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"26 साल बाद भी कैप्टन बत्रा के पिता की आंखें नम हैं! लेकिन, सीना गर्व से चौड़ा" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।''हमें विक्रम बत्रा की बहुत याद आती है...'' — ऐसा कहकर भावुक हो उठे कैप्टन विक्रम बत्रा पिता गिरधारी लाल बत्रा ने कहा कि उसकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती है। वाकई यह भावनात्मक की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक सच्चे हीरो की अमर गाथा है। कैप्टन विक्रम बत्रा, कारगिल युद्ध के ऐसे वीर योद्धा थे जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनके साहस, जुनून और ‘ये दिल मांगे मोर’ जैसे अदम्य जोश ने उन्हें न केवल एक युद्ध नायक बनाया, बल्कि हर भारतीय के दिल में अमिट छाप छोड़ी। आज भी जब उनका नाम लिया जाता है, आंखें नम हो उठती हैं और गर्व से सिर ऊंचा हो जाता है।
आज शनिवार 26 जुलाई 2025 को कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ है और पूरा देश उन शहीदों को नमन कर रहा है जिन्होंने अपनी जान न्यौछावर कर भारत माता की रक्षा की। इस अवसर पर, परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता गिरधारी लाल बत्रा ने अपने बेटे और देश के वीर सपूतों को याद किया। उनकी बातें सुनकर हर भारतीय की आंखें नम हो जाएंगी।
आज जब पूरा देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है, तो हमारा ध्यान उन परिवारों की ओर भी जाता है जिन्होंने अपने लाडलों को देश के लिए कुर्बान कर दिया। ऐसे ही एक पिता हैं गिरधारी लाल बत्रा, जो परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता हैं। उनकी आँखों में आज भी अपने शहीद बेटे को खोने का दर्द साफ झलकता है, लेकिन साथ ही देश के लिए विक्रम बत्रा के सर्वोच्च बलिदान का गर्व भी।
गिरधारी लाल बत्रा कहते हैं, "यह हमारे लिए गर्व का दिन है। यह किसी उत्सव से कम नहीं। 26 साल हो गए हैं। हम उन दिनों को भूले नहीं हैं, जिस तरह से हमारे जवानों ने दुश्मन को खदेड़ने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, वह हमारे लिए गर्व की बात है।" उनकी आवाज़ में एक पिता का दर्द और एक देशभक्त का सीना चौड़ा करने वाला गर्व दोनों महसूस होते हैं। यह दिखाता है कि कैसे एक परिवार ने देश के लिए इतना बड़ा बलिदान दिया।
#WATCH | Kargil Vijay Diwas | Captain Vikram Batra's father, Girdhari Lal Batra says, "Its a proud day for us. It is no less than a celebration. It has been 26 years. We haven't forgotten those days, the way our men sacrificed their lives to chase the enemy away from, is a thing… pic.twitter.com/Jo6jyisaJR
— ANI (@ANI) July 26, 2025
"विक्रम की कमी कभी पूरी नहीं हो सकती"
भावुक होकर गिरधारी लाल बत्रा आगे कहते हैं, "हमें उसकी (कैप्टन विक्रम बत्रा) बहुत याद आती है और वह कमी कभी पूरी नहीं हो सकती।" यह हर उस माता-पिता का दर्द है जिसने देश सेवा में अपने बच्चे को खोया है। कैप्टन विक्रम बत्रा ने 'ये दिल मांगे मोर' कहकर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे और टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था। उनकी वीरता की कहानियां आज भी देश के युवाओं को प्रेरित करती हैं। उनके पिता की ये पंक्तियाँ बताती हैं कि भले ही 26 साल बीत गए हों, लेकिन बेटे की याद और उसके बलिदान का अहसास आज भी उनके लिए उतना ही ताजा है।
धन्य हैं वे माता-पिता...
बत्रा जी की बातें सुनकर दिल भर आता है। वह कहते हैं, "भाग्यशाली हैं वे माता-पिता जिनके बच्चे उनके जैसे होते हैं, जिन्होंने न केवल उन्हें, बल्कि देश को भी गौरवान्वित किया..." ये शब्द उन सभी वीर सपूतों को श्रद्धांजलि हैं जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपनी जान की परवाह न करते हुए देश की आन-बान-शान के लिए लड़ाई लड़ी। कारगिल विजय दिवस केवल एक दिन नहीं, बल्कि उन लाखों बलिदानों की याद दिलाता है जो हमारी स्वतंत्रता और अखंडता के लिए दिए गए हैं।
'ऑपरेशन सिंदूर' और पाकिस्तान की बर्बरता का बदला
गिरधारी लाल बत्रा ने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान की क्रूरता को भी याद किया। उन्होंने कहा, "पहलगाम में पाकिस्तानियों द्वारा दिखाई गई बर्बरता का बदला लिया जाना था, और हमारी सेनाओं ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के साथ अच्छा काम किया..." यह बात महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उस समय के माहौल और भारतीय सेना के दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया और दुश्मनों को खदेड़ कर विजय हासिल की। 'ऑपरेशन विजय' के तहत भारतीय सेना ने जो पराक्रम दिखाया, वह इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।
कारगिल युद्ध भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह युद्ध सिर्फ सीमा पर लड़ी गई लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह हमारी सेना के अदम्य साहस, समर्पण और बलिदान का प्रतीक है। कैप्टन विक्रम बत्रा जैसे अनगिनत वीरों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा की। आज जब हम कारगिल विजय दिवस मना रहे हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी आजादी की कीमत चुकाई गई है और उस कीमत में हमारे वीर सपूतों का खून और पसीना शामिल है।
इस कारगिल विजय दिवस पर, आइए हम उन सभी बहादुरों को याद करें जिन्होंने हमारे देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। आइए हम संकल्प लें कि हम उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे और एक मजबूत तथा समृद्ध भारत का निर्माण करेंगे।
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