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Big News: अब Mummy-Papa की सहमति जरूरी, वरना नहीं बनेगा नाबालिग का Passport....आया नया नियम

केंद्र सरकार ने नाबालिगों के पासपोर्ट बनाने के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब नाबालिगों के पासपोर्ट बनाने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी। यह नियम इसलिए लागू किया गया है ताकि नाबालिगों के पासपोर्ट बनाने में किसी भी तरह की धोखाधड़ी या गलती न हो।

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Vibhoo Mishra
New Rule
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

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भारत में पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। अब से, जिन बच्चों की उम्र 18 साल से कम है, उन्हें पासपोर्ट के लिए आवेदन करते समय अपने माता-पिता की सहमति लेनी होगी। यह नया नियम उन बच्चों और किशोरों के लिए लागू होगा, जो विदेश यात्रा के लिए पासपोर्ट बनवाना चाहते हैं।

यह निर्णय विदेश मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक आदेश के माध्यम से लिया गया है, और इसका उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा और उनके अंतरराष्ट्रीय यात्रा से जुड़ी विभिन्न जटिलताओं को हल करना है। इस खबर ने लोगों का ध्यान खींचा है, खासकर उन माता-पिता का, जो अपने बच्चों के विदेश यात्रा पर जाने के बारे में सोच रहे हैं।

क्यों आया यह नया नियम?

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समय के साथ अंतरराष्ट्रीय यात्रा में वृद्धि हुई है और कई बार बच्चों के लिए बिना माता-पिता की सहमति के विदेश यात्रा कर पाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। खासकर उन मामलों में जब माता-पिता का आपसी मतभेद होता है या एकल माता-पिता होते हैं। इसके अलावा, बच्चों की सुरक्षा से जुड़े कई कानूनी पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की गई है। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा और परिवारों के अधिकारों का सम्मान करना है। जब एक बच्चा विदेश यात्रा पर जाता है, तो यह जरूरी है कि दोनों माता-पिता या कानूनी अभिभावक सहमत हों ताकि किसी भी प्रकार की विवाद की स्थिति से बचा जा सके।
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अब ये होगी प्रक्रिया

अब से, बच्चों और किशोरों के पासपोर्ट आवेदन के लिए एक विशेष फॉर्म भरना होगा, जिसमें उनके माता-पिता की सहमति का उल्लेख करना होगा। इसके अलावा, दोनों माता-पिता की पहचान प्रमाण पत्र और यात्रा के उद्देश्य से संबंधित दस्तावेज़ भी जमा करने होंगे। यदि एकल अभिभावक का मामला हो, तो उस अभिभावक को अतिरिक्त प्रमाणपत्र देने होंगे, जैसे कि कोर्ट से लिया गया कानूनी अधिकार पत्र, ताकि यह साबित किया जा सके कि उस अभिभावक के पास बच्चे के विदेश यात्रा पर जाने की स्वीकृति है।

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कैसे Effective होगा यह नियम?

यह नया नियम पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगा। यदि किसी बच्चे के पासपोर्ट आवेदन के दौरान कोई संदेह उत्पन्न होता है, तो अधिकारियों को माता-पिता की सहमति का प्रमाण मांगने का अधिकार होगा। साथ ही, यह कदम बच्चों के हित में है, क्योंकि कभी-कभी बच्चों की पहचान चुराने और उनका अवैध रूप से विदेश भेजने के मामलों में भी वृद्धि देखी गई है। इस बदलाव का असर उन परिवारों पर पड़ेगा, जिनमें माता-पिता का तलाक हो चुका है या जिनमें कानूनी संघर्ष चल रहा हो। इसके अलावा, एकल माता-पिता को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वे कानूनी तरीके से बच्चे के पासपोर्ट आवेदन को मंजूरी देने के लिए सक्षम हैं। यदि एक माता-पिता किसी कारणवश सहमत नहीं होते हैं, तो दूसरा अभिभावक अदालत में जाकर निर्णय ले सकता है।
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Single Parents के लिए अब यह नियम

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एकल माता-पिता के लिए यह नया नियम एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा। पहले, अगर एकल अभिभावक बच्चे के पासपोर्ट के लिए आवेदन करता था, तो उसे दूसरी ओर से कोई प्रमाण पत्र देने की आवश्यकता नहीं होती थी। लेकिन अब उसे अदालत से एक कानूनी प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा, जो यह साबित करेगा कि वह बच्चा विदेश यात्रा के लिए अनुमति दे रहा है। यह कदम एकल अभिभावकों को अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा और वे इस प्रक्रिया को अधिक सहजता से पूरा कर पाएंगे।

बच्चों की Security होगी सुनिश्चित 

अंतरराष्ट्रीय यात्रा में बच्चों की सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है। दुनिया भर में बच्चों की तस्करी और उनकी अनधिकृत विदेश यात्रा के कई मामले सामने आए हैं। इस नए नियम से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी, क्योंकि यह माता-पिता के बीच सहमति की आवश्यकता के माध्यम से बच्चों के हितों की रक्षा करेगा।

ये होंगे इस फैसले के फायदे

बच्चों की सुरक्षा में सुधार: इस नियम से बच्चों के विदेश यात्रा पर जाने से पहले उनके माता-पिता की सहमति को अनिवार्य किया गया है, जिससे बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता मिलेगी।
   
परिवारों के बीच पारदर्शिता: माता-पिता के बीच यात्रा की योजना को लेकर कोई भी असहमति होने पर यह स्पष्टता पैदा करेगा और विवादों को कम करेगा।
   
एकल अभिभावकों के अधिकार: एकल अभिभावकों को अब अधिक कानूनी अधिकार मिलेंगे, जिससे वे अपनी जिम्मेदारी को सही तरीके से निभा सकेंगे।

बच्चों की तस्करी को रोकने में मदद: यह कदम बच्चों की तस्करी और उनके अवैध विदेश यात्रा को रोकने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

 

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