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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर निर्माण को लेकर उठे विवाद पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। विवाद की वजह मंदिर फंड से 500 करोड़ रुपये के उपयोग का प्रस्ताव है, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार एक नए अध्यादेश के तहत अमल में लाना चाहती है। इस अध्यादेश का मंदिर ट्रस्ट ने कड़ा विरोध किया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट को मामले का समाधान बातचीत से निकालने की सलाह दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, "भगवान कृष्ण पहले मध्यस्थ थे। कृपया आपसी संवाद से समाधान निकालें।"
हाईकोर्ट को दी नसीहत
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता की जांच पहले हाईकोर्ट को करनी चाहिए थी। बेंच ने 15 मई को दिए गए उस आदेश को मौखिक रूप से वापस लेने का सुझाव भी दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर फंड के इस्तेमाल की अनुमति दी थी। बेंच ने कहा कि जब तक अध्यादेश पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता, तब तक मंदिर के संचालन के लिए एक अंतरिम कमेटी बनाई जाएगी, जो फंड का सीमित उपयोग कर सकेगी।
सेवानिवृत्त जजों को कमेटी में शामिल करें
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि इस कमेटी में हाई कोर्ट के पूर्व जज और वरिष्ठ सेवानिवृत्त जिला जज को शामिल किया जाए, जो मैनेजमेंट ट्रस्टी के रूप में काम करेंगे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर ट्रस्ट चाहे तो उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश को अदालत में चुनौती दे सकता है, और ट्रस्ट की यह मांग भी वैध मानी जाएगी कि मंदिर प्रबंधन से जुड़े फैसले वही ले। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कोर्ट से मंगलवार तक का समय मांगा है ताकि वह इस मामले में सरकार का पक्ष रख सकें।
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