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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: देश की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2025 को लेकर दाखिल की गई एक महत्वपूर्ण याचिका को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। याचिका में परीक्षा के एक प्रश्न में कथित त्रुटि का हवाला देते हुए परिणामों में संशोधन की मांग की गई थी। हालांकि, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की दो-न्यायाधीशीय पीठ ने इस अपील पर विचार करने से स्पष्ट इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि इससे पहले भी ऐसी ही एक याचिका को दो दिन पूर्व खारिज किया जा चुका है, और अदालत व्यक्तिगत स्तर की परीक्षात्मक आपत्तियों पर विचार नहीं कर सकती।
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एक प्रश्न के कई संभावित सही उत्तर हो सकते हैं
पीठ ने साफ शब्दों में कहा कि हम पहले ही समान प्रकृति की याचिकाओं को खारिज कर चुके हैं। हमें यह समझना होगा कि एक प्रश्न के कई संभावित सही उत्तर हो सकते हैं। लेकिन हम उस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकते जिसमें लाखों छात्र शामिल होते हैं। यह सिर्फ किसी एक व्यक्ति की शिकायत नहीं है, बल्कि यदि हम इसमें दखल देते हैं तो हजारों छात्रों का भविष्य प्रभावित हो सकता है। इस याचिका को एक ऐसे अभ्यर्थी द्वारा दाखिल किया गया था जिसने यह दावा किया कि प्रश्न पत्र में एक सवाल के उत्तर में त्रुटि थी, जिससे उसके अंक प्रभावित हुए हैं। उसने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि इस त्रुटि को सुधारा जाए और परिणामों में आवश्यक संशोधन किया जाए।
मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का एकमात्र द्वार
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नीट-यूजी परीक्षा, जिसे राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित किया जाता है, देशभर के लाखों छात्रों के लिए सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का एकमात्र द्वार है। यह परीक्षा हर वर्ष होती है और इसमें भारी संख्या में अभ्यर्थी भाग लेते हैं। ऐसे में किसी एक प्रश्न या व्यक्तिगत त्रुटि पर निर्णय लेने से पूरे सिस्टम की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है। न्यायालय के इस फैसले के बाद यह संकेत साफ है कि वह उन मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा जो व्यक्तिगत या सीमित दायरे के हैं, विशेषकर जब वह परीक्षा प्रणाली के व्यापक ढांचे को प्रभावित कर सकते हों।supreme court
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