आठ वर्ष की आयु से संघ की सेवा में लगे
नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री
बनने के बाद आज पहली बार संघ मुख्यालय पहुंचे हैं। सियासी हलकों में आज यह बड़ा सवाल है। सवाल इसलिए भी है कि प्रधानमंत्री को दिल्ली से नागपुर पहुंचने में 11 साल का समय लग गया। आखिर ऐसा क्या हुआ? क्या व्यस्तता के चलते यह संभव नहीं हुआ? या कुछ और बात है। आज प्रधानमंत्री का नागपुर पहुंचना क्या महज संयोग है,
2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सोशल इंजीनियरिंग का तकाजा? इन सब सवालों के जवाब तलाशने के लिए इस खबर को पूरी पढ़ें।
2014 में क्लियर मैंडेट, 2019 में और बढ़ी भाजपा
2014 में पहली बार भाजपा ने पहली बार उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और बंपर जीत भी हासिल की थी। भाजपा ने अकेले 282 लोकसभा सीटें जीती थीं। यानी जादुई आंकड़े से 10 अधिक। एनडीए गठबंधन के पक्ष में 336 सीटों का आंकड़ा दम ठोककर विजयी पताका लहरा रहा था। 2019 में भाजपा ने और बढ़त बनाई और 303 सीटें जीत लीं, हालांकि एनडीए के अन्य सहयोगियों की सीटों में चार का नुकसान हुआ। लेकिन भाजपा को मिली बढ़त ने एनडीए का आंकड़ा इस बार 353 पर पहुंचा दिया था।
जादुई आंकड़े से भी कम रह गईं भाजपा की सीटें
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा। 2019 में 303 सीटों पर विजय पताका फहराने वाली भाजपा इस बार 240 पर सिमट गई। पिछले दो चुनावों में अकेले दम पर सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें हासिल करती रही भाजपा को यह बड़ा झटका था। यूपी जैसे सूबे में सपा ने रिकॉर्ड 37 सीटें जीत ली थीं, हालांकि एनडीए को कुल 293 सीटें मिल गईं और सरकार बन गई।
भाजपा को यूपी में लगा सबसे बड़ा झटका
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान उसी सूबे में लगा जहां राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ। निसंदेह यह बड़ा काम था और पार्टी को भी इसका असर होने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, शायद इसीलिए पार्टी को समझ आ गया कि कुछ तो गड़बड़ है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयानों में भी इस तरह के संकेत मिले की दूरियां बढ़ी हैं। सियासी जानकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज नागपुर दौरे को इसी से जोड़कर देख रहे हैं।
नितिन गड़करी भी पीएम के साथ मौजूद रहे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
संघ मुख्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। पीएम ने पहले सरसंघचालक डा. केशव बलिराम हेड़गेवार और द्वितीय सरसंघचालक गोलवलकर “गुरूजी” की स्मृति को नमन किया। आज के इस दौरान में केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी भी उनके साथ नजर आए और सियासी जानकार गड़करी की मौजूदगी को भी दूरियां कम करने के प्रयास से जोड़कर देख रहे हैं।