुधार व बेहतर चिकित्सा सेवा करने की योजनाओं ने दिल्ली के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को अपनी और खूब आकर्षित किया। कभी गरीब और मध्यम वर्ग कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक माना जाता था, जो आम आदमी पार्टी की ओर शिफ्ट कर गया। कांग्रेस अब इसी वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए तत्पर है।
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क्या आक्रामक रूख वोटरों को करेगा आकर्षित
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के तेवर से लगता है कि पार्टी चुनाव अभियान में अगले पायदान जाने का जज्बा दिखा रही है, जिससे चुनाव बेहद रोचक मोड़ ले सकता है। चुनावी मुकाबले में प्रासंगिक बने रहने के लिए कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं के मद्देनजर राहुल गांधी की सीलमपुर की इस रैली पर सभी की निगाहें लगी हुई थीं। राहुल ने पीएम मोदी के साथ केजरीवाल और उनकी पार्टी के 10 साल के शासन की विफलताओं को जिस अंदाज में रखा, उससे तस्वीर काफी साफ-साफ नजर आ रही है कि कांग्रेस चुनाव को लेकर काफी गंभीर है। कांग्रेस की पूरी कोशिश यही है कि वह अपने पुराने मतदाता वर्ग को अपने पाले में खींच लाए। सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र को मुस्लिम प्रभाव वाला माना जाता है। दिल्ली के आंकड़े बताते हैं कि मुस्लिम वर्ग आमतौर पर उधर वोट करता है, जिसमें भाजपा को हराने की क्षमता है। इसलिए उनका रूझान पिछले तीन चुनावों में आम आदमी पार्टी कि ओर रहा। कांग्रेस का वोट बैंक गिरता रहा।
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मोदी-केजरीवाल पर आक्रामक दिखे राहुल
कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में बेशक भाजपा व आम आदमी पार्टी दोनों के खिलाफ लड़ रही है, लेकिन दिल्ली की सत्ता पर केजरीवाल की पार्टी का कब्जा है। इसीलिए राहुल गांधी ने न केवल भाजपा बल्कि आम आदमी पार्टी के 10 साल की विफलताओं पर हमला करने से कोई रियायत नहीं बरती। उन्होंने एक सावधानी जरूर बरती कि केजरीवाल पर व्यक्तिगत हमले से बचे और नीतिगत हमले ही अधिक किए। इससे साफ है कि कांग्रेस भविष्य की राजनीति को भी ध्यान में रख रही है। वैसे भी लोकसभा मेंदोनोंही पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। राहुल ने आरोप लगाया कि जैसे पीएम मोदी प्रचार और झूठे वादे करते हैं, वैसी ही रणनीति अरविंद केजरीवाल की भी है। इसमें कोई फर्क नहीं है। वे सवाल करते हैं, “केजरीवाल ने दिल्ली को पेरिस बनाने और भ्रष्टाचार खत्म करने वादा किया था, लेकिन उसे पूरा किया, क्या दिल्ली से भ्रष्टाचार कम हुआ? क्या दिल्ली में आप खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं?”।
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कांग्रेस की बड़ी-बड़ी घोषणाएं क्या करेंगी आकर्षक
हालांकि राजनीति विश्लेषक यह भी मानते हैं कि सिर्फ स्टेज पर खड़े होकर बयान देने भर से कोई फायदा नहीं होने वाला है। कांग्रेस भी शायद इस तर्क से सहमत है। इसलिए महिलाओं को 2500 रुपये देने, युवा उड़ान योजना के माध्यम से युवाओं को 8500 रुपये प्रतिमाह देने के साथ 25 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज देने जैसे लोकप्रिय घोषणाएं भी की हैं। ताकि वो अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से अपनी तरफ आकर्षित करे।