नोएडा, वाईबीएन नेटवर्क।
स्टार्टअप कंपनियों के उत्पादों को विभिन्न राज्यों में ड्रिस्टीब्यूटर उपलब्ध कराने के नाम पर ठगी करने वाले 13 लोगों को नोएडा की सेक्टर-63 थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों में 10 पुरुष और तीन महिलाएं शामिल है। ये लोग ठगी के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब पर अपना प्रचार करते थे। इनके पास से भारी मात्रा में आईटी का सामान बरामद किया है। अब तक ये लोग 200 से ज्यादा लोगों से ठगी कर चुके है।
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डिस्ट्रीब्यूटर उपलब्ध कराने का झांसा देकर करते थे ठगी
नोएडा के डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि जी-65 जी ब्लॉक सेक्टर-63 में डिस्ट्रीब्यूटर चैनल भारत नाम की एक कंपनी खोली थी। हाल ही में जम्मू निवासी एक व्यक्ति ने 4,86,000 रुपये की धोखाधड़ी के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया था। इस शिकायत के आधार पर जांच की गई। मौके पर साइबर टीम और पुलिस ने रेड की तो वहां लोग काम कर रहे थे। टीम द्वारा लैपटॉप और डेस्कटॉप जांच करने पर ठगी के अहम दस्तावेज मिले। जिसमें साफ था कि ये लोग उत्पादों का विभिन्न राज्यों में प्रचार करने और डिस्ट्रीब्यूटर उपलब्ध कराने का झांसा देकर ठगी कर रहे थे। मौके पर 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनकी पहचान केशव वशिष्ठ, विकास शर्मा, रवि शर्मा, अमित, प्रदीप, अविनाश गिरी, आशीष कुमार मौर्या, रितेश कुमार, मनीष गौतम, रितेश कुमार, निधि, अंजली पाण्डेय, कृतिका है।
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8 से 10 डिस्ट्रीब्यूटर देने का प्रलोभन
डीसीपी ने बताया कि ये लोग अपनी कंपनी के प्रचार में बताते थे कि कोई भी अपने उत्पादों का प्रचार या डिस्ट्रीब्यूटर चाहता है तो संपर्क करे। ये लोग कस्टमर को पैकेज बेचा करते थे। जिसमें प्रलोभन था कि अलग-अलग राज्यों में 8 से 10 डिस्ट्रीब्यूटर प्रतिमाह देंगे। जो आपके सामान को जल्दी बिकवाकर आपके मुनाफा को कई गुना तक बढ़ा देंगे। उत्पाद का प्रचार सोशल मीडिया पर करेंगे। इसके लिए ये लाखों रुपए कस्टमर से लेते थे। इनके अधिकांश कस्टमर दूर दराज के राज्यों के होते थे। ताकि वो लोग यहां न आ सके।
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कस्टमर से लेते थे 3 से 4 लाख रुपए
कंपनी का जो भी कर्मचारी कस्टमर को फंसाकर पैकेज लाने में समर्थ होता था। उसे इंसेंटिव दिया जाता था। ये लोग काफी दिनों से यहां कंपनी खोलकर काम कर थे। फिलहाल पुलिसा इनका डेटा बेस चेक कर रही है। ये लोग पैकेज के नाम कस्टमर से 3 से 4 लाख रुपए लेते थे। पुलिस से न पकड़े जाए इसलिए तीन से चार महीने में ऑफिस बदल लेते थे।
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पकड़े गए आरोपियों का कंपनी में रोल
कंपनी में एचआर मैनेजर कृतिका ने पूछताछ के दौरान बताया गया कि उसकी ज्वाइनिंग करीब 2 साल पहले वाया ट्रेड प्रालि कंपनी में एचआर के पद पर हुई थी। वह कंपनी भी डायरेक्टर मंयक तिवारी की थी। वह मयंक तिवारी को करीब 2 साल से जानती है। उसने कंपनी में कर्मचारी का चयन और उनके कार्य का निर्धारण किया जाता था। हमारी पूर्व कंपनी पर नोटिस आ रहे थे। ऐसे में उक्त कंपनी का नाम व पता बदल दिया था। कंपनी द्वारा उत्पादको को स्क्रिप्ट के अनुसार लुभावने ऑफर देकर अपना पैकेज खरीदने के लिये तैयार किया जाता था।