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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित अंतरिम समिति पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सहमति जता दी है। लेकिन इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ सरकार ने शर्त रखी है कि समिति का नेतृत्व एक सनातनी हिंदू सेवानिवृत्त न्यायाधीश को ही सौंपा जाए। सरकार की दलील है कि किसी अन्य मजहब या पंथ को मानने वाले व्यक्ति को मंदिर जैसी धार्मिक संस्था के संचालन की जिम्मेदारी नहीं सौंपी जानी चाहिए। बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन अब न्यायिक निगरानी में चलेगा, लेकिन इसमें धार्मिक आस्था और संस्कृति को लेकर सरकार की विशेष शर्त ने नई बहस को जन्म दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट अब तय करेगा कि इस मांग को कैसे संतुलित किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने रखी गई शर्त
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाला बागची की बेंच के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि सरकार को अंतरिम समिति के गठन पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि सरकार की एकमात्र मांग यह है कि समिति का अध्यक्ष वही हो- जो आस्था से सनातनी हिंदू हो।
समिति के कार्य और दायित्व
सुप्रीम कोर्ट की इस समिति को बांके बिहारी मंदिर का प्रशासनिक संचालन सौंपा जाएगा, जब तक कि इलाहाबाद हाई कोर्ट मंदिर में प्रस्तावित कॉरिडोर निर्माण और सुविधाओं पर राज्य सरकार के अध्यादेश पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता। समिति के मुखिया को मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी दी जाएगी। मुखिया को मंदिर फंड का प्रबंधन और विकास कार्यों में खर्च की अनुमति होगी और दैनिक संचालन और भक्तों की सुविधाओं की देखरेख करनी होगी।
क्यों जरूरी हुआ समिति का गठन?
मंदिर में दर्शन व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण और विवादित कॉरिडोर निर्माण को लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष अंतरिम समिति के गठन का प्रस्ताव रखा था, जिससे मंदिर की पारदर्शिता और श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित की जा सके।
बातचीत से समाधान निकालने की सलाह दी थी
विवाद की वजह मंदिर फंड से 500 करोड़ रुपये के उपयोग का प्रस्ताव है, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार एक नए अध्यादेश के तहत अमल में लाना चाहती है। इस अध्यादेश का मंदिर ट्रस्ट ने कड़ा विरोध किया है। श्री बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर निर्माण को लेकर उठे विवाद पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि मामले का समाधान बातचीत के जरिए निकाला जाए। समाधान निकाले जाने तक समिति के गठन की बात भी सुप्रीम कोर्ट ने कही थी। कोर्ट ने कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार और श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट मामले का समाधान बातचीत से निकालें। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, "भगवान कृष्ण पहले मध्यस्थ थे। कृपया आपसी संवाद से समाधान निकालें।"