/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/05/loksabha-rajya-sabha-2025-2025-08-05-12-06-48.jpg)
LOKSABHA Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को आयकर विधेयक 2025 को लोकसभा से वापस ले लिया है। केबिनेट बैठक में फैसला लिए जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। यह फैसला उस रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है, जो भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय प्रवर समिति द्वारा सौंपी गई थी। समिति ने विधेयक की समीक्षा कर 285 सुझाव दिए थे, जिनमें से अधिकांश को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में यह विधेयक वापस लेते हुए कहा कि संशोधित स्वरूप में नया विधेयक 11 अगस्त 2025 को पेश किया जाएगा।
क्यों वापस लिया गया विधेयक?
Parliament Monsoon Session:प्रवर समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा विधेयक में गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) और धार्मिक ट्रस्टों से जुड़े कई अस्पष्ट प्रावधान हैं, खासकर गुमनाम दान पर टैक्स लगाने को लेकर। समिति ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 115बीबीसी के अनुरूप प्रावधान को फिर से लागू करने की सिफारिश की, जिसमें ऐसे दानों पर व्यापक छूट दी जाती है। इसके अतिरिक्त, समिति ने सुझाव दिया कि जिन लोगों को आम तौर पर आईटीआर दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होती, उनके लिए रिफंड प्राप्त करने की प्रक्रिया सरल की जानी चाहिए।
नया विधेयक होगा पहले से छोटा और सरल
- नए आयकर विधेयक में कुल 2.6 लाख शब्द होंगे, जो पुराने कानून (5.12 लाख शब्द) से आधे हैं।
- धाराएं घटाकर 536 कर दी गई हैं (पहले 819)।
- अध्याय 47 से घटाकर 23, तालिकाएं 18 से बढ़ाकर 57 की गई हैं।
- कुल 1200 प्रावधान और 900 स्पष्टीकरण हटाए गए हैं।
- टीडीएस/टीसीएस और छूट को सारणीबद्ध और स्पष्ट किया गया है।
धार्मिक व परमार्थ ट्रस्टों पर विशेष ध्यान
समिति ने सुझाव दिया कि धार्मिक व परमार्थ ट्रस्टों को गुमनाम दान पर कर छूट मिलनी चाहिए, जैसा कि वर्तमान कानून में है। प्रस्तावित विधेयक में केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए बने एनपीओ को ही सीमित छूट दी गई थी, जो परमार्थ ट्रस्टों के लिए प्रतिकूल हो सकता था। सूत्रों के अनुसार, नए संस्करण को स्पष्टता के साथ, सभी संशोधनों को सम्मिलित कर 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किया जाएगा। साथ ही, मानसून सत्र में 8 नए विधेयक भी पेश किए जाने हैं। विधेयक में "पिछले वर्ष" और "कर निर्धारण वर्ष" की जगह केवल "कर वर्ष" की अवधारणा अपनाई गई है। इससे टैक्स प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी व सरल हो सकेगी। central government | parliament monsoon session 2025