नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
शादियों का मौसम हो और धूमधड़ाका न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। लेकिन इसी धूमधड़ाके में कुछ लोग अपना अलग ही धंधा चला रहे थे। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने हाल ही में एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो शादी समारोहों को लूटने का ठेका लेता था। और मजे की बात यह है कि इस गैंग में शामिल चोरों को सालाना 12 लाख रुपये तक का ‘पैकेज’ मिलता था। आइए जानते हैं इस हाई-प्रोफाइल चोरी के खेल की पूरी कहानी। इसमें 9 से 15 साल तक के बच्चों को चोरी के काम में लगाया जा सकता था।
बैंड, बाजा, बारात… और चोरी!
शादी में हर कोई नए कपड़ों में सज-धजकर आता है, खाने-पीने में व्यस्त रहता है, और इसी भीड़ का फायदा उठाकर कुछ लोग मालामाल हो जाते हैं। ‘बैंड बाजा बारात’ नाम का यह गिरोह ठीक इसी रणनीति पर काम करता था। दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद में शादियों को निशाना बनाकर चोरी करने वाला यह गैंग बेहद प्रोफेशनल अंदाज में काम करता था।
इस गैंग का मास्टरमाइंड बेहद शातिर निकला। उसने चोरी को 'पार्ट-टाइम जॉब' बना दिया और इसमें ट्रेनिंग के साथ ‘पैकेज सिस्टम’ भी लागू कर दिया। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के कड़िया और गुलखेड़ी गांवों से 9 से 15 साल के बच्चों को इस काम में शामिल किया जाता था। इन बच्चों को सालाना 10 से 12 लाख रुपये तक का पैकेज ऑफर किया जाता था। जी हां, आपने सही पढ़ा – ये बच्चे प्रोफेशनल चोर बनने के लिए बाकायदा ‘हायर’ किए जाते थे।
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कैसे काम करता था यह गिरोह?
यह गिरोह बेहद संगठित तरीके से शादियों में दाखिल होता था। इनमें से कुछ सदस्य बाराती या रिश्तेदार बनकर फंक्शन में शामिल होते थे, तो कुछ कैटरिंग स्टाफ या बैंड पार्टी के रूप में घुस जाते थे। फिर ये लोग अपने निशाने पर मेहमानों के कीमती सामान, गहने, शगुन के लिफाफे और पर्स को रखते थे।
चोरी करने का तरीका भी बेहद स्मार्ट था। गिरोह की महिला और बच्चे सदस्य शादी समारोह में इधर-उधर घूमते थे, ताकि उन पर किसी को शक न हो। कुछ मेंबर्स दूल्हे या दुल्हन पक्ष के परिचित बनकर फंक्शन में घुस जाते थे। यह लोग शगुन के बैग, गिफ्ट और गहनों पर नजर रखते थे और सही मौके पर उन्हें पार कर देते थे। चोरी होते ही ये सदस्य तुरंत वहां से निकल जाते थे। बाहर खड़े ऑटो या बाइक पर इनके साथी उनका इंतजार कर रहे होते थे।
पुलिस ने कैसे किया खुलासा?
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को जब लगातार हो रही इन चोरियों की खबर मिली, तो उन्होंने एक गुप्त ऑपरेशन शुरू किया। पुलिस ने कई सीसीटीवी फुटेज खंगाले, और उन्हें हर जगह कुछ कॉमन चेहरे दिखे। जांच आगे बढ़ी, तो यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि ये कोई छोटे-मोटे चोर नहीं थे, बल्कि एक संगठित गिरोह था। गिरफ्तार किए गए चार मुख्य आरोपियों के नाम राजकुमार, सुमित, मोहित और कर्ण हैं। इनके पास से 5 मोबाइल फोन और 13 सिम कार्ड बरामद हुए हैं। पूछताछ में पता चला कि इन लोगों ने दिल्ली, हरियाणा और यूपी के कई इलाकों में वारदातों को अंजाम दिया था।
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12 लाख के पैकेज का ‘काला सच’
इस गैंग के बारे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें शामिल मासूम बच्चे मजबूरी में इस जुर्म की दुनिया में आ जाते थे। गरीबी और बेरोजगारी की मार झेल रहे ये बच्चे लालच और दबाव में आकर इस खतरनाक गिरोह का हिस्सा बनते गए। पुलिस अब इस गिरोह के नेटवर्क को तोड़ने और इसके पीछे के असली मास्टरमाइंड तक पहुंचने के लिए जांच में जुटी हुई है।