नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आज मतदान जारी है। दिल्ली के चुनावी दंगल में भाजपा, आप और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। चुनाव विश्लेषकों की मानें तो इस बार आप और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है। पिछले 10 सालों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप के लिए इस बार राह आसान नहीं है। दिल्ली चुनाव में वोटिंग का पैटर्न अन्य राज्यों की तुलना में काफी अलग है। यहां मुख्य रूप से स्विंग वोटर्स की अहम भूमिका होती है। वास्तव में स्विंग वोटर्स किसी भी पार्टी का खेल बनाने और बिगाड़ने का माद्दा रखते है। इसलिए दिल्ली चुनाव में हर बार स्विंग वोटर्स की हमेशा चर्चा होती है। दिल्ली का वोटिंग पैटर्न देखें तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ये अलग-अलग रहता है। लोकसभा में जो जनता बीजेपी के पक्ष में खड़ी नजर आती है वही जनता दिल्ली विधानसभा चुनाव में खिलाफ वोटिंग करती दिखती है। इसे राजनीति की भाषा में स्विंग वोटर कहा जाता है।
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पिछले दो बार से एक ही पैटर्न
दिल्ली के पिछले दो लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव में स्विंग वोटर्स ही सियासत की दशा और दिशा तय करते रहे हैं। एक बार होता तो सियासी संयोग माना जा सकता था, लेकिन पिछले दो बार से यही पैटर्न रहा है। लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीटें बीजेपी की झोली में डालने वाला मतदाता दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के पक्ष में मजबूती से खड़ा नजर आता है। ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली में जो स्विंग वोटर हैं, वो कौन मतदाता है, जिनका मिजाज चंद महीने ही बदल जाता है।
20 से 25 फीसदी स्विंग वोटर
दिल्ली में 20 से 25 फीसदी स्विंग वोटर हैं, जो लोकसभा में अलग और विधानसभा में अलग वोटिंग करते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में आम आदमी पार्टी को 32.9 फीसदी, बीजेपी को 46.4 फीसदी और कांग्रेस को 15.1 फीसदी वोट मिले थे। बीजेपी सभी सातों सीटें जीतने में कामयाब रही थी। वहीं, 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 54.5 फीसदी, बीजेपी को 32.2 फीसदी और कांग्रेस को 9.7 फीसदी वोट मिले। इस तरह आम आदमी पार्टी को 21.6 फीसदी वोटों का फायदा हुआ जबकि बीजेपी को 14.1 और कांग्रेस को 5.4 फीसदी का नुकसान हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 18.1 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी को 56.8 फीसदी और कांग्रेस को 22.5 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन एक साल बाद विधानसभा चुनाव हुए तो सीन बदल गया. 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत 53.6 और बीजेपी का 38.5 फीसदी रहा. कांग्रेस ने 4.3 फीसदी वोट हासिल किए. बाकी वोट अन्य के खाते में गए. इस तरह से आम आदमी पार्टी को फायदा तो बीजेपी को 18 फीसदी नुकसान उठाना पड़ा।
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आखिर कौन हैं स्विंग वोटर्स?
दिल्ली की सत्ता का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत स्विंग वोटर रखते हैं. मगर, सवाल है कि स्विंग वोटर कौन हैं? इसकी जानकारी दिल्ली चुनाव को लेकर जारी सीएसडीएस के आंकड़ों से पता चलती है। दिल्ली में करीब 22 फीसदी सवर्ण जातियों के मतदाता हैं, जिसके 30 फीसदी स्विंग वोटर हैं। 2019 में सवर्ण समाज ने 75 फीसदी बीजेपी को वोट किया था और 2020 में 54 फीसदी वोट ही कर सके। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 12 फीसदी समर्थन मिला था जबकि 2020 में घटकर तीन फीसदी रह गया। आम आदमी पार्टी को 13 फीसदी समर्थन मिला था, जो 2020 में बढ़कर 41 फीसदी हो गया। दिल्ली में करीब 25-30 फीसदी ओबीसी समाज का वोट स्विंग करता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 64 फीसदी ओबीसी का समर्थन मिला था। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह घटकर 50 फीसदी रह गया। 2019 में कांग्रेस को 18 फीसदी समर्थन मिला था, जो 2020 में घटकर सिर्फ दो फीसदी रह गया. हालांकि, 2019 में आम आदमी पार्टी के 18 फीसदी ओबीसी वोट 2020 में बढ़कर 49 फीसदी पर पहुंच गया।
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क्या 2025 में बदलेगा सत्ता का सीन?
इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी का बेस वोट शेयर 25 फीसदी के बीच है जबकि बीजेपी का वोट 35 फीसदी के करीब है। कांग्रेस का सियासी आधार आम आदमी पार्टी के बीच सिमट गया है। 25 से 30 फीसदी वोटर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अपना मिजाज बदलता रहता है। दिल्ली में 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 54.35 फीसदी, आम आदमी पार्टी को 24.17 फीसदी और कांग्रेस को 18.91 फीसदी वोट मिले थे।