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मैसूर, वाईबीएन डेस्क: बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक ने सोमवार को चामुंडी पहाड़ी पर देवी चामुंडेश्वरी को फूल चढ़ाकर ऐतिहासिक मैसूर दशहरा उत्सव का शुभारंभ किया। पीले और हरे रंग की सिल्क साड़ी पहने और बालों में फूल लगाए बानू मुश्ताक ने सीएम सिद्धारमैया के साथ पूजा-अर्चना और पारंपरिक अनुष्ठानों में भाग लिया। इस अवसर पर राज्य सरकार ने विशेष सुरक्षा व्यवस्था की थी क्योंकि भाजपा नेताओं और हिंदू कार्यकर्ताओं ने बानू मुश्ताक द्वारा मंदिर के उद्घाटन का विरोध किया था।
कौन हैं बानू मुश्ताक?
62 साल की बानू मुश्ताक एक कन्नड़ लेखिका हैं और वह किसान और कन्नड़ भाषा आंदोलन में सक्रिय रही हैं। उन्हें साल 2025 में लघु कहानी संग्रह एडेा हनाटे के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह पहली कन्नड़ लेखिका हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। उनके इस संग्रह का अंग्रेजी में अनुवाद दीपा भस्थ ने किया था। यह जीत इसलिए भी खास थी क्योंकि प्रतियोगिता में डेनमार्क, फ्रांस और जापान जैसे देशों की रचनाएं भी शामिल थीं। संग्रह में 12 कहानियां शामिल हैं जो 1990 से 2023 तक कर्नाटक की मुस्लिम महिलाओं के रोजमर्रा के संघर्षों को दर्शाती हैं।
बुकर प्राइज, प्रमुख रचनाएं
लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बानू मुश्ताक के कन्नड लघु कथा संग्रह ‘हार्ट लैप ' के अनूदित संस्करण ‘हार्ट लैंप' को लंदन में अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला। यह पहली कन्नड कृति है जिसे 50,000 पाउंड के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया। उनकी 12 लघु कहानियों का यह संग्रह दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समुदाय में हर दिन महिलाओं के लचीले रुख, प्रतिरोध और उनकी हाजिरजवाबी का वर्णन करता है, जिसे मौखिक कहानी कहने की समृद्ध परंपरा के माध्यम से जीवंत रूप दिया गया है। छह विश्वव्यापी कथा संग्रह में से चयनित मुश्ताक की कृति ने परिवार और सामुदायिक तनावों को चित्रित करने की उनकी ‘‘मजाकिया, बोलचाल की भाषा के इस्तेमाल, मार्मिक और कटु शैली के लिए निर्णायकों को आकर्षित किया। ‘हार्ट लैंप' यह पुरस्कार प्राप्त करने वाला पहला लघु कथा संग्रह भी है। इसमें मुश्ताक की 1990 से लेकर 2023 तक 30 साल से अधिक समय में लिखी कहानियां हैं।
उनके उद्घाटन पर क्यों था विवाद
पीटीआई के मुताबिक भाजपा नेताओं और अन्य लोगों ने राज्य सरकार द्वारा दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए मुश्ताक को आमंत्रित करने के फैसले पर आपत्ति जताई है। यह आपत्ति एक पुराने वीडियो के वायरल होने के बाद जताई गई है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कन्नड़ भाषा को "देवी भुवनेश्वरी" के रूप में पूजने पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि यह उनके जैसे लोगों (अल्पसंख्यकों) के लिए भेदभावपूर्ण है। हालांकि मुश्ताक ने कहा है कि उनके पुराने भाषण के कुछ चुनिंदा हिस्सों को सोशल मीडिया पर वायरल करके उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।वहीं दशहरा समारोह के उद्घाटन के लिए बानु मुश्ताक को चुनने के फैसले को कर्नाटक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कर्नाटक हाई कोर्ट ने पूर्व भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा और दो अन्य लोगों की ओर से दायर की गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।