हीट वेब के साथ न्यूनतम तापमान भी बढ़ेगा
imd weather forecast:आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र का कहना है कि देश के अधिकांश भागों में
तापमान में बढ़ोत्तरी दर्ज होने वाली है। पश्चिमी और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य रह सकता है, लेकिन अधिकतर हिस्सों न्यूनतम तापमान भी सामान्य से काफी अधिक रहेगा। अप्रैल, मई और जून के दौरान लू चलेगी। सामान्य तौर पर भारत में एक सप्ताह तक लू चलती है लेकिन इस बार यह ज्यादा परेशान करने वाली है।
इन राज्यों में पड़ेगी सबसे ज्यादा गर्मी
आईएमडी प्रमुख ने बताया कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलांगना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के उत्तरी भाग में सामान्य से अधिक लू चलेगी। पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 10 से 11 दिन तक भयंकर लू चलने की संभावना है।
फरवरी में ही शुरू हो गई थीं गर्म हवाएं
सामान्य तौर पर अप्रैल माह से गर्म हवाओं की शुरूआत होती है। 2024 में 5 अप्रैल से ओडिशा में गर्म हवाएं चलनी शुरू हुई थीं, लेकिन इस बार फरवरी के अंतिम दिनों में कोंकण और तटीय कर्नाटक में गर्म हवाएं चलनी शुरू हो गई थीं। पिछले साल देश में लू ने 14 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया था, इस बार यह कहीं आगे निकल जाएगा। इस बार गर्मी ज्यादा पड़ने से बिजली की खपत भी बढ़ेगी। पिछले साल 30 मई को देश में बिजली की मांग 2,50,000 मेगावाट तक पहुंच गई थी, इसमें करीब 10 प्रतिशत इजाफा होने की उम्मीद है।
2024 में 143 लोगों की हुई थी मौत
पिछले साल देश भर में लू से मरने की संख्या 143 पहुंच गई थी। आंकड़े बताते हैं कि देश भर में हीट स्ट्रोक के कुल 41,789 मामले दर्ज किए गए थे। मौसम विभाग से मिले अलर्ट के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश जारी किए हैं कि अस्पताल तापमान में वृद्धि के चलते हीट स्ट्रोक और गर्मी जनित बीमारियों से निपटने के लिए तैयार रहें।
सामान्य से अधिक वर्षा होगी
भारतीय मौसम विभाग ने इस बार सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना जताई है। अप्रैल में ही 39.2 प्रतिशत और दीर्घकालिक वर्षा इस बार 112 प्रतिशत तक अधिक हो सकती है। उत्तर पश्चिम, उत्तर पूर्व, पश्चिम मध्य और प्रायद्वीपीय भारत में सामान्य से अधिक वर्षा होने की उम्मीद है। केरल और कर्नाटक के पश्चिमी घाट क्षेत्र ें अधिक वर्षा के कारण भूस्खलन की आशंका है, इसके साथ पूर्वोत्तर राज्य बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं।