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सरकारी संपत्ति के नुकसान का जिम्मेदार कौन? कोर्ट ने जरांगे से मांगा हलफनामा

मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया है कि उनका आंदोलन समाप्त हो गया है। कोर्ट ने आंदोलन के दौरान हुई हिंसा पर चिंता जताते हुए जरांगे से हलफनामा मांगा है, जिसमें उन्हें यह साफ करना होगा कि वे हिंसा के जिम्मेदार नहीं हैं।

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Ajit Kumar Pandey
सरकारी संपत्ति के नुकसान का जिम्मेदार कौन? कोर्ट ने जरांगे से मांगा हलफनामा | यंग भारत न्यूज

सरकारी संपत्ति के नुकसान का जिम्मेदार कौन? कोर्ट ने जरांगे से मांगा हलफनामा | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया है कि उनका आंदोलन समाप्त हो गया है, क्योंकि सरकार ने उनकी अधिकांश मांगें मान ली हैं। हालांकि, कोर्ट ने इस दौरान हुई हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान पर चिंता जाहिर की है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति के बड़े पैमाने पर नुकसान पर कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने जरांगे से सीधा सवाल किया, "इस नुकसान का जिम्मेदार कौन है?" 

द हिंदू के एक्स हैंडल से मिली जानकारी के मुताबिक बॉम्बे हाई कोर्ट ने मनोज जरांगे और मुंबई में मराठा आरक्षण आंदोलन के आयोजकों को पांच दिवसीय आंदोलन के दौरान बड़े पैमाने पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोपों का जवाब देने के लिए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि अगर जरांगे अपनी गैर-जिम्मेदारी से इनकार नहीं करते हैं, तो उन्हें उपद्रव का उकसाने वाला माना जाएगा। 

सरकारी संपत्ति के नुकसान का जिम्मेदार कौन? कोर्ट ने जरांगे से मांगा हलफनामा | यंग भारत न्यूज
सरकारी संपत्ति के नुकसान का जिम्मेदार कौन? कोर्ट ने जरांगे से मांगा हलफनामा | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

मनोज जरांगे के वकीलों ने कोर्ट में यह दलील दी कि आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण था और संपत्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ। लेकिन हाई कोर्ट ने इस दलील को तुरंत खारिज कर दिया। 

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सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की तस्वीरें और खबरें हर जगह मौजूद हैं। बसों को जलाया गया, सड़कें जाम की गईं और आम लोगों को भारी असुविधा हुई। अब कोर्ट ने जरांगे को चार सप्ताह का समय दिया है ताकि वे एक हलफनामा दाखिल कर सकें। इस हलफनामे में उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि वे और उनकी टीम हिंसा के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। 

यह हलफनामा ही तय करेगा कि आंदोलन का कानूनी अध्याय कैसे बंद होगा। यदि हलफनामा संतोषजनक होता है, तो कोर्ट इस मामले को खत्म कर सकता है। लेकिन, अगर ऐसा नहीं होता है, तो जरांगे के लिए आगे की राह मुश्किल हो सकती है।

जरांगे की जीत का जश्न और भविष्य की रणनीति 

मुंबई में अपनी पांच दिन की भूख हड़ताल खत्म करने के बाद, जरांगे ने इसे मराठा समाज की जीत बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी अधिकतर मांगें मान ली हैं, जिसमें कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने की बात भी शामिल है। इसका मतलब है कि मराठा समुदाय को ओबीसी आरक्षण के तहत शिक्षा और नौकरियों में लाभ मिल सकेगा। 

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जरांगे ने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने और उनके फैसले पर भरोसा करने की अपील की है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि गांवों में समितियां बनाई जाएंगी जो मराठाओं की कुनबी वंशावली की पुष्टि करने में मदद करेंगी। उन्होंने कहा कि मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठाओं को अब आरक्षण जरूर मिलेगा। 

जरांगे ने कहा है कि उनका आंदोलन खत्म हो गया है, लेकिन अब यह मामला कोर्ट के हाथ में है। आने वाले चार सप्ताह में यह स्पष्ट हो जाएगा कि मराठा आरक्षण का यह संघर्ष सच में खत्म हुआ है, या यह सिर्फ एक नया मोड़ है। 

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