/young-bharat-news/media/media_files/2025/02/04/R1pkJdpW5dbpthT1yE9j.jpg)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः जूडिशिरी में ऐसा अक्सर होता नहीं है लेकिन फिलहाल तो हो रहा है। एक बिल्डर ने सारे पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट को घुटनों पर बिठा दिया। उसने एक ऐसी रिट फाइल की है जिसकी सुनवाई करने से सारे जस्टिस कतरा रहे हैं। यहां तक कि हाईकोर्ट के तेज तर्रार चीफ जस्टिस शील नागू ने भी हथियार उठाने के बाद नीचे डाल दिए। बिल्डर की रिट पर सुनवाई करने से उन्होंने भी इन्कार कर दिया है। खास बात है कि जब शील नागू ने ये केस अपनी बेंच में लगवाया था तो बहुत से वकीलों ने एतराज किया। तब उनका कहना था कि वो इस केस में दूध का दूध और पानी का पानी करेंगे। लेकिन ऐन मौके पर वो भी पीछे हट गए।
M3M ग्रुप के मालिक रूप बंसल ने जजों के किया बेबस
जिस शख्स ने सारे हाईकोर्ट को चक्कर खिला दिए वो है M3M ग्रुप का मालिक रूप बंसल। रूप बंसल के खिलाफ हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक मुकदमा दर्ज किया है। वैसे तो ये केस 2023 में ही दर्ज हो गया था पर इसे खारिज कराने की कवायद अब जोरों शोरों से चल रही है। रूप बंसल ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट से दरख्वास्त की है कि वो उनके खिलाफ दर्ज केस को खारिज करे। लेकिन जिस बेंच के सामने भी ये केस जाता है वो हाथ कड़े कर देती है।
स्पेशल जज पर मुकदमा दर्ज होने के बाद शुरू हुई कहानी
इस कहानी की शुरुआत 2023 में होती है। स्पेशल कोर्ट में M3M ग्रुप का एक केस लगता है। स्पेशल जज सुधीर परमार मामले की सुनवाई करते हैं और फैसला रूप बंसल के फेवर में चला जाता है। कहने को तो ये कोर्ट की रुटीन कार्यवाही थी, जिसमें एक केस कोर्ट के सामने आया और उसने साक्ष्यों को देखकर फैसले कर दिया। लेकिन कहानी उस वक्त घूम जाती है जब हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो सुधीर परमार के खिलाफ एक केस दर्ज कर देती है। एसीबी का कहना था कि सुधीर परमार ने रूप बंसल से 5 से 7 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। ये पैसे दिए गए थे मुकदमे का फैसला अपने पक्ष में करने के लिए। एसीबी मामले की जांच जारी रखती है पर रूप बंसल के सामने दिक्कत तब खड़ी होती है जब मामले में ईडी की एंट्री होती है।
ईडी की एंट्री के बाद घबरा गया रूप बंसल
ईडी करोड़ों की उस रकम का सोर्स पता लगाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देती है जो सुधीर परमार को रिश्वत के तौर पर दी गई थी। ईडी के अफसर रूप बंसल के खातों को खंगालना शुरू कर देते हैं। रूप बंसल के लिए ये चीज खतरे की एक घंटी की तरह से था, क्योंकि बिल्डर ज्यादातर काम नंबर दो के पैसे से करते हैं। रूप बंसल को लगा कि सुधीर परमार और उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा खारिज नहीं हुआ तो मुश्किल हो जाएगी। लिहाजा वो हाईकोर्ट की तरफ भागते हैं। वो पूरी प्लानिंग के साथ हाईकोर्ट के सामने अपना केस रखते हैं।
हाईकोर्ट पहुंचने से पहले वकीलों की खड़ी कर दी फौज
रूप बंसल अपने साथ वकीलों की एक फौज खड़ी कर लेते हैं। हाईकोर्ट की रजिस्ट्री जिस बेंच के सामने उनका केस लगाती है वो वहां पर एक ऐसा वकील खड़ा कर देते हैं जो सामने बैठे जज के कभी करीब रहा था। एक के बाद एक करके कई जज केस की सुनवाई से हाथ खड़े कर देते हैं। हर नई बेंच के लिए रूप बंसल के पास एक ऐसा वकील होता है जिसे देखकर जज सुनवाई से अपने हाथ खड़े कर दें। ये बात चीफ जस्टिस आफ हाईकोर्ट को समझ में आ जाती है। judiciary of india | Judiciary | Indian Judiciary not present in content
शील नागू ने देखा खेल तो खुद की बेंच में ले लिया मामला
शील नागू एक खास फैसले के तहत केस को अपनी बेंच में ट्रांसफर कर लेते हैं। हालांकि जिस दौरान इस केस को वो अपनी बेंच में लगवाते हैं तब जस्टिस महेंद्र सिंह संधू की सिंगल बेंच इस केस की सुनवाई के बाद फैसला रिजर्व कर चुकी होती है। रूप बंसल के वकीलों को जब समझ में आता है कि शील नागू का ये फैसला उनके लिए घातक हो सकता है तो वो विरोध भी करते हैं पर चीफ जस्टिस नहीं मानते। रूप बंसल पैरवी के लिए अभिषेक मनु सिंघवी को खड़ा करते हैं।
चीफ जस्टिस को एक्टिव देख सिंघवी को चंडीगढ़ बुलवाया
सिंघवी पहली पेशी से चीफ जस्टिस को समझाते हैं कि वो इस केस को न सुनें। चीफ जस्टिस नहीं मानते। पिछली तीन-चार तारीखों में इसी तरह की चीजें सामने आती हैं। सिंघवी चीफ जस्टिस से कहते हैं कि उनको याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए पर शील नागू नहीं मानते। आखिर में सिंघवी कुछ ऐसा करते हैं जिससे चीफ जस्टिस बेबस हो जाते हैं। सिंघवी चीफ जस्टिस से कहते हैं कि रूप बंसल को इस बात पर आपत्ति है कि आप केस की सुनवाई कर रहे हैं। हालांकि ईडी के वकील उनकी बात पर विरोध जताते हैं पर सिंघवी नहीं मानते। वो अड़े रहते हैं। चीफ जस्टिस कुछ देर चुप रहते हैं और फिर अपने हाथ खड़े कर देते हैं।
सिंघवी ने फेंका ब्रह्मास्त्र तो बेबस को गए चीफ जस्टिस
चीफ जस्टिस कहते हैं कि वो इस केस की सुनवाई से हट रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या जो आपत्ति सिंघवी ने दर्ज कराई उसके बारे में शील नागू को पहले से नहीं पता था। वो जिद करके इस केस की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने खुद ही पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि वो इस केस की सुनवाई को बंद नहीं करने जा रहे। फिर ऐसा क्या हुआ जो वो पीछे हट गए। सारे मामले को देखें तो साफ कहा जा सकता है कि एक बिल्डर ने सारे हाईकोर्ट को उंगलियों पर नचा दिया। शील नागू अब केस की सुनवाई में किस जज को तैनात करेंगे। पहले से ही 6-7 जज सुनवाई करने से अपने हाथ खड़े कर चुके हैं तो अब कौन सुनवाई के लिए तैयार होगा।
Punjab and Haryana High Court, M3M Group, Roop Bansal, Special Judge Sudhir Parmar, Abhishek Manu Singhvi, Chief Justice Sheel Nagu