नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात लगातार गहराते जा रहे हैं। गुरुवार की रात पाकिस्तान की ओर से भारत के कई इलाकों में हमले की कोशिश की गई, जिसे भारतीय सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया। इस दुस्साहस का करारा जवाब देते हुए भारतीय सेना ने पाकिस्तान के भीतर कई सामरिक ठिकानों पर जवाबी हमले किए। भारतीय वायुसेना ने इस कार्रवाई में 50 पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया है और चार फाइटर जेट्स को भी आसमान से ध्वस्त कर दिया है। इस घटनाक्रम के बीच वैश्विक बिरादरी की निगाहें भारत-पाकिस्तान सीमा की ओर टिक गई हैं। दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक, अमेरिका ने इस स्थिति पर प्रतिक्रिया दी है, जो बेहद अहम मानी जा रही है। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वॉशिंगटन इस संघर्ष में कोई भूमिका नहीं निभाएगा और इसे भारत व पाकिस्तान का ‘आपसी मामला’ मानता है।
"हम युद्ध के बीच में नहीं पड़ेंगे" — वेंस
अमेरिकी
उपराष्ट्रपति वेंस ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा कि हम इस क्षेत्र में चल रहे तनाव को लेकर चिंतित जरूर हैं, लेकिन हम इस युद्ध में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। यह भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला है। हम केवल यह आशा कर सकते हैं कि यह संघर्ष नियंत्रण से बाहर न जाए। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका दोनों देशों से हथियार डालने की अपील नहीं कर सकता और न ही उन पर कोई दबाव बना सकता है। “हम सिर्फ कूटनीतिक माध्यमों से शांति की कोशिश कर सकते हैं। भारत को पाकिस्तान से गंभीर शिकायतें हैं, और पाकिस्तान ने उसका जवाब देने की कोशिश की है। हमें उम्मीद है कि दोनों देश तनाव को बढ़ाने की बजाय उसे कम करने की दिशा में काम करेंगे।
परमाणु युद्ध की चिंता
जेडी वेंस ने इस बात पर विशेष चिंता जताई कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु शक्ति-संपन्न देश हैं और यदि यह तनाव और अधिक बढ़ा, तो परमाणु संघर्ष की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “अगर यह टकराव परमाणु युद्ध में बदल गया तो इसका असर सिर्फ दक्षिण एशिया ही नहीं, पूरी दुनिया पर पड़ेगा। इसलिए कूटनीति, संयम और बातचीत की राह ही एकमात्र विकल्प है। वर्तमान घटनाक्रम के संदर्भ में जब 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की तुलना की गई, तो वेंस ने कहा कि तब अमेरिका ने पाकिस्तान का साथ देते हुए बंगाल की खाड़ी में अपना युद्धपोत तक भेजा था, लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरह अलग है। उन्होंने कहाकि आज की दुनिया बहुत बदल चुकी है। अमेरिका अब प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप के बजाय कूटनीतिक रास्तों को प्राथमिकता देता है। हम नहीं चाहते कि किसी क्षेत्रीय विवाद की वजह से वैश्विक अस्थिरता पैदा हो।
संतुलित लेकिन स्पष्ट संदेश
अमेरिका का यह रुख दक्षिण एशिया के समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है। जहां एक ओर भारत को अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए सैन्य जवाब देने की पूरी छूट मिल रही है, वहीं पाकिस्तान को भी यह संदेश मिल रहा है कि वैश्विक समर्थन की जो उम्मीद वह अमेरिका से लगाता रहा है, वह अब पहले जैसी नहीं रही।