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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।असम में पिछले 48 घंटों से हो रही मूसलधार बारिश ने बाढ़ जैसी गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। राज्य के 20 से अधिक ज़िले इस बाढ़ से प्रभावित हैं, जिसमें दरांग, नगांव, काछार, धेमाजी और डिब्रूगढ़ प्रमुख हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (ASDMA) के अनुसार, अब तक 6.52 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हो चुके हैं। आज सुबह 10 बजे जारी बुलेटिन में बताया गया कि ब्रह्मपुत्र, कोपिली और बेकी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने आपात बैठक कर राहत बचाव कार्य जारी करने के निर्देश दिए। बाढ़ से NH-27 क्षतिग्रस्त हो गया है और स्कूल-कॉलेज सब बंद कर दिए गए हैं।
बाढ़ से जुड़ी ज़मीनी हकीकत
- 2567 गांव जलमग्न, 34,000 हेक्टेयर फसलें बर्बाद
- करीब 55,000 लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं
- राष्ट्रीय राजमार्ग NH-27 के कई हिस्से क्षतिग्रस्त
- दीमा हसाओ ज़िले में रेलवे लाइन बह गई, कई ट्रेनें रद्द
- स्कूल-कॉलेज अगले आदेश तक बंद
स्थानीय निवासी बिजॉय बरुआ के अनुसार, "हमारी खेती चौपट हो गई, घर में घुसा पानी अब छत तक पहुंच चुका है। बचाव नावों से हो रहा है।"
STORY | Assam flood remains grim with heavy rain resulting in water level rise, around 6.5 lakh affected
— Press Trust of India (@PTI_News) June 4, 2025
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अधिकारी प्रतिक्रिया: राज्य सरकार अलर्ट मोड में
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने असम सचिवालय में आपातकालीन बैठक बुलाई और केंद्रीय गृह मंत्रालय से सहायता मांगी। उन्होंने कहा,
"NDRF और SDRF की 20 से ज्यादा टीमें राहत कार्य में लगी हैं। हेलीकॉप्टर से खाद्यान्न वितरण शुरू किया गया है।"
मुख्यमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, सभी ज़िलाधिकारियों को आदेश संख्या AS/RE/1234/2024 के तहत राहत और पुनर्वास को प्राथमिकता देने को कहा गया है।
जांच विवरण: असम सचिवालय ने मांगी रिपोर्ट
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) ने सभी ज़िलों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि किन इलाकों में जल निकासी असफल रही और बाढ़ नियंत्रण बांध किस स्थान पर टूटा।
गुवाहाटी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. नीलोत्पल सैकिया ने बताया, "ब्रह्मपुत्र में जलस्तर 105.5 मीटर तक पहुंच चुका है, जबकि खतरे की सीमा 103.8 मीटर है। इस तरह की बाढ़ हर 5 साल में दोहराई जा रही है।"
भविष्य की कार्रवाई: स्थायी समाधान की मांग
सरकार ने प्रभावित इलाकों में 50 से अधिक नावें, मेडिकल टीमें और राहत किट भेजी हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों ने मांग की है कि सिर्फ आपात राहत नहीं, स्थायी तटबंध और रिवर ड्रेजिंग की भी योजना लाई जाए।
स्थानीय NGO ‘जल जीवन रक्षा समिति’ के अध्यक्ष हिमांशु कलिता ने बताया, "हर साल यही हाल होता है। सरकार को चाहिए कि जलप्रवाह के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाए।"
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